कक्षा 08 सामाजिक विज्ञान अध्याय 14 भारत की जलवायु का संपूर्ण महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर CLASS 10Th Social Science India's climate All Questions and Answer in Hindi - ULTIMATE STUDY SUPPORT

कक्षा 10वी सामाजिक विज्ञान अध्याय 14 भारत की जलवायु का संपूर्ण महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर CLASS 10Th Social Science India's climate All Questions and Answer in Hindi - ULTIMATE STUDY SUPPORT








वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
मानसून शब्द रूपांतर है
(अ) मौसिम का
(ब) मोनिस का
(स) मानस का
(द) तीनों ही सही।
उत्तर:
(अ) मौसिम का
प्रश्न 2.
“मावठ” की वर्षा होती है
(अ) बसंतकालीन वर्षा
(ब) शीतकालीन वर्षा
(स) ग्रीष्मकालीन वर्षा
(द) सामान्य वर्षा
उत्तर:
(ब) शीतकालीन वर्षा
प्रश्न 3.
भारतीय संस्कृति अनुसार ऋतुओं की संख्या है
(अ) दो
(ब) चार
(स) तीन
(द) छः
उत्तर:
(द) छः
अति लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
“मौसिम” शब्द किस भाषा का है ?
उत्तर:
मौसिम शब्द अरबी भाषा का है।
प्रश्न 2.
सूर्य के कर्क रेखा पर लम्बवत् चमकने पर उच्च दाब कहाँ होता है ?
उत्तर:
सूर्य के कर्क रेखा पर लम्बवत् चमकने पर हिन्द महासागर व आस्ट्रेलिया में एवं जापान के दक्षिण में प्रशान्त महासागर में उच्च दाब का केन्द्र होता है।
प्रश्न 3.
सूर्य के मकर रेखा पर लम्बवत् चमकने पर निम्न दाब कहाँ होता है?
उत्तर:
सूर्य के मकर रेखा पर लम्बवत् चमकने पर समुद्री सतह (हिन्द महासागर) में निम्न दाब होता है।
प्रश्न 4.
जेट स्ट्रीम कहाँ चलती है ?
उत्तर:
जेट स्ट्रीम क्षोभमंडल में चलती है।
प्रश्न 5.
राजस्थान में ग्रीष्मकालीन निम्न वायुदाब कहाँ बनता है ?
उत्तर:
राजस्थान में ग्रीष्मकालीन निम्न वायुदाब पश्चिमी भाग में बनता है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारण बताइए।
उत्तर:
भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारकों में समुद्र तल से ऊँचाई, समुद्र तट से दूरी,अक्षांशीय स्थिति, पर्वतों की दिशा व उच्चस्तरीय वायु संचरण प्रमुख हैं।
प्रश्न 2.
शीतकालीन व ग्रीष्मकालीन मानसून काल की ऋतुओं के नाम अवधि सहित लिखिए।
उत्तर:
शीतकालीन मानसून काल की ऋतु:
शीत ऋतु (दिसम्बर से फरवरी)
ग्रीष्म ऋतु (मार्च से मध्य जून तक)
ग्रीष्मकालीन मानसून काल की ऋतु-
वर्षा ऋतु (मध्य जून से मध्य सितम्बर)
शरद ऋतु ( मध्य सितम्बर से मध्ये दिसम्बर तक)
प्रश्न 3.
अरब सागरीय मानसून के बारे में बताइए।
उत्तर:
भारतीय मानसून की यह शाखा बंगाल की खाड़ी की शाखा से अधिक शक्तिशाली है। यह सबसे पहले पश्चिमी घाट से सीधी टकराती है। इन घाटों पर 250 से 300 सेमी. वर्षा होती है। इसका वेग यहीं समाप्त हो जाने से भीतरी भागों में अल्प वर्षा होती है। इसकी नागपुर उपशाखा द्वारा नर्मदा-ताप्ती के मध्य घाटियों व गुजरात उपशाखा द्वारा गुजरात व राजस्थान में वर्षा की जाती है।
प्रश्न 4.
मानसून की उत्पत्ति के बारे में जेट स्ट्रीम विचारधारा बताइए।
उत्तर:
जेट स्ट्रीम विचारधारा के अनुसार मानसून की उत्पत्ति क्षोभमंडल में विकसित सामयिक आँधियों से मानी जाती है। वायुमंडल की वाष्प वाली हवाएँ क्षोभमंडल में उत्पन्न होने वाली आँधियों के कारण एक दिशा में प्रवाहित होते हुए ऊपरी क्षोभमंडल में पहुँच जाती हैं। इन हवाओं से धरातल पर वर्षा होती है। क्षेत्र के अनुसार इन्हें उष्णकटिबंधीय पूर्वी जेट व अर्द्ध उष्ण कटिबंधीय पश्चिमी जेट कहा जाता है।
प्रश्न 5.
राजस्थान की वर्षा का अरावली श्रेणी से सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अरावली श्रेणी राजस्थान की वर्षा का विभाजक कहलाती है क्योंकि इसके पूर्वी भाग में अधिक व पश्चिमी भाग में कम वर्षा होती है। हालांकि कम ऊँचाई के कारण वर्षा प्राप्ति में इसका कोई योगदान नहीं है। अरावली की समानान्तर स्थिति के कारण अरबसागरीय शाखा इसके सहारे-सहारे उत्तर की ओर चली जाती है। अवरोधन नहीं होने से इस शाखा द्वारा वर्षण न्यून होता है।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
दक्षिणी-पश्चिमी मानसून के समय के तापक्रम, वायुदाब, पवनों की स्थिति व वर्षा का वर्णन कीजिए।
उत्त:
दक्षिणी – पश्चिमी मानसून को ग्रीष्मकालीन मानसून भी कहा जाता है। इस मानसून की विभिन्न दशाएँ निम्न हैं
तापक्रम – इस काल में वर्षण के साथ-साथ ताप कम होता जाता है। जुलाई, अगस्त के बाद कुछ क्षेत्रों में सितम्बर में ताप बढ़ जाता है। राजस्थान में इस समय ताप 38° तक पहुँच जाता है। शरद ऋतु में सूर्य दक्षिणायन होने के साथ ही ताप कम होने लगता है।
वायुदाब – इस समय निम्न वायुदाब राजस्थान के थार मरुस्थल व पंजाब में जबकि उच्च वायुदाब हिन्द महासागर में पाया जाता है। शरद ऋतु में निम्न वायुदाब का केन्द्र दक्षिण की ओर खिसकने लगता है।
पवनें – इस समय वायुदाब जनित दशाओं के कारण हवाओं की दिशा दक्षिण-पश्चिम हो जाती है। इन हवाओं को मानसूनी पवनें कहा जाता है तथा वायुदाब का केन्द्र सरकने के साथ ही मानसून पवनें आगे बढ़ती हैं, शरद ऋतु में इनकी दिशा उत्तर-पूर्व हो जाती है।
वर्षा – इस मानसून काल में दो शाखाओं-
अरब सागरीय
बंगाल की खाड़ी के द्वारा वर्षण होता है
अरब सागरीय शाखा में नागपुर व गुजरात उपशाखाएँ वर्षण करती हैं, जबकि बंगाल की खाड़ी की शाखा अवरोधन के कारण दो। भागों-
अरुणाचल शाखा,
उप हिमालय,में बँटकर
वर्षा करती हैं। इस शाखा के द्वारा भारत में सर्वाधिक वर्षण मौसिनराम में होता है। शरद ऋतु में मानसून लौटने लगता है जिससे तमिलनाडु व प्रायद्वीपीय पठार के कुछ आंतरिक भागों में वर्षा होती है। इस मानसूनी काल में चलने वाली पवनों की दिशा व वर्षा के वितरण स्वरूप को मानचित्र की सहायता से दर्शाया गया है।
प्रश्न 2.
भारत में वर्षा के वितरण का विवरण लिखिए।
उत्तर:
भारत की विशाल भौगोलिक स्थिति के कारण वर्षा का वितरण समान न होकर अलग-अलग पाया जाता है। जिसे निम्न भागों में बाँटा गया है
1. अधिक वर्षा के क्षेत्र – भारत के असम, मेघालय, त्रिपुरा, नागालैण्ड, मिजोरम, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड आदि राज्यों के साथ-साथ पश्चिमी घाट के पश्चिमी ढालों पर 200 सेमी. से अधिक वर्षा होती है।
2. साधारण वर्षा के क्षेत्र – भारत के पश्चिमी घाट के पूर्वोत्तर ढाल, दक्षिणी-पश्चिमी बंगाल, छत्तीसगढ़, झारखंड, उड़ीसा, दक्षिणी-पूर्वी उत्तर प्रदेश व हिमालय के तराई क्षेत्र जिनमें 100 से 200 सेमी. वर्षा होती है इसी भाग के अन्तर्गत आते हैं।
3. न्यून वर्षा के क्षेत्र – भारत के दक्षिणी प्रायद्वीप के आंतरिक भागों, मध्य प्रदेश, पूर्वी राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, दक्षिणी उत्तर प्रदेश, दक्षिणी आंध्र प्रदेश व मध्य पूर्वी महाराष्ट्र जहाँ 50 से 100 सेमी. वर्षा होती है इसी क्षेत्र के अन्तर्गत आते हैं।
4. अपर्याप्त वर्षा के क्षेत्र – ऐसे क्षेत्र जहाँ वार्षिक वर्षा 50 सेमी. से कम होती है। तमिलनाडु का रायलसीमा क्षेत्र, कच्छ, पश्चिमी राजस्थान, पश्चिमी पंजाब व लद्दाख को इसी वर्षा क्षेत्र में शामिल किया जाता है।
प्रश्न 3.
राजस्थान की जलवायु सम्बन्धी परिस्थितियों को समझाइए।
उत्तर:
राजस्थान के विस्तृत क्षेत्रफल के कारण जलवायु परिस्थितियाँ भी भिन्न-भिन्न मिलती हैं। परम्परागत रूप से राजस्थान को जलवायु के आधार पर मुख्यतः तीन ऋतुओं ग्रीष्म ऋतु, वर्षा ऋतु व शीत ऋतु में बाँटा गया है। भारतीय मौसम विभाग द्वारा इसे अग्रलिखित प्रकार में वर्गीकृत किया गया है ओर जाने के साथ-साथ ताप कम हो जाता है। इस समय पवनें शांत रहती हैं। अतः पवन क्रम व वायुदाब क्रम अस्पष्ट होने से वर्षा नहीं होती है।
1. शीत ऋतु – इसका समय दिसम्बर से फरवरी तक है। सूर्य के दक्षिणायन होने से ताप कम मिलता है। कभी-कभी ताप हिमांक से भी कम हो जाता है। इस ऋतु में हिन्द महासागर क्षेत्र न्यून दाब का केन्द्र बन जाता है जिसके कारण हवाएँ स्थल से सागर की ओर चलने लगती हैं। किन्तु कभी-कभी ये पवनें भूमध्य सागरीय चक्रवातों के साथ मिलकर वर्षा करती हैं। जिसे ‘मावठ’ कहा जाता है।
2. ग्रीष्म ऋतु – इसका समय मार्च से मध्य जून तक होता है। सूर्य के उत्तरायण होने के कारण ताप अधिक मिलता है। जून में ताप 40° से 45° सेंन्टीग्रेड तक पहुँच जाता है। इस समयं निम्न वायुदाब राजस्थान के पश्चिमी भाग में विकसित हो जाता है। आकाश साफ व सीधी किरणों से हवाएँ गर्म होकर प्रवाहित होती हैं जिन्हें ‘लू’ कहते हैं।
3. वर्षा ऋतु – इस ऋतु का समय मध्य जून से मध्य सितम्बर तक मिलता है। वर्षा के कारण ताप 18° से 30° से.ग्रे. तक मिलता है। पश्चिमी राजस्थान में वायुदाब कम हो जाता है जिसके कारण मानसूनी पवनें चलने लगती हैं जो दो शाखाओं बंगाल की खाड़ी तथा अरब सागर शाखा में बँटकर वर्षा करती हैं। राजस्थान में मानसून जून के अन्त तक पहुँचता है राजस्थान अपनी कुल वर्षा का 95% भाग इन्हीं पवनों से प्राप्त करता है। राजस्थान में वर्षा का वितरण अरावली की समानान्तर स्थिति के कारण पूर्व में अधिक व पश्चिम में कम पाया जाता है।
4. शरद ऋतु- यह ऋतु मध्य सितम्बर से दिसम्बर तक मिलती है। वर्षा के बाद आकाश स्वच्छ होने से तापमान 38° सेन्टीग्रेड तक मिलता है किन्तु सूर्य के दक्षिणायन की
आंकिक प्रश्न
प्रश्न 1.
भारत के मानचित्र में दक्षिण-पश्चिमी मानसून पवनों की स्थिति को दर्शाइए।
उत्तर:
भारत के मानचित्र में दक्षिण – पश्चिमी मानसून पवनों की स्थिति निम्न मानचित्र में दर्शायी गयी है-
प्रश्न 2.
राजस्थान के मानचित्र में वार्षिक वर्षा का वितरण दर्शाइए।
उत्तर:
राजस्थान में वार्षिक वर्षा का वितरण अग्रानुसार है-
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
स्थल से समुद्र की ओर चलने वाली हवाएँ कहलाती
(अ) स्थलीय हवाएँ
(ब) सागरीय हवाएँ
(स) घाटी समीर
(द) पर्वतीय समीर
उत्तर:
(अ) स्थलीय हवाएँ
प्रश्न 2.
पवनाविमुख ढाल जहाँ प्रायः वर्षा नहीं होती उसे कहा जाता है
(अ) वृष्टि छाया क्षेत्र
(ब) अतिवृष्टि क्षेत्र
(स) पवनाविमुख क्षेत्र
(द) भूकम्प छाया क्षेत्र।
उत्तर:
(अ) वृष्टि छाया क्षेत्र
प्रश्न 3.
‘लू’ कब चलती है
(अ) शीत ऋतु में
(ब) ग्रीष्म ऋतु में
(स) वर्षा ऋतु में
(द) शरद ऋतु में
उत्तर:
(ब) ग्रीष्म ऋतु में
प्रश्न 4.
राजस्थान में न्यूनतम वर्षा कहाँ होती है
(अ) जयपुर में
(ब) जैसलमेर में
(स) जोधपुर में
(द) नागौर में।
उत्तर:
(ब) जैसलमेर में
प्रश्न 5.
राजस्थान में सर्वाधिक वर्षा का क्षेत्र कौन-सा है
(अ) अलवर
(ब) उदयपुर
(स) माउंट आबू (सिरोही)
(द) कोटा
उत्तर:
(स) माउंट आबू (सिरोही)
अति लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भारतीय जलवायु का निर्धारक किसे माना जाता
उत्तर:
भारत में चलने वाली मानसूनी पवनों को भारतीय जलवायु का निर्धारक माना जाता है।
प्रश्न 2.
सामान्य ताप पतन दर (धरातल से ऊँचाई पर जाने पर) क्या होती है ?
उत्तर:
किसी स्थान से ऊँचाई में जाने पर प्रति 165 मीटर पर तापमान का 1° सें.ग्रे. से कम होना सामान्य ताप पतन दर कहलाता है।
प्रश्न 3.
सूर्यताप (सौर्यताप) किसे कहते हैं ?
उत्तर:
सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊष्मा या ऊर्जा को सूर्यताप अथवा सौर्य ताप कहते हैं।
प्रश्न 4.
वृष्टि छाया क्षेत्र किसे व हते हैं ?
उत्तर:
पर्वतीय वर्षा के दौरान पर्वत के पश्चे भाग (पवनाविमुख ढाल) में वर्षा न्यून होती है। इस न्यून वर्षा वाले भाग को वृष्टि छाया क्षेत्र कहते हैं।
प्रश्न 5.
मावठ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
शीतकालीन अवधि में भूमध्य सागरीय चक्रवातों से होने वाली वर्षा को स्थानीय भाषा में ‘मावठ’ कहा जाता है।
प्रश्न 6.
‘रबी की फसल का अमृत’ किसे कहा जाता है ?
उत्तर:
शीतकाल में होने वाली ‘मावठ’ को ‘रबी. की फसल का अमृत’ कहा जाता है।
प्रश्न 7.
‘लू’ से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
ग्रीष्मकालीन अवधि में उत्तरी-पश्चिमी भारत में चलने वाली अत्यधिक, उष्ण व शुष्क हवाओं को स्थानीय भाषा में ‘लू’ कहते हैं।
प्रश्न 8.
काल बैशाखी से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
ग्रीष्मकाल में पश्चिम बंगाल में चलने वाले वर्षायुक्त आँधी-तूफानों को ‘काल बैशाखी’ कहा जाता है।
प्रश्न 9.
आम्र वर्षा कहाँ होती है ?
उत्तर:
दक्षिणी भारत में मालाबार तट के पास होने वाली वर्षा को आम्र वर्षा कहते हैं।
प्रश्न 10.
फूलों की बौछार से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
ग्रीष्मकालीन अवधि में कहवा उत्पादन वाले क्षेत्रों (कर्नाटक, केरल) में होने वाली वर्षा को फूलों की बौछार कहते हैं।
प्रश्न 11.
वायुदाब किसे कहते हैं?
उत्तर:
धरातल पर पड़ने वाले वायुमंडल के दाब या भार को वायुदाब कहते हैं।
प्रश्न 12.
तापमान व वायुदाब के बीच कैसा सम्बन्ध है?
उत्तर:
तापमान व वायुदाब के बीच प्रायः विपरीत सम्बन्ध मिलता है।
प्रश्न 13.
दक्षिणी-पश्चिमी मानसून को कितने भागों में बाँटा गया है ?
उत्तर:
दक्षिणी-पश्चिमी मानसून को दो भागों
अरब सागरीय शाखा व
बंगाल की खाड़ी की शाखा में बाँटा गया है।
प्रश्न 14.
मौसिनराम गाँव में भारत की सर्वाधिक वर्षा क्यों होती है ?
उत्तर:
बंगाल की खाड़ी के मानसून की अरुणाचल व असम उपशाखा जब गारो, जयन्ती व खासी की कीपाकार पहाड़ियों से बार-बार टकराती है तो मौसिनराम गाँव में अधिक वर्षा होती है।
प्रश्न 15.
राजस्थान कौन से मानसून से सर्वाधिक वर्षा प्राप्त करता है?
उत्तर:
राजस्थान दक्षिणी-पश्चिमी मानसून से सर्वाधिक वर्षा (कुल वर्षा का 15% भाग) प्राप्त करता है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भारतीय जलवायु को मानसूनी जलवायु क्यों कहा जाता है ?
उत्तर:
अत्यधिक विस्तार व भू-आकारों की भिन्नता के कारण हमारे देश के विभिन्न भागों में जलवायु सम्बन्धी विविधताएँ पाई जाती हैं। भारत की जलवायु पर मानसूनी हवाओं का सर्वाधिक प्रभाव होने से हमारे देश की जलवायु को मानसूनी जलवायु कहते हैं।
प्रश्न 2.
समुद्र से दूरी जलवायु को कैसे प्रभावित करती है ?
उत्तर:
समुद्र से किसी स्थान की दूरी का उस स्थान की मौसमी एवं जलवायु दशाओं पर प्रत्यक्ष प्रभाव दृष्टिगत होता है। यथा-समुद्र के समीप स्थित क्षेत्र की जलवायु नम होती है जिसके कारण तापान्तर कम मिलता है जबकि समुद्र से दूरी बढ़ने के साथ-साथ विषमता बढ़ने से तापान्तर अधिक मिलता है। नमी के घटने-बढ़ने के कारण प्रादेशिक स्तर पर वर्षा का स्वरूप भिन्न-भिन्न मिलता है।
प्रश्न 3.
पर्वत किस प्रकार जलवायु को प्रभावित करते हैं ?
उत्तर:
जलवायु नियंत्रण में पर्वतों की मुख्य भूमिका रहती है। किसी स्थान पर पाये जाने वाले पर्वतों की स्थिति वर्षण के साथ-साथ तापमान, पवन की दिशाओं को भी नियंत्रित करती है, यथा-पश्चिमी घाट की पश्चिमी स्थिति होने के कारण इसके पश्चिमी ढालों पर अधिक वर्षा होती है जबकि इसके पूर्वी भाग कम वर्षा प्राप्त करते हैं जिसके परिणामस्वरूप पश्चिम ढाल पर नम जलवायु जबकि पूर्वी ढाल पर शुष्क जलवायु मिलती है।
प्रश्न 4.
राजस्थान की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
राजस्थान की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारकों में मुख्य रूप से राज्य की अक्षांशीय स्थिति, समुद्र से दूरी, ऊँचाई, पर्वतीय स्थिति, पवनों की दिशा, मिट्टी का प्रकार के वनस्पति आदि मुख्य हैं।
प्रश्न 5.
राजस्थान के मध्यवर्ती भाग में अरावली पर्वत श्रृंखला फैली हुई है फिर भी राजस्थान को वर्षा ऋतु में इसका लाभ नहीं मिलता है। क्यों ?
उत्तर:
राजस्थान में अरावली पर्वत श्रृंखला के होते हुए भी वर्षा ऋतु में इसका लाभ नहीं मिलने के पीछे निम्न कारण उत्तरदायी हैं-
अरावली की औसत ऊँचाई कम है (930 मी.) जो बादलों को रोकने में असमर्थ है।
राजस्थान में अरावली पर्वत दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर समानान्तर रूप से फैला हुआ है।
अरब सागरीय शाखा अरावली की समानान्तर स्थिति के कारण इसके सहारे-सहारे हिमालय तक पहुँच जाती है।
इस पर्वतमाला का अधिकांश भाग अवैध खनन के कारण वनहीन हो चुका है, जिसके कारण भी यह वर्षा को आकर्षित करने में सक्षम नहीं है।
प्रश्न 6.
शीतकालीन मानसून से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
जब दक्षिणी गोलार्द्ध में सूर्य की किरणें मकर रेखा व उसके आसपास के क्षेत्र पर लम्बवत् चमकती हैं तो इस समय एशिया में बैकाल के पास व मुल्तान के आसपास उच्च दाब का केन्द्र बन जाता है, जबकि समुद्री धरातल पर न्यून दाब स्थापित हो जाता है। ऐसी स्थिति में हवाएँ स्थल से समुद्र की ओर चलने लगती हैं। ये स्थल से आने के कारण प्रायः शुष्क होती हैं। इन्हें ही शीतकालीन शुष्क हवाएँ कहते हैं जो शीतकालीन मानसून के नाम से जानी जाती हैं।
प्रश्न 7.
हिमालय पर्वत का भारतीय जलवायु के संदर्भ में महत्व स्पष्ट कीजिए। उत्तर–हिमालय पर्वत भारतीय जलवायु का नियंत्रणकर्ता है जो निम्न बिन्दुओं से स्पष्ट होता है
इस पर्वत की स्थिति एवं दिशा के कारण ही भारत की जलवायु सौम्य है।
हिमालय पर्वत के द्वारा ही साइबेरिया से आने वाली ठण्डी हवाओं को रोका जाता है।
हिमालय पर्वत ग्रीष्मकालीन मानसून को रोककर भारत में ही वर्षा करने के लिए बाध्य करता है।
शीतकालीन भूमध्य सागरीय चक्रवातों का छोटा अंश भी इसी पर्वत के कारण संभव हो पाता है।
भारत का मौसिनराम गाँव भी इसी पर्वत की सहायक श्रेणियों द्वारा उच्च वर्षा प्राप्त करता है।
प्रश्न 8.
जनवरी में भारतीय क्षेत्र की समताप रेखाओं के वितरण को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जनवरी के समय भारत में शीत ऋतु होती है जिसके कारण भारत का उत्तरी भाग अपने स्थलीय स्वभाव के कारण अधिक ठण्डा मिलता है। जबकि दक्षिणी भाग समुद्र तटीय स्थिति के कारण गरम मिलता है। इस समय 15° से. ग्रे. सभाप रेखा कम ताप वाले क्षेत्रों को उत्तरी भाग की ओर दर्शाती है। मध्यवर्ती भारतीय भाग के ताप 15° से 20° समताप रेखाओं के बीच मिलता है जबकि अधिकांश दक्षिणी पठारी क्षेत्र में 20° व 25° से.ग्रे. की समताप रेखाएँ मध्यस्थ तोप को दर्शाती हैं। दक्षिणी पश्चिमी समुद्रतटीय भाग 25° से.ग्रे. से अधिक का ताप दर्शाता है। जो मुख्यतः दक्षिणी तमिलनाडु, केरल के पश्चिमी भाग व कर्नाटक के दक्षिणी-पश्चिम भाग के रूप में मिलता है।
प्रश्न 9.
राजस्थान ग्रीष्मकालीन मानसून की दोनों शाखाओं के क्षेत्र में आते हुए भी कम वर्षा प्राप्त करता है क्यों?
उत्तर:
राजस्थान ग्रीष्मकालीन मानसून की दोनों शाखाओं के क्षेत्र में आते हुए भी कम वर्षा प्राप्त करता है क्योंकि-
राजस्थान में अरब सागरीय शाखी अरावली के समानान्तर होती हुई बिना अधिक वर्षा किए राज्य से गुजर जाती है।
अरावली की स्थिति मानसूनी धाराओं के अनुकूल होने से उनमें अवरोधन नहीं होता जिससे कि वर्षा हो सके।
बंगाल की खाड़ी की शाखा सम्पूर्ण देश में वर्षा करती हुई यहाँ पहुँचते-पहुँचते काफी शुष्क हो जाती है, जिसके कारण राजस्थान में वर्षा कम होती है।
राजस्थान में मिलने वाली मरुस्थलीय दशाओं के कारण वनस्पति की कमी होने से इन क्षेत्रों में वर्षा कम होती है।
अरावली की कम ऊँचाई भी कम वर्षा के लिए उत्तरदायी है।
प्रश्न 10.
भारत के उत्तरी-पूर्वी या शीतकालीन मानसून काल में तापमान, वायुदाब, पवनों व वर्षा के स्वरूप को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में उत्तरी-पूर्वी मानसून काल मुख्यतः दिसम्बर से मध्य जून तक मिलता है। इस मानसून में मुख्यतः दो ऋतुएँ मिलती हैं। इन दोनों के अनुसार शीतकालीन मानसून काल की दशाएँ निम्न हैं
1. तापमान – इस काल की शीत ऋतु में ताप सूर्य के दक्षिणायन जाने के साथ-साथ कम हो जाता है। उत्तरी भारत में ताप कम जबकि दक्षिण में इसकी तुलना में अधिक ताप मिलता है। उत्तरी भारत में औसत ताप 21° से.ग्रे. से कम मिलता है, जबकि दक्षिण भारत में इससे अधिक रहता है।
2. वायुदाब – इस काल की शीत ऋतु में उच्च दाब मध्य एशिया में तथा निम्न दाब हिन्द महासागर में मिलता है।
3. पवनें – इस काल की शीत ऋतु में पवनें मध्य एशियाई क्षेत्र से महासागरीय क्षेत्र की ओर चलती हैं। इन पवनों को उत्तरी-पूर्वी मानसूनी पवनों के नाम से जाना जाता है।
4. वर्षा शीतकालीन मानसून की शीत ऋतु में चक्रवातों एवं लौटते मानसून से वर्षा होती है जिसे स्थानीय भाषा में ‘मावठ’ कहा जाता है।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
ग्रीष्मकालीन मानसून की उत्पत्ति एवं विकास को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मानसून उत्पत्ति की परम्परागत विचारधारा के अनुसार जब सूर्य कर्क रेखा पर चमकता है तो भारत में तेज गर्मी पड़ती है। इसके कारण एक न्यून वायुदाब का केन्द्र
पाकिस्तान में मुल्तान के आसपास बन जाता है। इसी समय हिन्द महासागर वे आस्ट्रेलिया तथा जापान के दक्षिण में प्रशान्त महासागर में उच्च वायुदाब का केन्द्र बन जाता है। हवाएँ अपने स्वभाव के कारण उच्च वायुदाब से निम्न वायुदाब की ओर प्रवाहित होती हैं। समुद्र से चलने के कारण ये हवाएँ वाष्प से भरी होती हैं। हिन्द महासागर के दक्षिण से उठने वाली ये दक्षिण-पश्चिमी हवाएँ भारत की ओर आती हैं। यहाँ पर हिमालय के अवरोध के कारण वर्षा करती हैं इन्हें ही ग्रीष्मकालीन मानसून कहते हैं। दक्षिण-पश्चिम से आने के कारण इन्हें दक्षिणी-पश्चिमी मानसून कहा जाता है।
यह ग्रीष्मकालीन मानसून भारत में दो शाखाओं में बँटकर वर्षण की प्रक्रिया सम्पन्न करते हैं। इनमें बंगाल की खाड़ी की शाखा व अरब सागरीय शाखा के द्वारा भारत में वर्षण किया जाता है। बंगाल की खाड़ी की शाखा अरुणाचल व असम तथा हिमालय रूपी उपशाखाओं तथा अरब सागरीय शाखा नागपुर व गुजरात रूपी उपशाखाओं में बँटकर वर्षा करती है। इस शाखा से मौसिनराम में सर्वाधिक वर्षा होती है। पश्चिम में जाने के साथ-साथ इससे वर्षा प्राप्ति की मात्रा घटती जाती है। इससे पश्चिमी पंजाब व राजस्थान में बहुत कम वर्षा होती है।
ग्रीष्मकालीन मानसून की अरब सागरीय शाखा नागपुर व गुजरात रूपी उपशाखाओं में बँटकर वर्षा करती है। यह शाखा बंगाल की खाड़ी की शाखा से अधिक शक्तिशाली है। यह सर्वप्रथम पश्चिमी घाट से सीधे टकराकर 250 से 300 सेमी तक वर्षा करती है। राजस्थान में अरावली पर्वत श्रेणी की स्थिति मानसून पवनों के समानान्तर होने के कारण यहाँ इससे कम वर्षा होती है।
प्रश्न 2.
राजस्थान में होने वाली वार्षिक वर्षा के वितरण को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
राजस्थान में वर्षा के वितरण प्रारूप में प्रादेशिक भिन्नताएँ पायी जाती हैं। राजस्थान की आन्तरिक स्थिति के कारण वर्षा का औसत अधिक नहीं है। अरावली के पूर्व की ओर वर्षा का वितरण अधिक मिलता है। वहीं अरावली के पश्चिम में वर्षा का वितरण कम मिलता है। राज्य में मिलने वाले वर्षा के वितरण प्रारूप को निम्न भागों में बाँटा गया
1. 100 सेमी. से अधिक वर्षा वाले क्षेत्र – इन क्षेत्रों में वार्षिक वर्षा का औसत 100 सेमी से अधिक पाया जाता है। जिसमें सिरोही के माउंट आबू, उदयपुर का पश्चिमी भाग, दक्षिणी राजसमंद, दक्षिणी-पश्चिमी भीलवाड़ा आदि को मुख्य रूप से शामिल किया जाता है।
2. 75 से 100 सेमी वर्षा वाले क्षेत्र – ऐसे क्षेत्रों में वार्षिक वर्षा का औसत 75 से 100 सेमी के बीच मिलता है इसमें मुख्यतः झालावाड़, दक्षिणी कोटा, चित्तौड़गढ़ के पूर्वी भाग, प्रतापगढ़, बाँसवाड़ा, डूंगरपुर का पूर्वी भाग, मध्यवर्ती उदयपुर, भीलवाड़ा का मध्य से लेकर दक्षिण का भाग, सिरोही एवं पाली के पूर्वी भागों व राजसमंद के मध्य भाग को शामिल करते हैं।
3. 50 से 75 सेमी वर्षा वाले क्षेत्र – राजस्थान में ऐसे क्षेत्रों में मुख्यतः जालौर का दक्षिणी-पूर्वी एवं पूर्वी भाग, मध्यवर्ती पाली, अजमेर, जयपुर, दौसा, अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली, सवाई माधोपुर, टोंक, बूंदी, बारां, कोटा व भीलवाड़ा जिलों के अधिकांश भाग को शामिल किया जाता
4. 25 से 50 सेमी वर्षा वाले क्षेत्र – इस वर्षा वर्ग की श्रेणी में झुंझुनूं, सीकर, नागौर, जोधपुर की फलौदी तहसील से पूर्व के भाग, बाड़मेर के अधिकांश भाग तथा जालौर, पाली, अजमेर, जयपुर के पश्चिमी भागों को शामिल किया जाता है।
5. 25 सेमी से कम वर्षा वाले क्षेत्र – इने क्षेत्रों में मुख्यत: श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, जैसलमेर, जोधपुर की फलौदी तहसील से पश्चिम के भाग व बाड़मेर तथा नागौर के पश्चिमी भागों को शामिल करते हैं। राजस्थान की वर्षा के इस वितरण प्रारूप को मानचित्र द्वारा दर्शाया गया है।

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