कक्षा 09वी सूचना व संचार प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग अध्याय 06 माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस का संपूर्ण महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर CLASS 09Th Applications of Information and Communication Technology All Questions and Answer in Hindi - ULTIMATE STUDY SUPPORT

कक्षा 09वी सूचना व संचार प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग अध्याय 06 माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस का संपूर्ण महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर CLASS 09Th Applications of Information and Communication Technology All Questions and Answer in Hindi - ULTIMATE STUDY SUPPORT





प्रश्न 1.
ई-शासन द्वारा उपलब्ध करवाई जाने वाली सेवा है –
(A) ई-नागरिक
(B) ई-परिवहन
(C) ई-शिक्षा
(D) उक्त सभी
उत्तर:
(D) उक्त सभी
प्रश्न 2.
देश के हर नागरिक को डिजिटल सेवाएँ प्रदान करने के लिए प्रारम्भ किये गए कार्यक्रम का नाम है –
(A) ई-शासन
(B) डिजिटल भारत
(C) ई-बैंकिंग
(D) ई-कैफे।
उत्तर:
(B) डिजिटल भारत
प्रश्न 3.
कौन सी योजना के अंतर्गत विभिन्न विभागों से सम्बन्धित सुविधाएँ एक ही स्थान पर उपलब्ध करवाई जाती हैं?
(A) डिजिटल भारत
(B) ई-वाणिज्य
(C) ई-मित्र
(D) ई-सुविधा।
उत्तर:
(C) ई-मित्र
प्रश्न 4.
उत्पादक तथा क्रेता के मध्य मध्यस्थों की श्रृंखला छोटी करने का कार्य करता है –
(A) ई-शासन
(B) ई-पुलिस।
(C) ई-प्रजातंत्र
(D) ई-वाणिज्य
उत्तर:
(D) ई-वाणिज्य
प्रश्न 5.
कौन सा साधन ई-लर्निग में प्रयुक्त नहीं होता है –
(A) विडियो कॉन्फ्रेंसिंग
(B) पुस्तकें
(C) डिजिटल पाठ्य सामग्री
(D) उक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(B) पुस्तकें
 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
ICT के माध्यम से सरकारी सेवाओं की पहुँच व निष्पादन को बढ़ावा देने की प्रक्रिया को क्या कहते हैं ?
उत्तर:
ई-शासन (e-Governance).
प्रश्न 2.
भारत के डिजिटल लिहाज से सशक्त बनाने के लिए चालू की गई योजना का क्या नाम है ?
उत्तर:
डिजिटल इंडिया कार्यक्रम।
प्रश्न 3.
उस केन्द्र का नाम बताइए जहाँ विभिन्न विभागों से जुड़ी सुविधाएँ एक ही स्थान पर उपलब्ध हो जाती हैं।
उत्तर:
ई-मित्र (e-mitra)
प्रश्न 4.
इन्टरनेट के माध्यम से खरीददारी करने को क्या कहते हैं ?
उत्तर:
ई-शॉपिंग (e-shopping)
प्रश्न 5.
इन्टरनेट बैंकिंग के दौरान बैंक से प्राप्त होने वाले अस्थाई पासवर्ड को क्या कहा जाता है ?
उत्तर:
बैंक खाते की चाबी।
 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
एक बिंदु प्रतिपादन तंत्र क्या होता है ?
उत्तर:
एक बिन्दु प्रतिपादन तंत्र एक ऐसा तन्त्र है जिसके माध्यम से ई-शासन के अन्तर्गत सरकार द्वारा आम जनता को मुख्य सेवाएँ उपलब्ध कराई जा सकें। ये मुख्य सेवाएँ
ई-नागरिक
ई-परिवहन
ई-औषधि
ई-शिक्षाः
ई-पंजीकरण
ई-शासन सचिवालय
ई-पुलिस
ई-न्यायालय
ई-प्रजातंत्र
प्रश्न 2.
ई-ट्रांसपोर्ट के अंतर्गत कौन-कौन सी सेवाएँ उपलब्ध करवाई जाती हैं ?
उत्तर:
इसके अन्तर्गत सरकार नागरिकों को मोटर वाहन का पंजीकरण, चालक के लिए आज्ञा पत्र जारी करना, कर व शुल्क जमा करने आदि की सुविधा प्रदान करती है।
प्रश्न 3.
ई-पुलिस से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
ई-पुलिस के अंतर्गत दो प्रकार के डाटाबेस तैयार किए जाते हैं। प्रथम प्रकार के डाटाबेस में पुलिस अधिकारियों की सूचना रखी जाती है जिससे आवश्यकता पड़ने पर किसी भौगोलिक क्षेत्र विशेष या किसी कौशल (Skill) विशेष की विशेषज्ञता रखने वाले व्यक्ति को आसानी से ढूँढ़ा जा सके। दूसरे प्रकार के डाटाबेस में अपराधियों की जानकारी, उनके द्वारा पूर्व में किये गए अपराधों की जानकारी, अपराध करने के तरीके तथा उनके पहचान चिह्न आदि की सूचना केन्द्रीय डोटाबेस में रखी जाती है जिससे आवश्यकता पड़ने पर देश के किसी भी अपराधी की उपलब्ध समस्त जानकारी आसानी से प्राप्त की जा सकती है।
प्रश्न 4.
डिजिटल सशक्तिकरण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
‘डिजिटल इंडिया’ भारत सरकार की एक नई पहल है जिसका उद्देश्य भारत को डिजिटल लिहाज से सशक्त समाज और सुदृढ़ अर्थव्यवस्था में तब्दील करना है। ‘डिजिटल इंडिया’ एक व्यापक कार्यक्रम है जो अनेक सरकारी मंत्रालयों और विभागों को कवर करता है। यह तरह-तरह के आइडिया और विचारों को एकल एवं व्यापक विजने में समाहित करता है, ताकि इनमें से हर विचार एक बड़े लक्ष्य का हिस्सा नजर आए। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का समन्वय DEITY (Department of Electronics and Information Technology) द्वारा किया जाना है। ‘डिजिटल इंडिया’ का विजन तीन प्रमुख क्षेत्रों पर केन्द्रित है। ये हैं-हर नागरिक के लिए उपयोगिता के तौर पर डिजिटल ढाँचा, माँग पर संचालन एवं सेवाएँ और नागरिकों का डिजिटल सशक्तिकरण।
प्रश्न 5.
ई-वाणिज्य को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
ई-वाणिज्य (e-commerce) का अर्थ है-इन्टरनेट के माध्यम से व्यापार करना। ई-वाणिज्य, उन वृहद परास ऑन-लाइन व्यापारिक कार्यों को इंगित करता है जिनमें उत्पाद एवं सेवा खरीदी व बेची जाती है। ई-वाणिज्य, उन सभी वाणिज्यिक गतिविधियों से सम्बन्धित है जिसमें दो या दो से अधिक पक्ष (व्यापारी या ग्राहक) भौतिक सम्पर्क या भौतिक विनिमय के स्थान पर इलैक्ट्रोनिक माध्यम से अन्योन्य क्रिया करते हैं। ई-व्यापार, ई-बैंकिंग, ई-शॉपिंग आदि ई-वाणिज्य के ही भाग हैं।
प्रश्न 6.
इन्टरनेट बैंकिंग किसे कहते हैं ?
उत्तर:
किसी भी बैंक द्वारा प्रदान की जा रही सेवाओं को किसी भी स्थान से कम्प्यूटर मोबाइल या किसी अन्य यन्त्र के द्वारा इन्टरनेट के माध्यम से प्रयोग करना इन्टरनेट बैंकिंग कहलाता है, इसके लिये बैंक वेबसाइट और मोबाइल ऐप बनाकर उसे अपने ग्राहकों को इन्टरनेट के माध्यम से उपलब्ध करवाते हैं। इन्टरनेट बैंकिंग को कई नामों से जाना जाता है, जैसे-ऑनलाइन बँकिंग, मोबाइल बैंकिंग, नेट बैंकिंग, ई-बैंकिंग इत्यादि।
प्रश्न 7.
इन्टरनेट बैंकिंग का उपयोग साइबर कैफे में क्यों नहीं करना चाहिए ?
उत्तर:
साइबर कैफे में अपनी यूजर आई डी तथा पासवर्ड की जानकारी किसी अन्य व्यक्ति को अपेक्षाकृत सरलता से प्राप्त हो सकती है। इन्टरनेट फिशिंग की सम्भावना भी बढ़ जाती है।
प्रश्न 8.
शुद्ध ऑन-लाइन लर्निग से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
आजकल ई-लर्निग के लिए कई तरीके उपलब्ध हैं। एक प्रशिक्षु अपनी आवश्यकता एवं सुविधा के अनुसार इनमें से किसी एक विधा या एक से अधिक विधा के मिश्रण का उपयोग अपने ज्ञान वर्धन के लिए कर सकता है। शुद्ध ऑन-लाइन लर्निग भी इनमें से एक है। इसमें प्रशिक्षु पूर्णतः कम्प्यूटर के माध्यम से संचार कर अध्ययन सामग्री प्राप्त करता है।
प्रश्न 9.
ई-लर्निग में प्रयुक्त होने वाले साधनों के नाम बताइए।
उत्तर:
ई-लर्निग में इंटरनेट, इंटरनेट, एक्सट्रानेट, ऑडियो व वीडियोटेप, उपग्रह प्रसारण, इंटरएक्टिव टेलीविजन, सीडी-रोम आदि का प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 10.
Asynchronous लर्निग क्या है ?
उत्तर:
असिंक्रोन्स लर्निग में प्रशिक्षु एवम् प्रशिक्षक भौतिक रूप से दूर-दूर होते हैं तथा उनके मध्य वास्तविक समय में अन्योन्य क्रिया नहीं होती है। जैसे-इंटरनेट या सीडी-रोम पर उपलब्ध अध्ययन सामग्री, ऑडियो वीडियो टेप पर उपलब्ध अध्ययन सामग्री, ई-मेल संदेश आदि।
 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
ई-लर्निग किसे कहते हैं ? ई-लर्निग के लाभ व हानियाँ बताइए।
उत्तर:
ई-लर्निग (e-learning) – इसको इलेक्ट्रॉनिक लर्निग (Electronic Learning) डिस्टेन्स लर्निग (Distance Learning), डिस्टेन्स एज्युकेशन (Distance Education), आभासी लर्निग (Virtual Learning), ऑन-लाइन लर्निग (On Line Learning), ऑन-लाइन शिक्षा (On line Education) तथा वेब आधारित प्रशिक्षण (Web based Training) के नाम से भी जाना जाता है। इलैक्ट्रोनिक तरीकों के द्वारा सीखने, प्रशिक्षण या शिक्षा के प्रोग्रामों का प्रतिपादन करना ही ई-लर्निंग कहलाता है। ई-लर्निग में प्रशिक्षण, शैक्षणिक या सीखने की सामग्री को कम्प्यूटर या इलेक्ट्रोनिक युक्ति के उपयोग से उपलब्ध कराई जाती है। ई-लर्निग के लाभ (Advantage of e-learning)
प्रशिक्षु जब तक विषयवस्तु को समझ नहीं लेता है तब तक वह इसकी पुनरावृत्ति कर सकता है।
यह इंटरएक्टिव (Interactive) होती है तथा प्रशिक्षु अपनी समझने की गति से प्रशिक्षण प्राप्त कर सकता है।
प्रशिक्षण प्रतिपादन आसान तथा कम खर्चीला (Affordable) होता है।
सीखने का पर्यावरण अन्वेषी (Exploratory) तथा सहयोगात्मक (Collaborative) होता है।
प्रशिक्षु अपनी सुविधानुसार किसी भी समय प्रशिक्षण प्राप्त कर सकता है।
प्रशिक्षण सामग्री को किसी भी प्लेटफार्म (जैसे–विंडो, युनिक्स, मैक आदि) पर उपलब्ध वेब ब्राउजर सॉफ्टवेयर की सहायता से एक्सेस (Access) किया जा सकता है।
प्रशिक्षण सामग्री का सस्ते में विश्वभर में वितरण किया जा सकता है।
प्रशिक्षण इंटरनेट पर दिया जाता है, अतः यात्रा के समय व खर्च की बचत होती है।
प्रशिक्षक आसानी से विषय-वस्तु (Content) में परिवर्तन कर सकता है।
विषय-वस्तु (Content) के एक्सेस (access) को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।
प्रशिक्षु को अन्य प्रशिक्षण संसाधनों का सीधा एक्सेस उपलब्ध होता है। ई-लर्निग हानियाँ (Disdvantage of e-learning)
प्रशिक्षु को कम्प्यूटर की आधारभूत जानकारी होनी चाहिए।
प्रशिक्षण की क्रिया विधि बैंडविड्थ तथा ब्राउजर के कारण सीमित हो जाती है।
आजकल उपलब्ध ब्राउजरों में विषय-वस्तु की सीमित फॉरमेंटिग संभव होती है।
प्रशिक्षण अनुप्रयोग तथा विषय-वस्तु को डाउनलोड करने में समय लगता है।
प्रशिक्षु का मूल्यांकन तथा पुनर्निवेश सीमित होता है।
प्रशिक्षण सामग्री तैयार करने में समय लगता है तथा इसको तैयार करने का प्रारंभिक खर्च अधिक होता है।
प्रश्न 2.
इन्टरनेट बैंकिंग के समय कौन-कौन सी सावधानियाँ रखी जानी आवश्यक हैं?
उत्तर:
इन्टरनेट बैंकिंग के प्रयोग के दौरान रखी जाने वाली सावधानियाँआजकल फिशिंग द्वारा तकनीक के दुरुपयोग से इंटरनेट के जालसाज, लोगों के खातों को हैक कर उन्हें हानि पहुँचा रहे हैं। ऐसे में आवश्यक है कि इंटरनेट बैंकिंग के प्रयोग में निम्न सावधानियाँ बरती जाएँ
इन्टरनेट बैंकिंग के लिये आपको जारी किया गया पासवर्ड किसी अन्य को न बताएँ।
आप अपने पासवर्ड को कहीं लिखकर न रखें।
इन्टरनेट बैंकिंग का लिंक हमेशा बैंक की वेबसाइट पर जाकर ही खोलें, किसी अन्य द्वारा भेजे गए ई-मेल एसएमएस इत्यादि से प्राप्त लिंक से कभी भी इन्टरनेट बैंकिंग का प्रयोग न करें।
किसी भी व्यक्ति के फोन करने पर उसे अपने बैंक खाते का पासवर्ड या अन्य गुप्त जानकारियाँ न बताएँ।
बैंक से लेन-देन के दौरान आपको अस्थाई पासवर्ड (OTP-One Time Password) भी भेजा जायेगा, यह सिर्फ एक समय के उपयोग के लिए होगा। इसे भी किसी अन्य को न बताएँ।
इन्टरनेट बैंकिंग खाते के प्रयोग के बाद उसे लॉग-आउट कर दें।
अपना मोबाइल नंबर और ई-मेल आई डी जरूर बैंक में दर्ज करवाएँ, जिससे आपके खाते में होने वाले सभी लेन-देन की सूचना तुरंत आपको मिल जायेगी।
अपने डेबिट कार्ड, एटीएम इत्यादि को संभाल कर रखें तथा खो जाने पर तुरन्त बैंक को सूचित करें।
अपने ब्राउजर में इन्टरनेट बैंकिंग के प्रयोग के समय ध्यान दें कि एड्रेस बार का रंग हरा हो गया है, एड्रेस में https है। न कि सिर्फ http और पैड लॉक (ताले का चिह्न) दिखाई दे रहा है या नहीं। ये सभी सुरक्षित लेन-देन के लिए आवश्यक हैं। इनके बिना ऑन लाइन लेन-देन न करें। पैडलॉक पर क्लिक करके आप उस वेबसाइट का सुरक्षा । प्रमाण पत्र देख सकते हैं।
हमेशा आपके बैंक की वेबसाइट का सही एड्रेस टाइप करें और उस पर ध्यान भी दें। जैसे कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की ऑनलाइन बैंकिंग की वेबसाइट https:// www.onlinesbi.com/ यदि आप इसकी जगह कुछ और टाइप करते हैं या किसी सर्च इंजन द्वारा इसे खोजते हैं तो किसी अन्य वेबसाइट पर भी पहुँच सकते हैं जो उस बैंक से सम्बन्धित नहीं है। (जैसे की http://www.sbionline.com/)
लाटरी या किसी इनाम सम्बन्धी ई-मेल एसएमएस इत्यादि से बचें। इनका उत्तर कभी न दें और फोरन डिलीट कर दें। आप इनकी शिकायत उस संस्था में भी कर सकते हैं जहाँ से ये ई-मेल आने का दावा करते हैं।
इंटरनेट बैंकिंग के लिए इंटरनेट कैफे और साझे कम्प्यूटर का प्रयोग कम करें और यदि कैफे या साझे कम्प्यूटर से प्रयोग करते भी हैं, तो अपना पासवर्ड नियमित रूप से बदलते रहें।
अपने कम्प्यूटर अथवा लैपटॉप को हमेशा नये एंटी-वायरस से युक्त रखें क्योंकि वायरस और अन्य सॉफ्टवेयर आपके कम्प्यूटर और आपके इंटरनेट उपयोग की जानकारी हैकर को भेज सकते हैं।
किसी भी प्रकार की जानकारी या संदेह होने पर बैंक के फोन नंबर पर कॉल करके तुरन्त सूचना दें।
प्रश्न 3.
इन्टरनेट बैंकिंग के लाभ और खतरे बताइए।
उत्तर:
इन्टरनेट बैंकिंग के लाभ-इन्टरनेट बैंकिंग हमें अपने लगभग सभी बैंकिंग लेन-देन और सेवाओं के लिये बैंक की शाखा में जाने की परेशानी से मुक्ति दिलाती है। इसके माध्यम से हम निम्न सभी बैंकिंग कार्य घर बैठे या कहीं से भी सम्पन्न कर सकते हैं। अपने खाते से किसी अन्य के खाते में पैसे भेजना-इन्टरनेट बैंकिंग के माध्यम से हम किसी भी दूसरे व्यक्ति के खाते में तुरन्त पैसे भेज सकते हैं। आजकल बैंक कई प्रकार की नयी सेवाएँ उपलब्ध करवा रहे हैं, जो कि निम्न प्रकार हैं
अपने खाते की शेष राशि की जानकारी लेना।
अपने खाते में हुए लेन-देन की बैंक स्टेटमेंट देखना।
नया एफ-डी या अन्य खाता खोलना।
मोबाइल रिचार्ज करना।
बिजली, पानी, डिश टीवी व अन्य बिलों का घर बैठे भुगतान करना।
अपने खाते का स्टेटमेंट डाउनलोड करना।
चेक बुक आर्डर करना।
ऑनलाइन खरीददारी करना।
बैंक से किसी भी उपलब्ध बैंकिंग सेवा की माँग करना या शिकायत दर्ज करवाना।
अपने खाते की जानकारियाँ देखना या उससे कुछ परिवर्तन करना।
शेयर बाजार और अन्य विभिन्न निवेश ऑनलाइन करना।
बस, रेल व अन्य टिकट इन्टरनेट से बुक करवाना।
अपना टैक्स व अन्य भुगतान ऑनलाइन करना।
ऑन लाइन डिमांड ड्राफ्ट के लिये फॉर्म भरना।
अपने लोन व अन्य खातों का विवरण देखना।
जीवन बीमा, वाहन बीमा व अन्य बैंकिंग सेवाएँ और उत्पाद ऑन लाइन खरीदना।
इन्टरनेट बैंकिंग के खतरे –
बैंक की वेबसाइट पर इन्टरनेट बैंकिंग के लिए दिए लिंक पर तीन बार से अधिक गलत यूजर आईडी और पासवर्ड डालने से अधिक प्रयास से अकाउण्ट बैंक द्वारा ब्लॉक कर दिया जाता है।
प्रथम बार लोगिन रजिस्ट्रेशन पर, अधिकतर बैंक आपको एक नया पासवर्ड सेट करने के लिये कहते हैं। यहाँ आप एक ऐसा पासवर्ड सेट न करें जो किसी अन्य के लिये अनुमान लगाना आसान हो जाए अन्यथा आपका अकाउण्ट हैक किया जा सकता है।
गलत यूजर आई डी और पासवर्ड डालने के बाद आप अपने बैंक खाते में इन्टरनेट के माध्यम से प्रवेश नहीं कर पाएँगे और बैंकिंग सेवाओं का उपयोग नहीं कर सकेंगे।
प्रश्न 4.
ई-वाणिज्य क्या है ? इसके लाभ बताइए।
उत्तर:
ई-वाणिज्य (e-commerce) – इसका अर्थ है इन्टरनेट के माध्यम से व्यापार करना। ई-वाणिज्य, उन वृहद परास ऑनलाइन व्यापारिक कार्यों को इंगित करता है। जिनमें उत्पाद एवं सेवा खरीदी व बेची जाती है। ई-व्यापार, ई-बैंकिंग, ई-शापिंग आदि ई-वाणिज्य के ही भाग हैं। इलैक्ट्रोनिकं वाणिज्य की व्यापक परिभाषा निम्न हैसंगठनों के मध्य तथा व्यापारिक संगठन एवं व्यक्ति विशेष के मध्य व्यापारिक गतिविधियों की उत्पत्ति, बदलाव एवं सम्बन्धों की पुनः- परिभाषा के लिए इलैक्ट्रोनिक संचार माध्यम तथा डिजिटल सूचना प्रसंस्करणं तकनीकों का उपयोग ई-वाणिज्य कहलाता है। ई-वाणिज्य के लाभ (Advantage of e-commerce)ई-वाणिज्य के मुख्य लाभ निम्नलिखित हैं
वस्तु एवं सेवाओं को चुनने से पूर्व क्रेता घर बैठे विभिन्न विक्रेताओं की वेबसाइट पर जाकर उसकी विशेषताओं व कीमतों आदि की तुलना कर सकते हैं।
ई-वाणिज्य से उत्पादक तथा क्रेता के मध्य मध्यस्थों की श्रृंखला छोटी हो जाती है तथा विपणन लागत में कमी आ जाती है। जिससे उत्पादक, क्रेताओं को तुलनात्मक रूप में कम मूल्य पर वस्तु को क्रय करने के अवसर प्रदान करते हैं।
ई-वाणिज्य में व्यापरिक सूचनाओं का आदान-प्रदान इंटरनेट के माध्यम से ऑनलाइन होता है जिससे व्यापारिक सूचनाओं के आदान-प्रदान की लागत व समय में कमी आती है।
ई-वाणिज्य से व्यापार में खर्चीले शो-रूम, कमीशन एजेंट व सेल्समैन की आवश्यकता नहीं होती। फलस्वरूप परम्परागत व्यवसाय की तुलना में विपणन लागत कम हो जाती है तथा विपणन सुविधाजनक सरल व असरदार हो जाती है।
किसी भी स्थान से कोई भी व्यक्ति इन वेबसाइटों के माध्यम से उत्पादों एवं सेवाओं को प्राप्त कर सकता है।
ई-वाणिज्य ने लाइसेंस प्राप्त करने की क्रियाविधि, सरकार से सम्बन्धित अन्य कार्यकलाप तथा प्राप्ति प्रक्रिया (Procurement Process) को पारदर्शी बना दिया है।
प्रश्न 5.
परम्परागत तरीके से शासन और ई-शासन में से आप किसे पसन्द करेंगे ? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर:
ई-शासन (e-governance) और शासन (Governance) – 5 – 917249 (e-governance) and ई-सरकार (e-government) डिजिटल सरकार (Digital Government) ऑन-लाइन सरकार (On-line Government) या संबद्ध सरकर (Connected Government) के नाम से भी जाना जाता है। आम नागरिकों, कारोबारियों तथा कर्मचारियों के लाभ के लिए तकनीकों के उपयोग के माध्यम से सरकारी सेवाओं की पहुँच (Access) तथा निष्पादन (Delivery) को बढ़ावा देने की प्रक्रिया को ई-शासन कहते हैं। जबकि सीधे ही अर्थात् बिना किसी तकनीक के इन सेवाओं की पहुँच व निष्पादन का बढ़ावा देना ही शासन कहलाता है जो कि परम्परागत तरीका बना रहा है। हम ई-शासन तथा शासन में से ई-शासन को पसन्द करेंगे। इसके निम्नलिखित कारण हैं –
यह नागरिकों को सेवा प्रदान करने की सुविधा को सरल बनाता है।
यह सरकारी प्रबंधन की विभिन्न स्तरों (Layers) का विलोपन करता है।
नागरिकों, उद्यमियों तथा निचली स्तर के सरकारी कर्मचारियों को सूचना प्राप्त करना आसान बनाता है।
नागरिकों एवं उद्यमियों को कुछ दिनों या सप्ताहों की बजाय अल्पावधि (कुछ मिनटों या सेकंडों में) सेवा प्रदान कराता है।
सरकारी निकाय की उद्यम प्रक्रिया को पारदर्शीय सरल तथा मूल्य साधक बनाता है।
सरकारी के आंतरिक एवं बाह्य क्रिया-कलापों को नागरिकों की आवश्यकता के लिए शीघ्र उत्तर देने वाला (Rapid Responsive) बनाता है।
सरकारी कर्मचारियों को आसानी एवं निपुणता से तथा कार्य संपादन करने की क्षमता प्रदान करता है।
ऑन लाइन सुविधाओं के माध्यम से नागरिकों की राय जान कर शासन में भागीदारी को सुनिश्चित करता है।
प्रशासन को घूसखोरी व बिचौलियों से मुक्त बनाता है।
 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
 बहुचयनात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
डिजीटल इंडिया का विजन मुख्यतः कितने क्षेत्रों पर केन्द्रित है?
(अ) 3
(ब) 4
(स) 5
(द) 6
उत्तर:
(अ) 3
प्रश्न 2.
ई-मित्र द्वारा राज्य सरकार की कितनी सुविधाओं का लाभ उठाया जा सकता है?
(अ) 100
(ब) 105
(स) 110
(द) 115
उत्तर:
(ब) 105
प्रश्न 3.
ई-मित्र कियोस्कर से कितने तरह प्रमाण पत्र दिए जाते है –
(अ) 5
(ब) 7
(स) 10
(द) 12
उत्तर:
(स) 10
प्रश्न 4.
OTP का पूरा नाम है –
(अ) Online Transection Password
(ब) Online Transfer Password
(स) One Transfer Protection
(द) One Time Password
उत्तर:
(द) One Time Password
 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
ई-डिजाइनिंग में इस्तेमाल किए जाने वाले सॉफ्टवेयर का नाम लिखिए।
उत्तर:
कम्प्यूटर एडेड डिजाइन (CAD)
प्रश्न 2.
DEITY का पूरा नाम लिखो।
उत्तर:
DEITY = Department of Electronics and Information Technology.
प्रश्न 3.
डिजिटल इंडिया के प्रमुख तीन विजन कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
हर नागरिक के लिए उपयोगिता के तौर पर डिजिटल ढाँचा तैयार करना
माँग पर संचालन व सेवाएँ देना
नागरिकों को डिजिटल सशक्तिकरण
 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
सिन्क्रोनस लर्निग किसे कहते हैं ? समझाओ।
उत्तर:
सिंक्रोनस लर्निग में प्रशिक्षु एवम् प्रशिक्षक भौतिक रूप से दूर-दूर होने के बावजूद वास्तविक समय में एक दूसरे से अन्योन्य क्रिया (Interact) करते हैं। जैसे-लाइव रेडियो प्रसारण सुनना, लाइव टेलीविजन प्रसारण देखना, ऑडियो-वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, लाइव सैटेलाइट प्रसारण, ऑनलाइन लेक्चर आदि।
प्रश्न 2.
ई-मित्र क्या है ? इसके क्या-क्या लाभ हैं ?
उत्तर:
ई-मित्र राजस्थान सरकार द्वारा सरकार के विभिन्न कार्यों का फायदा उठाने के लिए सभी जिलों में ऑनलाइन तथा ऑफलाइन कार्य करने के लिए बनाई गई एक ई-गर्वनेंस योजना है। इसके निम्न लाभ हैं
जन्म-मृत्यु, विवाह, जाति प्रमाण पत्र, सरकारी योजना में आवेदन, पानी बिजली के नए कनेक्शन या स्कूल कॉलेज की फीस भरना, आदि ई-मित्र पर सम्भव हो चुका है।
जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, सर्टिफिकेट समेत 10 तरह के प्रमाण पत्र ई-मित्र कियोस्क पर उपलब्ध हैं।
इनके अलावा लर्निंग लाइसेंस तथा ड्राइविंग लाइसेंस, ड्राइविंग लाइसेंस का रिन्यूअल, डुप्लीकेट ड्राइविंग लाइसेंस, नई श्रेणी के ड्राइविंग लाइसेंस तथा इंटरनेशनल परमिट के लिए भी ई-मित्र पर आवेदन किया जा सकता है।
मूल निवास प्रमाण पत्र, पेंशनर्स का मेडिकल रिएमबर्समेंट, पुलिस वेरिफिकेशन, घरेलू नौकर का सत्यापन, किरायेदार का सत्यापन, हाउसिंग बोर्ड की मासिक किश्त, समाज कल्याण विभाग की योजनाएँ तथा ड्राइविंग लाइसेंस रिन्युअल, नया ड्राइविंग लाइसेंस और डुप्लीकेट आरसी समेत कई ऐसी सुविधाएँ हैं जो ई-मित्र पर उपलब्ध हैं।
समाज कल्याण विभाग, राजस्व, डिस्कॉम, कृषि समेत अनेक योजनाओं के लिए आवेदन फार्म ई-मित्र पर हैं। इसमें नया पानी-बिजली कनेक्शन, इंदिरा आवास योजना, मनरेगा में कार्य आवंटन, वोटर आईडी में संशोधन संबंधित आवेदन किए जा सकते हैं।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
ई-शासन द्वारा उपलब्ध करवाई जाने वाली प्रमुख सेवाओं का वर्णन करो।
उत्तर:
ई-शासन का मुख्य उद्देश्य सरकार द्वारा नागरिकों को एकल बिन्दु प्रतिपादन निकाय (Single Point Delivery System) के माध्यम से बेहतर सुविधाएँ उपलब्ध कराना है। ई-शासन द्वारा उपलब्ध करवाई जाने वाली प्रमुख सेवाएँ निम्न हैं – ई-नागरिक (e-citizen)-इसके अन्तर्गत सरकार समाकलित सेवा केन्द्रों (Integrated Service Centres) के माध्यम से नागरिकों को जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करना, राशन कार्ड व पासपोर्ट जारी करना, पानी, बिजली, टेलीफोन तथा मोबाइल आदि के बिल जमा करना तथा कर (Tax) जमा करने की सुविधा प्रदान करती है।
ई-परिवहन (e-transport) – इसके अंतर्गत सरकार नागरिकों को मोटर वाहन पंजीकरण, चालक आज्ञा पत्र (Driving License) जारी करना, कर व शुल्क जमा करने आदि की सुविधा प्रदान करती है। ई-औषधि (e-medicine) – इसके अंतर्गत सरकार देश के विभिन्न भागों में स्थित चिकित्सालयों (Hospitals) का नेटवर्क स्थापित कर नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करती है। ई-शिक्षा (e-education)-इंटरनेट तथा संचार माध्यम-जैसे-रेडियो, टेलीविजन आदि के द्वारा देश के विभिन्न हिस्सों मुख्यतः दूरस्थ स्थानों में स्थित नागरिकों को में शिक्षा की सुविधा प्रदान करना।
ई-पंजीकरण (e-registration)-इसके अंतर्गत सरकार नागरिकों को सम्पत्ति का पंजीकरण तथा स्थानान्तरण स्टाम्प ड्यूटी जमा कराने की सुविधा प्रदान करती है। ई-शासन सचिवालय (e-Secretariat)–विभिन्न शासन सचिवालय एवं सरकारी विभागों के मध्य नेटवर्क की स्थापना करना जिससे शासन के विभिन्न घटकों के मध्य सूचना के आदान-प्रदान से शासन प्रक्रिया सरल हो जाती है। ई-न्यायालय (e-court) ई-न्यायालय के अन्तर्गत सभी केसों तथा अपीलों का डाटाबेस तैयार किया जाता है तथा न्यायालय के इंटरनेट (Internet) पर उपलब्ध कराया जाता है।
इस प्रकार की व्यवस्था से उच्च न्यायालय तथा सर्वोच्च न्यायालय में अपीलों को टाला जा सकता है क्योंकि इसमें उच्च न्यायालय तथा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश आवश्यकता पड़ने पर इंटरनेट पर उपलब्ध जिला या सत्र न्यायालय के केस तथा केस के संदर्भ में दर्ज किये गये तथ्यों के आधार पर अपना निर्णय सुना सकते हैं। इसके अतिरिक्त केस के तथ्यों को दर्ज करने, फिंगर प्रिंटिंग, स्केनिंग तथा प्रमाणन आदि की ऑन लाइन सुविधा उपलब्ध कराता है। ई-प्रजातंत्र (e-democracy)-ई-प्रजातंत्र ई-शासन की वह धारण है जो नागरिकों की भूमिका शासन को सूचना देने वाले से बदलकर शासन में भागीदार बनाने का प्रयास करती
प्रश्न 2.
डिजिटल भारत कार्यक्रम की उपयोगिता पर प्रकाश डालो।
उत्तर:
डिजिटल भारत कार्यक्रम की उपयोगिता इस प्रकार है हर नागरिक के लिए उपयोगिता के तौर पर डिजिटल ढाँचे में ये उपलब्ध हैं-नागरिकों को सेवाएँ मुहैया कराने के लिए एक प्रमुख उपयोग के रूप में हाई स्पीड इंटरनेट, डिजिटल पहचान अंकित करने को ऐसा उद्गम स्थल जो अनोखा, ऑनलाइन और हर नागरिक के लिए प्रमाणित करने योग्य है, मोबाइल फोन व बैंक खाते की ऐसी सुविधा जिससे डिजिटल वे वित्तीय मामलों में नागरिकों की भागीदारी हो सके, साझा सेवा केन्द्र तक आसान पहुँच, पब्लिक क्लाउड पर साझा करने योग्य निजी स्थान और सुरक्षित साइबर-स्पेस। सभी विभागों और न्यायालयों में माँग पर समेकित सेवाओं समेत शासन और सेवाओं, ऑनलाइन और मोबाइल प्लेटफॉर्म पर सही समय पर सेवाओं की उपलब्धता, सभी नागरिकों को क्लाउड एप पर उपलब्ध रहने का अधिकार है।
डिजिटल तब्दील सेवाओं के जरिये व्यवसाय में सहजता करने, इलेक्ट्रॉनिक और नकदी रहित वित्तीय लेन-देन करने, निर्णय सहायता सिस्टम और विकास के लिए जीआईएस का फायदा उठाना। नागरिकों को डिजिटल सशक्त बनाने के साथ में सार्वभौमिक डिजिटल साक्षरता, सर्वत्र सुगम डिजिटल संसाधनों, डिजिटल संसाधनों सेवाओं की भारतीय भाषाओं में उपलब्धता, सुशासन के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्मों और पोर्टेबिलिटी के सभी अधिकारों को क्लाउड के जरिये सहयोग पूर्ण बनाना नागरिकों को शासकीय दस्तावेजों या प्रमाण-पत्रों आदि को उनकी मौजूदगी के बिना भी भरा जा सकेगा।

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