कक्षा 12वी भूगोल पर्यावरणीय समस्याएं एवम् समाधान का संपूर्ण महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर CLASS 12TH Geography environmental problems and solutions All Questions and Answer in Hindi - ULTIMATE STUDY SUPPORT

कक्षा 12वी भूगोल पर्यावरणीय समस्याएं एवम् समाधान  का संपूर्ण महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर CLASS 12TH Geography environmental problems and solutions All Questions and Answer in Hindi - ULTIMATE STUDY SUPPORT



प्रश्न 1.
अम्लीय वर्षा जल का pH मान होता है –
(अ) 5 से 2.5
(ब) 5 से 7.5 के बीच
(स) 7.5 से अधिक
(द) 2.5 से कम
प्रश्न 2.
अम्लीय वर्षा का सूत्र है –
(अ) SO2 + NO2
(ब) H2SO4
(स) NO2 + SO4
(द) HNO3 + SO
प्रश्न 3.
पराबैंगनी किरणों को रोकने का कार्य कौन-सा मण्डल करता है?
(अ) क्षोभ मण्डल
(ब) ओजोन मण्डल
(स) आयन मण्डल
(द) बाह्य मण्डल
प्रश्न 4.
मांट्रियल समझौता 1987 में किस पर बल दिया गया है?
(अ) ओजोन परत
(ब) जैव विविधता
(स) हरित गृह
(द) औद्योगिक प्रदूषण
प्रश्न 5.
प्रथम विश्व जलवायु सम्मेलन का आयोजन हुआ था –
(अ) जापान
(ब) वियना
(स) जेनेवा
(द) कनाडा
प्रश्न 6.
पृथ्वी शिखर सम्मेलन 1992 को आयोजन हुआ था –
(अ) रियो-डि-जेनिरो
(ब) जिनेवा
(स) स्विट्जरलैण्ड
(द) कोपेन हेगन
प्रश्न 7.
विश्व जैव-विविधता दिवस मनाया जाता है –
(अ) 5 जून
(ब) 11 जुलाई
(स) 22 मई
(द) 16 सितम्बर
उत्तरमाला:
1. (अ), 2. (ब), 3. (ब), 4. (अ), 5. (स), 6. (अ), 7. (स).
RBSE Class 12 Geography Chapter 12 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
क्योटो शहर किस देश में स्थित है?
उत्तर:
क्योटो शहर जापान देश में स्थित है।
प्रश्न 2.
सबसे गर्म दशक किस दशक को घोषित किया गया है।
उत्तर:
2001 – 10 के दशक को सबसे गर्म दशक घोषित किया गया है।
प्रश्न 3.
नाशा दुआ में IPCC का अध्यक्ष किसे निर्वाचित किया गया?
उत्तर:
इण्डोनेशिया के बाली द्वीप में स्थित नाशा दुआ नगर में सन् 2007 में आई. पी. सी. सी. (इण्टर गवर्नमेण्ट पैनल ऑफ क्लाइमेटिक चेन्ज) का अध्यक्ष भारतवंशी राजेन्द्र पचौरी को निर्वाचित किया गया।
प्रश्न 4.
द्वितीय विश्व शिखर सम्मेलन का आयोजन कहाँ किया गया?
उत्तर:
द्वितीय पृथ्वी शिखर सम्मेलन न्यूयार्क में आयोजित किया गया।
प्रश्न 5.
हरित कोष का निर्माण किस सम्मेलन में किया गया?
उत्तर:
हरित कोष का निर्माण कार्नकून (मैक्सिको) सम्मेलन में किया गया।
RBSE Class 12 Geography Chapter 12 लघुत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
अम्लीय वर्षा के कोई दो कारण लिखिए।
उत्तर:
अम्लीय वर्षा का प्रमुख कारण नाइट्रोजन ऑक्साइड NO2 सल्फर डाइऑक्साइड SO2 आदि गैस अम्लीय वर्षा के लिए प्रमुख रूप से उत्तरादायी है। सल्फर डाइऑक्साइड से अम्लीय वर्षा होने के निम्नलिखित दो कारण महत्वपूर्ण हैं –
स्वचालित वाहनों तथा कोयला विद्युत संयन्त्रों से भारी मात्रा में उत्सर्जित की जाने वाली सल्फर डाइऑक्साइड।
जीवाश्म ईंधनों के दहन से उत्सर्जित संल्फर डाइऑक्साइड।
प्रश्न 2.
हरित गृह प्रभाव के दुष्परिणाम बताइए।
उत्तर:
हरित गृह प्रभाव के बढ़ने से समस्त विश्व के औसत तापमान में लगातार वृद्धि होती जा रही है।
विश्व के कुछ देशों में वर्षा अधिक होगी, जबकि अन्य देशों में औसत से कम वर्षा होगी।
पृथ्वी के औसत तापमान में केवल 0.5° सेग्रे. से 1.5° सेग्रे. वृद्धि होने से हिम क्षेत्रों की बर्फ तेजी से पिघलेगी जबकि समुद्रतटीय मैदानों में बाढ़ आएँगी।
घास क्षेत्रों तथा वन क्षेत्रों की सीमाओं में परिवर्तन होंगे तथा अफ्रीका के मरुस्थलीय भागों में अकाल की सम्भावना बढ़ जाएगी।
तापमान बढ़ने से मलेरिया तथा अन्य बीमारियों में वृद्धि की सम्भावना बढ़ जाएगी।
प्रश्न 3.
जल प्रदूषण के बचाव के उपाय लिखिए।
उत्तर:
जल-प्रदूषण के बचाव के प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं
जल-मल के निस्तारण हेतु सभी नगरों में सीवर शोधन संयन्त्रों की स्थापना की जाए।
औद्योगिक अपशिष्ट युक्त जल उपचार करने के बाद उद्योगों में पुन: उपयोग में लाया जाए।
रासायनिक कृषि के स्थान पर जैविक कृषि को अधिकाधिक प्रोत्साहन प्रदान किया जाए।
नदियों में मृत पशुओं के शवों के विसर्जन को पूर्णतया प्रतिबन्धित किया जाए तथा नदियों के किनारे उपयुक्त स्थलों पर विद्युत शवदाह गृहों की स्थापना की जाए।
प्रश्न 4.
चीन रेड अलर्ट क्या है?
उत्तर:
30 नवम्बर 2015 को चीन के 23 नगरों का लगभग 5.3 लाख वर्ग किमी क्षेत्र गहरे धुंध में लिपट गया। चीन ने इससे बचाव के लिए रेड अलर्ट जारी कर दिया जिसके अन्तर्गत औद्योगिक संयन्त्रों के उत्पादन में कटौती या पूर्णतः बंद कर दिया गया। सड़कों पर परिवहन में प्रयुक्त वाहनों का आवागमन बन्द कर दिया गया। चीन के 200 से अधिक एक्सप्रेस हाईवे पर यातायात को भी प्रतिबन्धित कर दिया गया।
RBSE Class 12 Geography Chapter 12 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
ग्रीन हाउस प्रभाव पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
ग्रीन हाउस प्रभाव एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा पृथ्वी के वातावरण में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड तथा मीथेन जैसी ग्रीन हाउस गैसें पृथ्वी के तापमान को बढ़ाने में मदद करती हैं। ग्रीन हाउस प्रभाव एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके अन्तर्गत सूर्य से आने वाले तापमान को पृथ्वी द्वारा रोक तो लिया जाता है। लेकिन उस तापमान का वायुमण्डल से बाहर निष्कासन नहीं हो पाता। इस प्रक्रिया से पृथ्वी के ताप में वृद्धि होने लगती है। ग्रीन हाउस प्रभाव ( हरित गृह प्रभाव) के कारणग्रीन हाउस प्रभाव के लिए निम्नलिखित कारण प्रमुख रूप से उत्तरदायी हैं –
उद्योगों में कोयले तथा पेट्रोलियम का बढ़ता उपयोग।
वनों का विनाश किए जाने से वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में हो रही वृद्धि।
लकड़ी, कोयला आदि जीवश्म ईंधन के दहन से वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड की बढ़ती मात्रा।
रेफ्रिजेरेटर तथा एयर कंडीशनर्स के प्रयोग से वायुमण्डल में क्लोरो फ्लोरो-कार्बन (सी.एफ.सी.) की बढ़ती मात्रा।
ग्रीन हाउस प्रभाव के दुष्परिणाम:
पिछले 100 वर्षों में वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन तथा नाइट्रस ऑक्साइड नामक गैसों की मात्रा में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है जिससे पृथ्वी पर ग्रीन हाउस प्रभाव में वृद्धि हुई है तथा ग्रीन हाउस प्रभाव के कारण पृथ्वी सतत् रूप से गर्म होती जा रही है। ग्रीन हाउस प्रभाव के दुष्परिणामों में निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण हैं –
समस्त विश्व के औसत तापमान में वृद्धि अनुभव की जा रही है। सूर्य की तीव्र रोशनी तथा ऑक्सीजन की कमी का प्रतिकूल प्रभाव वृक्षों की वृद्धि पर पड़ रहा है।
ग्रीन हाउस प्रभाव के प्रभावी होने पर कुछ क्षेत्रों में बाढ़े आयेगी तथा कुछ देशों में सूखा पड़ेगा।
ग्रीन हाउस प्रभाव के परिणामस्वरूप पृथ्वी के औसत तापमान में केवल 0.5° सेग्रे. से 1.5 सेग्रे. तापमान की वृद्धि होने पर विश्व के विशाल हिमनद व हिम टोपियाँ तेजी से पिघलेगी तथा उससे एक ओर कुछ समुद्र तटीय मैदानों में बाढ़ आएंगी तो दूसरी ओर सागर का जल स्तर बढ़ने से सागर के सैकड़ों द्वीप जलमग्न हो जाएंगे।
विश्व के महत्त्वपूर्ण घास क्षेत्रों तथा वन क्षेत्रों की सीमाओं में परिवर्तन होगा तथा अफ्रीका के रेगिस्तानी भागों में अकाल पड़ सकता है।
इससे कीट जनित बीमारियों विशेष रूप से मलेरिया रोग में वृद्धि होने की सम्भावना है।
वैश्विक तापमान में वृद्धि होने से विश्व की 80 प्रतिशत जैव विविधता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेंगे।
मौसम चक्र के प्रभावित होने से खाद्यान्न संकट का सामना करना पड़ सकता है।
ग्रीन हाउस प्रभाव को कम करने के उपाय (संभावित समाधान):
जीवश्म ईंधन का कम उपयोग करना।
वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर में संतुलन कायम रखने के लिए अधिकाधिक वृक्षारोपण करना।
क्लोरोफ्लोरो-कार्बन के प्रयोग को प्रतिबन्धित करना।
प्रश्न 2.
अम्लीय वर्षा के कारण, प्रभाव एवं संभावित समाधान को विस्तार से समझाइये।
उत्तर:
अम्लीय वर्षा के कारण:
अम्लीय वर्षा ऐसी वर्षा है जिसमें सल्फर डाइऑक्साइड अम्लीय वर्षा होने का प्रमुख कारण है। वायुमण्डल में अधिकाधिक मात्रा में छोड़े जाने वाली सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) गैसें जो वायुमण्डल में पानी (H2O) से तथा नाइट्रोजन ऑक्साइड (NO2) से प्रतिक्रिया कर क्रमशः सल्फ्यूरिक अम्ल H2SO4 तथा नाइट्रिक अम्ल HNO3 का निर्माण करती है। वायुमण्डल में सल्फर डाइऑक्साइड छोड़े जाने के निम्नलिखित स्रोत हैं –
ऑटोमोबाइल तथा स्वचालित वाहन।
कोयला आधारित तापीय विद्युत गृह।
खनिज तेल शोधन शालाएँ।
जीवाश्म ईंधन (कोयला, पेट्रोलियम तथा लकड़ी) का दहन।
अम्लीय वर्षा के प्रभाव: अम्लीय वर्षा प्रभावित क्षेत्रों में अम्लीय वर्षा के निम्नलिखित प्रभाव देखने को मिलते हैं –
अम्लीय जल के प्रभाव से मिट्टी में अम्लीयता बढ़ जाती है। साथ ही, मिट्टी के खनिज व पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। जिससे मिट्टी की उत्पादकता कम हो जाती है।
अम्लीय वर्षा के उत्तरदायी कारक वायु के वेग के साथ हजारों किमी दूर तक बह जाते है तथा वहाँ आर्द्रता पाकर अम्लीय वर्षा के रूप में बरसते हैं।
पेयजल भण्डार दूषित हो जाते हैं।
मानव में श्वसन तथा त्वचा सम्बन्धी बीमारियाँ हो जाती हैं तथा आँखों में जलन की समस्या उत्पन्न होने लगती है।
वृक्षों की पत्तियों के स्टोमेटा बन्द हो जाते हैं जिससे इन वृक्षों की अनेक जैविक क्रियाएँ मंद पड़ जाती हैं। इस प्रकार अम्लीय वर्षा से वनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
झीलों तथा नदियों का जल अम्लीय वर्षा से प्रदूषित हो जाता है जिसका प्रतिकूल प्रभाव इनमें निवासित जलीय जीवों पर पड़ता है। नार्वे तथा स्वीड़न की अनेक झीलों में अम्लीय वर्षा के प्रभाव से अधिकांश जलीय जीव समाप्त हो गए।
पत्थर तथा संगमरमर में क्षरण प्रारम्भ हो जाता है। आगरा का ताजमहल अम्लीय वर्षा के प्रभाव से धुंधला पड़ता जा रहा है।
संभावित समाधान:
अम्लीय वर्षा के लिए उत्तरदायी सल्फर डाइ: ऑक्साइड तथा नाइट्रोजन ऑक्साइड के उत्सर्जन को प्रभावी ढंग से नियन्त्रित किया जाए। उद्योगों में स्क्रबर्स का उपयोग किया जाए तथा बैग फिल्टर व कोलाइडल टैंक निर्मित किए जाएँ।
ऊर्जा के गैर परम्परागत स्रोत: जैसे-सौर ऊर्जा तथा पवन ऊर्जा को अधिकाधिक बढ़ावा दिया जाए।
स्वचालित वाहनों की समय: समय पर प्रदूषण जाँच करायी जाए तथा व्यक्तिगत वाहनों के प्रयोग को कम किया जाए।
अम्लीयता प्रभावित जल तथा मिट्टी की अम्लीयता को समाप्त करने के लिए जल तथा मिट्टी में चूने का प्रयोग किया जाए।
प्रश्न 3.
विश्व पर्यावरण की रक्षा हेतु प्रसिद्ध सम्मेलनों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
विश्व पर्यावरण की सुरक्षा हेतु संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा आयोजित प्रसिद्ध अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन निम्नलिखित –
स्टॉक होम सम्मेलन: 5 जून 1972 को स्वीडन के स्टॉकहोम नगर में विश्व में पर्यावरणीय संकट को दूर करने के लिए 25 सूत्रीय घोषणा पत्र तैयार किया गया। उक्त सम्मेलन के बाद से ही 5 जून को प्रति वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।
विश्व जलवायु सम्मेलन (1979): विश्व का प्रथम जलवायु सम्मेलन स्विट्जरलैण्ड के जेनेवा नगर में आयोजित किया गया।
वियना सम्मेलन (1985): ऑस्ट्रिया के वियना नगर में ओजोन परत के संरक्षण के लिए इस सम्मेलन का आयोजन किया गया।
मांट्रियल समझौता: संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के तत्वावधान में सन् 1987 में विश्व के 33 देशों ने एक समझौते पर कनाडा के मांट्रियल नगर में हस्ताक्षर किये जिसके अन्तर्गत ओजोन परत के क्षरण को रोकने के लिए क्लोरोफ्लोरो-कार्बन सहित अन्य ओजोन हानिकारक गैसों के उत्सर्जन में भारी कटौती पर सहमति बनी।
टोरेन्टो वर्ल्ड कांफ्रेंस: जून 1988 में कनाडा के टोरन्टो नगर में हरित गृह प्रभाव को कम करने के उद्देश्य से विश्व के विकासशील राष्ट्रों से स्वेच्छा से क्लोरो-फ्लोरो-कार्बन के उत्सर्जन में सन् 2005 तक 20 प्रतिशत कटौती करने की अपेक्षा की गई।
पृथ्वी शिखर सम्मेलन: 3 से 14 जून 1992 में ब्राजील के रियो-डि-जेनेरो नगर में आयोजित प्रथम शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें विश्व के 178 देशों के प्रतिनिधियों ने भागीदारी की। इस सम्मेलन में निम्नलिखित मुद्दों पर आम सहमति बनी –
भूमंडलीय तापन को रोकना।
वन संरक्षण को प्रोत्साहन प्रदान करना।
जैव-विविधता संरक्षण के लिए प्रभावी उपायों का क्रियान्वयन करना।
पारिस्थितिक तन्त्रों की अखण्डता तथा गुणवत्ता की बहाली, सुरक्षा तथा संरक्षण के लिए विभिन्न देशों द्वारा परस्पर सहयोग प्रदान करना।
उक्त कार्यों हेतु वैश्विक पर्यावरण सुविधा कोष तथा विश्व पर्यावरण कोष की स्थापना।
क्योटो सम्मेलन:
1-11 दिसम्बर 1997 को जापान के क्योटो नगर में विश्व पर्यावरण सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसे क्योटो प्रोटोकोल या ग्रीन हाउस सम्मेलन के नाम से भी जाना जाता है। इस सम्मेलन में भारत सहित विश्व के 159 देशों ने सहभागिता कर पृथ्वी को ग्रीन हाउस प्रभाव से बचाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किये जिसके अन्तर्गत ग्रीन हाउस प्रभाव के लिए उत्तरदायी कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, हाइड्रोक्लोरो कार्बन, नाइट्रस ऑक्साइड, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन तथा सल्फर हेक्साक्लोराइड नामक गैसों के उत्सर्जन पर सन् 2008 से 2012 तक की अवधि में (सन् 1990 के उत्सर्जन स्तर से) प्रति वर्ष औसतन 5 प्रतिशत प्रतिवर्ष की कटौती का प्रावधान रखा गया जबकि यूरोपीय संघ के देशों, संयुक्त राज्य अमेरिका तथा जापान में यह कटौती क्रमशः 8, 7 तथा 6 प्रतिशत की होगी।
विश्व पृथ्वी सम्मेलन:
न्यूयार्क स्थित संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय पर विश्व के 170 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों ने दिसम्बर 2015 में हुए पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते पर 22 अप्रैल 2016 को पृथ्वी दिवस के अवसर पर हस्ताक्षर किए। यह ऐतिहासिक समझौता सन् 2030 के एजेन्डे के साथ मिलकर सतत् विकास के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके अलावा 12 दिसम्बर 2015 को फ्रांस की राजधानी पेरिस में हुए संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन तथा कृषि के सतत् विकास विषयों पर विश्व परिवर्तन समझौता हुआ।
RBSE Class 12 Geography Chapter 12 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
RBSE Class 12 Geography Chapter 12 बहुंचयनात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
वायु प्रदूषण उत्तरदायी है –
(अ) ओजोन परत के क्षरण के लिए।
(ब) ग्रीन हाउस प्रभाव के लिए
(स) जलवायु परिवर्तन के लिए।
(द) इन सभी के लिए
प्रश्न 2.
30 नवम्बर, 2015 को चीन में रेड अर्लट जारी करने का कारण था –
(अ) रेडियोधर्मी प्रदूषण
(ब) वायु प्रदूषण
(स) जल प्रदूषण
(द) अम्लीय वर्षा
प्रश्न 3.
भारत सरकार द्वारा वाहन जनित वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए 1 अप्रैल, 2017 से निम्नलिखित में से किस ग्रेड का पेट्रोलियम उपलब्ध कराया जा रहा है?
(अ) बी एस-2
(ब) बी एस-3
(स) बी एस-4
(द) बी एस-5
प्रश्न 4.
वायु प्रदूषणजन्य रोग निम्नलिखित में से कौन-सा है?
(अ) अतिसार
(ब) हेपेटाइटिस
(स) फेफड़ों के रोग
(द) मलेरिया
प्रश्न 5.
धूम्र कुहरा सम्बन्धित होता है –
(अ) जल प्रदूषण से
(ब) अम्लीय वर्षा से
(स) ध्वनि प्रदूषण से
(द) वायु प्रदूषण से
प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से कौन-सा अम्ल वर्षा का एक कारण है?
(अ) जल प्रदूषण
(ब) भूमि प्रदूषण
(स) शोर प्रदूषण
(द) वायु प्रदूषण
प्रश्न 7.
निम्नलिखित में से कौन-सा रोग जल जन्य है?
(अ) नेत्रश्लेष्मलाशोथ
(ब) डायरिया
(स) श्वसन संक्रमण
(द) श्वासनली शोथ
प्रश्न 8.
भारत में नमामि गंगे परियोजना प्रारम्भ की गई –
(अ) 7 जुलाई, 2016 को
(ब) 8 अगस्त, 2016 को
(स) 7 सितम्बर, 2016 को
(द) 8 नवम्बर, 2016 को
प्रश्न 9.
ध्वनि प्रदूषण की सबसे बड़ा स्रोत है –
(अ) वाहनों का संचालन
(ब) लाउडस्पीकर
(स) परमाणु विस्फोट
(द) ज्वालामुखी विस्फोट
प्रश्न 10.
डेसीबल इकाई है –
(अ) वायुदाब की
(ब) शोर के स्तर की
(स) वायु ताप की
(द) सापेक्षिक आर्द्रता की
प्रश्न 11.
निम्नलिखित में से सर्वाधिक प्रदूषित नदी कौन-सी है?
(अ) ब्रह्मपुत्र
(ब) सतलजे
(स) यमुना
(द) गोदावरी
प्रश्न 12.
अम्लीय वर्षा के जल में घुले होते हैं –
(अ) सल्फर डाई-आक्साइड गैस
(ब) कार्बन मोनो-ऑक्साइड गैस
(स) नाइट्रस ऑक्साइड गैस
(द) ये सभी
प्रश्न 13.
पत्थर व संगमरमर पर सर्वाधिक प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है –
(अ) वायु प्रदूषण से
(ब) पराबैंगनी किरणों से
(स) अम्लीय वर्षा से
(द) भूमण्डलीय तापन से
प्रश्न 14.
ग्रीन हाउस प्रभाव से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र है –
(अ) दक्षिणी एशिया
(ब) पूर्वी एशिया
(स) पश्चिमी यूरोप
(द) दक्षिणी यूरोप
प्रश्न 15.
वर्तमान में हिमनदों के पीछे हटने की गति है –
(अ) 1.7 मिमी प्रतिवर्ष
(ब) 2.2 मिमी प्रतिवर्ष
(स) 2.5 मिमी प्रतिवर्ष
(द) 2.8 मिमी प्रतिवर्ष
प्रश्न 16.
ओजोन परत के क्षरण के लिए सर्वाधिक उत्तरादायी गैस है –
(अ) कार्बन डाइऑक्साइड
(ब) नाइट्रस ऑक्साइड
(स) क्लोरो-फ्लोरो-कार्बन
(द) सल्फर डाइऑक्साइड
प्रश्न 17.
विश्व ओजोन दिवस है –
(अ) 22 मई
(ब) 16 सितम्बर
(स) 2 दिसम्बर
(द) 5 दिसम्बर
प्रश्न 18.
ट्रैफिक (TRAFFIC) नामक संगठन का मुख्य उद्देश्य है –
(अ) जैव विविधता की सुरक्षा
(ब) पादप व जन्तुओं के अवैध व्यापार पर नियन्त्रण
(स) ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन पर नियन्त्रण
(द) ओजोन परत की सुरक्षा
प्रश्न 19.
फ्रेऑन सबसे अधिक घातक क्लोरो-फ्लोरो-कार्बन है जिसका उपयोग होता है –
(अ) रेफ्रिजरेटरों में
(ब) एयर कंडीशनरों में
(स) फोम निर्माण में
(द) इन सभी में
प्रश्न 20.
विश्व पृथ्वी दिवस है –
(अ) 18 अप्रैल
(ब) 22 अप्रैल
(स) 22 मई
(द) 5 जून
प्रश्न 21.
नीरी (NEERI) नामक संस्था अवस्थित है –
(अ) नागपुर में
(ब) देहरादून में
(स) मुम्बई में
(द) कोलकाता में
प्रश्न 22.
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) का मुख्यालय है –
(अ) जेनेवा में
(ब) न्यूयार्क में
(स) नैरोबी में
(द) वियना में
सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न
निम्न में स्तम्भ अ को स्तम्भ ब से सुमेलित कीजिए –
स्तम्भ (अ)
(संगठन)स्तम्भ (ब)
(मुख्यालय)(i) संयुक्त राष्ट्रीय पर्यावरण कार्यक्रम(अ) जोधपुर(ii) काजरी(ब) स्विट्जरलैण्ड(iii) डब्ल्यू. डब्ल्यू. एफ. (WWF)(स) देहरादून(iv) भारतीय वन्यजीव संस्थान(द) नैरोबी
उत्तर:
(i) द (ii) अ (iii) ब (iv) स
RBSE Class 12 Geography Chapter 12 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
पर्यावरण से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
पर्यावरण शब्द का निर्माण दो शब्दों परि-आवरण से हुआ है। इसका शाब्दिक अर्थ है ‘बाहरी आवरण’ अर्थात् हमारे चारों ओर जो प्राकृतिक, भौतिक व सामाजिक आवरण है, वही पर्यावरण कहलाता है।
प्रश्न 2.
सी.सी. पाई ने पर्यावरण की क्या परिभाषा दी है?
उत्तर:
सी. सी. पाई के अनुसार, “मनुष्य एक विशेष स्थान पर विशेष समय पर जिन सम्पूर्ण परिस्थितियों से घिरा हुआ है, इसे पर्यावरण कहा जाता है।”
प्रश्न 3.
मानव व प्रकृति के मध्य असंतुलन बढ़ने से कौन-सी समस्याएँ उत्पन्न हो गयी हैं?
उत्तर:
मानव व प्रकृति के मध्ये असंतुलन बढ़ने से भूकम्प, ज्वालामुखी, अतिवृष्टि, अनावृष्टि, सूखा, जलवायु परिवर्तन, अम्लीय वर्षा, ग्रीन हाउस प्रभाव, ओजोन परत क्षरण, बंजर भूमि प्रदूषण व मरुस्थलीकरण जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो गई हैं।
प्रश्न 4.
पर्यावरणीय प्रदूषण से क्या आशय है?
उत्तर:
पर्यावरण की वह कोई भी परिवर्तन जो पर्यावरण की गिरावट में योगदान देता है तथा इससे मानव वे अन्य जीवों पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है, पर्यावरण प्रदूषण कहलाता है।
प्रश्न 5.
प्रदूषण क्या है?
अथवा
प्रदूषण किसे कहते हैं?
उत्तर:
वायु, जल व मृदा के भौतिक, रासायनिक व जैविक गुणों में होने वाला ऐसा अवांछित परिवर्तन जो मनुष्य के साथ ही सम्पूर्ण परिवेश के प्राकृतिक व सांस्कृतिक तत्वों को हानि पहुँचाता है, प्रदूषण कहलाता है।
प्रश्न 6.
जैवमण्डल से क्या तात्पर्य है?
अथवा
जैवमण्डल किसे कहते हैं?
उत्तर:
वायुमण्डल, स्थलमण्डल व जलमण्डल के जीवन युक्त भागों के संयुक्त क्षेत्र को जैवमण्डल कहते हैं।
प्रश्न 7.
प्रदूषण के प्रकार बताइए।
अथवा
प्रदूषकों के परिवहित एवं विसरित होने के माध्यम के आधार पर प्रदूषण को कितने प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है?
उत्तर:
1. जल प्रदूषण
2. वायु प्रदूषण
3. भू-प्रदूषण
4. ध्वनि प्रदूषण
5. तापीय प्रदूषण।
प्रश्न 8.
वायु प्रदूषण से क्या आशय है?
उत्तर:
प्राकृतिक अथवा मानवजनित कारणों से वायुमण्डल में संदूषों की उपस्थिति वायु प्रदूषण कहलाता है। वायु प्रदूषण मानव, पौधों एवं पशुओं के जीवन को हानि पहुँचाता है।
प्रश्न 9.
वायु प्रदूषण के स्रोतों को कितने भागों में बाँटा गया है?
उत्तर:
वायु प्रदूषण स्रोतों को दो भागों में बाँटा गया है–प्राकृतिक स्रोत व अप्राकृतिक स्रोत।
प्रश्न 10.
वायु प्रदूषण के प्राकृतिक स्रोत कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
वायु प्रदूषण के प्राकृतिक स्रोतों में ज्वालामुखी उद्गार से निकले पदार्थ, धूलभरी आँधियाँ, तूफान, दावानल वे पहाड़ों के झड़ने (स्खलन) को शामिल किया जाता है।
प्रश्न 11.
वायु प्रदूषण के प्रमुख अप्राकृतिक स्रोत कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
1. जीवाश्म ईंधन का दहन
2. खनन
3. उद्योग
4. रेडियोधर्मिता
5. परिवहन साधन
6. धूम्रपान।
प्रश्न 12.
धूम्र कोहरा क्या है?
उत्तर:
औद्योगिक व नगरीय क्षेत्रों में वायुमण्डल की निचली परत में भारी मात्रा में उपस्थित प्रदूषित गैसें तथा प्रदूषक तत्व जब सामान्य रूप से पड़ने वाले कोहरे से मिल जाते हैं तो धूम्र कोहरा उत्पन्न हो जाता है। यह मानव स्वास्थ्य के लिए अधिक खतरनाक होता है।
प्रश्न 13.
जल प्रदूषण से क्या आशय है?
उत्तर:
जल के भौतिक, रासायनिक और जैविक विशेषताओं में होने वाले अवांछित परिवर्तन जिससे मानव और समस्त जीवधारियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जल प्रदूषण कहलाता है।
प्रश्न 14.
जल प्रदूषण के प्रमुख कारण कौन-से हैं?
उत्तर:
जल प्रदूषण के प्रमुख कारणों में घरेलू वाहित जल, कृषि अपशिष्ट, औद्योगिक अपशिष्ट, खनिज तेल, | तापीय दूषित जल, वायुमंडलीय कण, रेडियोधर्मी अपशिष्ट आदि कारण शामिल हैं।
प्रश्न 15.
जल प्रदूषण से मानव को होने वाली तीन बीमारियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
1. हैजा
2. पीलिया
3. पेट सम्बन्धी रोग; जैसे-डायरिया तथा आँतों की कृमि।
प्रश्न 16.
कानपुर नगर में गंगा नदी के प्रदूषण के लिए सर्वाधिक उत्तरदायी कारक कौन-सा है?
उत्तर:
कानपुर नगर में गंगा नदी में सर्वाधिक प्रदूषण चमड़ा परिशोधन इकाइयों द्वारा निष्कासित जल के द्वारा होता है।
प्रश्न 17.
नमामि गंगे परियोजना भारत सरकार द्वारा कब शुरू की?
उत्तर:
7 जुलाई 2016 को।
प्रश्न 18.
ध्वनि प्रदूषण से क्या आशय है?
उत्तर:
जब ध्वनि एक निश्चित स्तर से अधिक हो जाती है तथा इससे किसी व्यक्ति या समूह को शारीरिक एवं मानसिक स्तर पर हानि पहुँचती हैं तो उसे ध्वनि प्रदूषण कहा जाता है।
प्रश्न 19.
शोर से क्या आशय है?
उत्तर:
जब ध्वनि की तीव्रता एवं आवृत्ति कर्णप्रिय स्तर से अधिक हो जाती है तो उसे शोर कहा जाता है।
प्रश्न 20.
ध्वनि प्रदूषण के प्रमुख कारण कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
ध्वनि प्रदूषण के प्रमुख कारणों में परिवहन के साथन, स्पीकर, उद्योगों से निकलने वाली ध्वनि, वायुयानों, जैट विमानों से उत्पन्न शोर, बादलों की गर्जना, आतिशबाजी आदि शामिल हैं।
प्रश्न 21.
ध्वनि प्रदूषण से होने वाली हानियाँ कौन-कौन सी हैं?
उत्तर:
ध्वनि प्रदूषण से उत्पन्न हानियों में मस्तिष्क पर प्रतिकूल प्रभाव का पड़ना, चिड़चिड़ापन, बहरापन हैं।
प्रश्न 22.
भूमि प्रदूषण को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
प्राकृतिक एवं मानवीय क्रियाओं से मिट्टी की गुणवत्ता में ह्रास को भूमि (मृदा) प्रदूषण कहा जाता है।
प्रश्न 23.
ग्रीन हाउस प्रभाव क्या होता है?
उत्तर:
ग्रीन हाउस प्रभाव पृथ्वी के तापमान में निरन्तर वृद्धि होने की ऐसी प्रक्रिया है जिसमें सूर्य से आने वाले ताप को पृथ्वी पर रोक तो लिया जाता है पर उसे वायुमण्डल से बाहर नहीं निकाला जा सकता।
प्रश्न 24.
अम्लीय वर्षा से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
विभिन्न उद्योगों की अनेक उत्पादन क्रियाओं से निकले कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड व नाइट्रिक ऑक्साइड जैसी गैसों का जलवाष्प के साथ मिलकर बारिश के रूप में वर्षण की प्रक्रिया अम्लीय वर्षा कहलाती है।
प्रश्न 25.
वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड गैस की मात्रा बढ़ने का प्रमुख कारण क्या है?
उत्तर:
वनों का विनाश तथा जीवाश्म ईंधन का प्रयोग वायुमण्डल में CO2 गैस की मात्रा बढ़ने का प्रमुख कारण है।
प्रश्न 26.
विश्व में सर्वाधिक ग्रीन हाउस उत्सर्जन करने वाला देश कौन सा है?
उत्तर:
चीन।
प्रश्न 27.
सन् 1970 के बाद समताप मण्डल के ओजोन की मात्रा में प्रति दशक कितनी कमी हो रही है?
उत्तर:
प्रति दशक 4 प्रतिशत की कमी।
प्रश्न 28.
ओजोन परत मानव का सुरक्षा कवच क्यों कहलाती है?
उत्तर:
क्योंकि यह मानवीय स्वास्थ्य के लिए. हानिकारक पराबैंगनी किरणों को पृथ्वी पर नहीं आने देती है।
प्रश्न 29.
स्टॉकहोम सम्मेलन का प्रमुख उद्देश्य क्या था?
उत्तर:
विश्व पर्यावरण को बचाना इस सम्मेलन का प्रमुख उद्देश्य था।
प्रश्न 30.
विश्व पृथ्वी सम्मेलन 2016 का प्रमुख उद्देश्य क्या था?
उत्तर:
विश्व पृथ्वी सम्मेलन 2016 का प्रमुख उद्देश्य पृथ्वी के लिए वृक्ष लगाना था।
प्रश्न 31.
भारत में काजरी (CAZRI) नामक संस्थान कहाँ स्थापित है?
उत्तर:
जोधपुर में।
RBSE Class 12 Geography Chapter 12 लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA-I)
प्रश्न 1.
पर्यावरण का अर्थ व परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
हमारे चारों ओर जो प्राकृतिक व सामाजिक आवरण है, उसी को वास्तविक अर्थों में पर्यावरण कहा जाता है। अथवा जीव जिस वातावरण या परिस्थितियों में जीवन-यापन करता है, उसे उस जीव का पर्यावरण कहा जाता है। पर्यावरण में जीवधारियों के लिए आवश्यक हवा, पानी, खाद्यान्न, आवास तथा प्रकाश जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध होती हैं।
पर्यावरण की परिभाषा: सी. सी. पाई के अनुसार, “मानव एक विशेष स्थान पर विशेष समय पर जिन सम्पूर्ण परिस्थितियों से घिरा होता है, उसे पर्यावरण कहा जाता है।
सारांशतः पर्यावरण किसी एक तत्व का नाम न होकर उन समस्त दशाओं या तत्वों का योग है, जो मानव के जीवन और विकास को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं।
प्रश्न 2.
पर्यावरणीय समस्याओं के लिए उत्तरदायी कारकों को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
पृथ्वी की पर्यावरणीय समस्याओं के लिए निम्नलिखित कारक प्रमुख रूप से उत्तरदायी है –
मानव द्वारा अपने भौतिक सुख की प्राप्ति के लिए किया गया औद्योगिक एवं तकनीकी विकास।
विश्व जनसंख्या में तीव्र वृद्धि तथा इसमें नगर तथा महानगरों का तेजी से होता विस्तार।
पिछले 50 वर्षों में विश्व के विकसित देशों द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का तेजी से किया गया विदोहन।
मानव की भोगवादी एवं प्रकृति के शोषण की बढ़ती प्रवृत्ति।
प्रश्न 3.
प्रदूषण तथा प्रदूषक से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
प्रदूषण का आशय: ई. पी. ओडम के अनुसार, “वायु जल एवं मृदा के भौतिक, रासायनिक व जैविक गुणों में होने वाला ऐसा अवांछित परिवर्तन जो मनुष्य के साथ ही सम्पूर्ण परिवेश के प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक तत्वों को हानि पहुँचाता है, प्रदूषण कहते हैं।”
प्रदूषक से आशय: ऐसे अवांछनीय पदार्थ जो पर्यावरण के किसी भी मूल तत्व में अपनी उपस्थिति से उसे परिवर्तित कर देते हैं या प्रदूषण फैलाते हैं, प्रदूषक कहलाते हैं।
प्रश्न 4.
प्रदूषकों की प्रकृति के आधार पर प्रदूषण के प्रमुख प्रकार लिखिए।
उत्तर:
प्रदूषकों की प्रकृति के अनुसार प्रदूषण के निम्नलिखित 11 प्रकार हैं –
वायु प्रदूषण
जल प्रदूषण
ध्वनि प्रदूषण
मृदा प्रदूषण (भूमि प्रदूषण)
तापीय प्रदूषण
विकिरणीय प्रदूषण
तापीय प्रदूषण
औद्योगिक प्रदूषण
कूड़े-कचरे से प्रदूषण
समुद्रीय प्रदूषण
घरेलू अपशिष्ट के कारण प्रदूषण।
प्रश्न 5.
वायु प्रदूषण को परिभाषित करते हुए इसके स्रोतों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वायु प्रदूषण: वायु के अन्दर मिलने वाले ऐसे अवांछित पदार्थ जो वायु की गुणवत्ता को कम कर देते हैं तथा मनुष्य एवं जैविक जगत पर हानिकारक प्रभाव डालते हैं। वायु का ऐसा स्तर वायु प्रदूषण कहलाता है।
वायु प्रदूषण के स्रोत: वायु प्रदूषण के स्रोतों को दो भागों में बाँटा गया है –
प्राकृतिक स्रोत: ज्वालामुखी जन्य पदार्थ, धूलभरी आँधियाँ, तूफान, दावानल।
अप्राकृतिक स्रोत: उद्योग, परिवहन के साधन, धूम्रपान, रसायनों का उपयोग व रेडियोधर्मी पदार्थ आदि।
प्रश्न 6.
वायु प्रदूषण के दुष्प्रभावों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव निम्नलिखित हैं –
मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना।
वनस्पति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना तथा जीव-जन्तु एवं कीटों के अस्तित्व का खतरा उत्पन्न होना।
वायुमण्डलीय दशाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना, जलवायु परिवर्तन, ओजोन परत में क्षरण व ग्रीन हाउस प्रभाव का उत्पन्न होना।
महानगरों व नगरों पर कोहरे के गुम्बद बन जाना।
प्रश्न 7.
ओजोन परत को बचाने के उपायों को संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के प्रावधानों के अनुसार विश्व में ओजोन परत के क्षरण के लिए उत्तरदायी क्लोरोफ्लोरो-कार्बन तथा हैलोजन गैसों तथा कार्बन टेट्राक्लोराइड तथा ट्राईक्लोरो इथेन के उत्पादन पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है।
फ्रेआन नामक घातक क्लोरो-फ्लोरो-कार्बन जिसका उपयोग रेफ्रिजरेटर, एयर कंडीशनर, गद्देदार सीट या सोफों के फोमों तथा ऐरोसेल स्प्रे में किया जाता है, इनके उत्पादन को भी प्रतिबन्धित कर दिया गया है।
संयुक्त राज्य अमेरिका के कान्कोर्ड वायुयान के संचालन को ओजोन परत के विघटन की आंशका के कारण प्रतिबन्धित कर दिया गया है।
विश्व भर में ओजोन परत की सुरक्षा के प्रति जनजागरूकता उत्पन्न करने के लिए प्रतिवर्ष 16 सितम्बर को विश्व, ओजोन दिवस का आयोजन किया जाता है।
प्रश्न 8.
पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित प्रमुख दिवसों को लिखिए।
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र द्वारा पर्यावरण संरक्षण एवं पर्यावरण जनजागरूकता की दृष्टि से निम्नलिखित विश्व दिवसों को घोषित किया है –
विश्व धरोहर दिवस                         –        18 अप्रैल
विश्व पृथ्वी दिवस                           –        22 अप्रैल, U.S.A. 20 मार्च को यूनाइटेड नेशन में मनाया जाता है।
विश्व जैव-विविधता दिवस               –         22 मई
विश्व जनसंख्या दिवस                    –         11 जुलाई
हिरोशिमा दिवस                          –         6 अगस्त
विश्व ओजोन दिवस                       –         16 सितम्बर
हरित उपभोक्ता दिवस                  –        28 दिसम्बर
भोपाल गैस त्रासदी दिवस              –         2 दिसम्बर
विश्व मृदा दिवस                           –         5 दिसम्बर
विश्व पर्यावरण दिवस                     –         5 जून
राष्ट्रीय प्रदूषण रोकथाम दिवस        –         2 दिसम्बर
प्रश्न 7.
पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित भारत के प्रमुख संस्थानों तथा संगठनों के नाम लिखिए।
उत्तर:
पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित भारत की प्रमुख संस्थाएं एवं संगठन –
बोटनिकल सर्वे ऑफ इण्डिया : कार्यालय कोलकाता वनस्पति संसाधनों के सर्वेक्षण से सम्बन्धित है।
द वाइल्ड लाइफ इन्स्टीटयूट ऑफ इण्डिया (देहरादून) अनुसंधान प्रशिक्षण सम्बन्धित कार्य होते हैं।
कल्पवृक्ष-गैर सरकारी संगठन 2003 से जैव विविधता व पर्यावरण संरक्षण का कार्य कर रहा है।
काजरी CAZRI (Central Arid Zone Research Institute) जोधपुर केन्द्र।
वन शोध संस्थान FRIL (Forest Research Institute) 1906 देहरादून।
भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून-1986।
नीरी NEERI (राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी शोध संस्थान) नागपुर-1958।
प्रश्न 8.
विश्व की प्रमुख अन्तर्राष्ट्रीय पर्यावरण संस्थाओं के नाम व मुख्यालय लिखिए।
उत्तर:
संस्था का नाममुख्यालय1. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP)1. नैरोबी (कीनिया)2.  प्रकृति तथा प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए अन्तर्राष्ट्रीय संघ (IUCN)2. ग्लाइण्ड (स्विट्जरलैण्ड)3. ट्रैफिक (TRAFFIC) पादप एवं जन्तओं के अवैध व्यापार पर नियन्त्रण रखने वाली अन्तर्राष्ट्रीय संस्था)3. कैम्ब्रिज (यूनाइटेड किंगडम)4. डब्लू.डब्लू.एफ. (WWF)4. ग्लाइण्ड (स्विट्जरलैण्ड)5. आई.पी.सी.सी. (IPCC)5. जेनेवा (स्विट्जरलैण्ड)
RBSE Class 12 Geography Chapter 12 लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA-II)
प्रश्न 1.
भारत सरकार द्वारा वायु प्रदूषण को कम करने के लिए अपनाये गये उपायों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत सरकार के वायु प्रदूषण की रोकथाम हेतु निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण कदम हैं –
24 जून 2016 को राष्ट्रीय वन नीति केन्द्र सरकार द्वारा मसौदा तैयार किया गया जिसके अन्तर्गत हरित कर लगाने की सिफारिश की गई है, जिससे प्राप्त धन से जंगलों को हरा भरा किया जायेगा।
हरित राजमार्ग नीति 2015 द्वारा सड़कों के प्रदूषण को नियन्त्रित करने के केन्द्र सरकार के द्वारा प्रयास किए जा रहे है। लेकिन पूर्ण रूप से इससे मुक्ति तभी संभव है जब व्यक्तिगत स्तर पर प्रत्येक व्यक्ति अपनी भूमिका समझ एक वृक्ष लगाकर उसे जीवित रख सके तो यह समस्या समाप्त हो सकती है।
भारत सरकार ने गाड़ियों के प्रदूषण की रोकथाम के लिए पूरे देश में 1 अप्रैल 2017 से बीएस-4 ग्रेड का फ्यूल (पेट्रोल) मिलेगा जो अभी बी.एस. 3 ग्रेड दिया जा रहा है। 1 अप्रैल 2020 से बीएस 5 ग्रेड के स्थान पर बीएस-5 ईंधन की आपूर्ति का आश्वासन दिया है।
प्रश्न 2.
मृदा प्रदूषण के कारणों को स्पष्ट करते हुए मृदा प्रदूषण के नुकसान को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मृदा प्रदूषण के कारण –
रासायनिक उर्वरकों का अत्यधिक प्रयोग।
औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला अपशिष्ट।
नगरों वे महानगरों से निकलने वाला कूड़ा-कचरा।
सीवर लाइनों से निकलने वाला अपवाहित मल।
शाकनाशी व कीटनाशी का प्रयोग।
मृदा प्रदूषण के नुकसान –
कृषि योग्य भूमि में लगातार न्यूनती हो रही है।
इससे होने वाली प्रमुख बीमारियाँ पेचिस, प्रवाहिको, हैजा, आँखों के रोग तथा तपेदिक प्रमुख हैं।
मृदा प्रदूषण अन्य पर्यावरणीय प्रदूषणों को जन्म देता है।
भूमि प्रदूषण से भूमि न्यूनता की समस्या बढ़ी है।
प्रश्न 3.
ओजोन परत क्षरण के प्रभावों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ओजोन परत क्षरण के निम्न प्रभाव प्रमुख हैं –
ओजोन परत की क्षति से त्वचा को कैंसर, मोतिया बिन्द जैसे रोग होते हैं।
पराबैंगनी किरणों के कारण पादप प्लावक नष्ट हो रहे हैं, जिसके कारण समुद्री खाद्य श्रृंखला पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
कई प्रकार की फसलों की मात्रा एवं गुणवत्ता में कमी आती है।
पराबैंगनी किरणों से रोग प्रतिरोधक क्षमता पर कुप्रभाव पड़ता है।
भूमध्य रेखीय प्रदेशों में ओजोन क्षय के कारण तापमान में और अधिक वृद्धि होगी। इस कारण लोगों को शारीरिक एवं मानसिक विकास अवरुद्ध हो जाएगा।
RBSE Class 12 Geography Chapter 12 निबंधात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
वायु प्रदूषण क्या होता है? वायु प्रदूषण के स्रोत, दुष्प्रभावों एवं नियन्त्रण हेतु उपायों का विवरण दीजिए।
उत्तर:
वायु प्रदूषण की परिभाषा-प्राकृतिक एवं मानवजनित कारणों से वायुमण्डल में संदूषकों; जैसे-धूल, धुआँ, गैसें, कुहासा, दुर्गध एवं वाष्प आदि की उपस्थिति, जो मानव, जन्तुओं एवं सम्पत्ति के लिए हानिकारक हो, वायु प्रदूषण कहलाता है।
वायु प्रदूषण के स्रोत –
प्राकृतिक स्रोत: जैसे ज्वालामुखी उद्गार से निकले पदार्थ, धूलभरी आधियाँ, दावानल तथा पर्वतीय भागों में होने वाला भूस्खलन।
अप्राकृतिक स्रोत: जैसे जीवाश्म ईंधन (कोयला, पेट्रोलियम व लकड़ी) को दहन, खनन, उद्योग, परिवहन साधन, धूम्रपान, रसायनों का प्रयोग तथा रेडियोधर्मिता।
वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव:
मानवीय स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
प्राकृतिक वनस्पति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है तथा जीव-जन्तुओं एवं कीटों के अस्तित्व पर संकट आ जाता है।
नगरों तथा महानगरीय क्षेत्रों में कोहरे के गुम्बद बन जाते हैं।
जलवायु परिवर्तन, मौसम पर प्रभाव, ओजोन परत का क्षरण तथा ग्रीन हाउस प्रभाव जैसी समस्याएँ गम्भीर रूप में खड़ी हो जाती हैं।
वस्तुतः वायु प्रदूषण एक धीमा जहर है जो क्रमिक रूप से सम्पूर्ण जैविक तथा अजैविक जगत पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है।
वायु प्रदूषण के नियन्त्रण हेतु उपाय: वायु प्रदूषण के नियन्त्रण हेतु वर्तमान वायु प्रदूषण स्तर पर नियन्त्रण पाना तेथी भावी प्रदूषण को रोकना आवश्यक है। इस हेतु अग्रलिखित उपायों का क्रियान्वयन आवश्यक है –
कम से कम 33 प्रतिशत भाग पर वृक्षारोपण व हरित पट्टी का विकास करना।
वाहनों द्वारा उत्सर्जित प्रदूषण पर नियन्त्रण करना। इसके लिए भारत में 1 अप्रैल 2017 से बी.एस. ग्रेड-3 के स्थान पर बी.एस. ग्रेड-4 का वाहन ईंधन उपलब्ध कराया जा रहा है।
पेट्रोल व डीजल के स्थान पर सौर ऊर्जा बैटरी चालित तथा विद्युत इन्जनों (रेलवे) का अधिकाधिक उपयोग किया गया।
वृक्षों के कटान पर प्रतिबन्ध लगाया जाए तथा घरों में धुआँ उत्सर्जित न करने वालों (स.धू.मू.) चूल्हों का उपयोग किया जाए।
बर्तन निर्माण तथा ईंट निर्माण उद्योगों को नगर से बाहर स्थापित किया जाए।
उद्योगों में आधुनिक तकनीक का उपयोग कर वायु प्रदूषण के स्तर को न्यूनतम किया जाए।
व्यक्तिगत स्तर पर प्रत्येक व्यक्ति एक वृक्ष लगाकर उसको पूर्ण सुरक्षा प्रदान करे।
प्रश्न 2.
जल प्रदूषण से क्या आशय है? जल प्रदूषण के स्रोतों, दुष्परिणामों तथा बचाव के उपायों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
जल प्रदूषण से आशय: प्राकृतिक जल में किसी अवांछित बाह्य पदार्थ के मिश्रित हो जाने से जल की गुणवत्ता में होने वाली ऐसी गिरावट जिसका मानव एवं समस्त जीवों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जल प्रदूषण कहलाता है।
जल प्रदूषण के स्रोत: घरेलू वाहित जल, कृषि अपशिष्ट, औद्योगिक अपशिष्ट, तापीय दूषित जल, वायुमण्डलीय कण, रेडियोधर्मी अपशिष्ट तथा खनिज तेल का रिसाव जल प्रदूषण के प्रमुख स्रोत हैं।
एक अनुमान के अनुसार भारत के 300 शहरों से प्रतिदिन लगभग 3000 करोड़ से 4000 करोड़ लीटर सीवरेज जल नदियों तथा नालों में प्रवाहित किया जाता है जिससे सम्बन्धित नदियों तथा झीलों में जल प्रदूषण उच्चतम स्तर तक पहुँचता है।
जल प्रदूषण के दुष्परिणाम:
प्रदूषित जल में विषाक्त पदार्थों के साथ-साथ अनेक बीमारियों के जीवाणु व विषाणु भारी संख्या में होते हैं जिसके कारण अनेक जलीय जीवों की मृत्यु हो जाती है। साथ में जब मानव इस प्रदूषित जल का सेवन करता है तो वह हैजा, पीलिया तथा पेट रोगों से ग्रसित हो जाता है।
प्रदूषित जल में नहाने व कपड़े धोने से भी मनुष्य को अनेक जल जनित बीमारियों का सामना करना पड़ता है।
भारत में वर्तमान में मानवों को होने वाले कुल रोगों में से लगभग 65% रोग जल प्रदूषण के कारण होते हैं।
संयुक्त राष्ट्र संघ के एक प्रतिवेदन के अनुसार, “विश्व में प्रतिदिन शुद्ध जल के अभाव व डायरिया के कारण 2300 व्यक्ति मर जाते हैं।
पिछले 30 – 40 वर्षों में सागरीय जल प्रदूषण के कारण सागरों में लगभग 40 प्रतिशत सागरीय जीव कम हो गए हैं।
जल प्रदूषण से बचाव के उपाय:
सभी नगरों में जल-मल के प्रभावी निस्तारण हेतु सीवरेज शोधन संयन्त्रों की स्थापना की जाए।
औद्योगिक अपशिष्ट युक्त जल को उपचारित कर उसी उद्योग में पुन: उपयोग में लाया जाए।
मृत पशु शवों के नदी में विसर्जन को पूर्णतया प्रतिबन्धित किया जाए।
रासायनिक कृषि के स्थान पर जैविक खाद के उपयोग को बढ़ावा दिया जाए।
प्रश्न 3.
ध्वनि प्रदूषण तथा भूमि प्रदूषण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
ध्वनि प्रदूषण:
ध्वनि प्रदूषण से आशय: जब ध्वनि एक निश्चित स्तर से अधिक हो जाती है तथा किसी व्यक्ति यो समूह के शारीरिक व मानसिक स्तर पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है तो उसे ध्वनि प्रदूषण कहा जाता है। सामान्यत: 80 डेसीबल से अधिक की सभी ध्वनियाँ ध्वनि प्रदूषण के अन्तर्गत आती हैं।
ध्वनि प्रदूषण के कारण (स्रोत): परिवहन के साधनों से बजने वाले हार्न, स्पीकर व ध्वनि विस्तारक यन्त्र, उद्योगों से निकलने वाली ध्वनि, वायुयान तथा जेट विमान ध्वनि प्रदूषण के प्रमुख स्रोत हैं।
ध्वनि प्रदूषण से हानियाँ: ध्वनि प्रदूषण के प्रभाव से मानव मस्तिष्क पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इससे मनुष्यों में चिड़चिड़ापन, बहरापन, तनाव तथा सिर दर्द जैसे कुप्रभाव देखने को मिलते हैं। अत्यधिक उच्च ध्वनि के सम्पर्क में रहने वाले व्यक्ति की श्रवण क्षमता स्थायी रूप से विलुप्त हो सकती है।
भूमि प्रदूषण:
भूमि प्रदूषण से आशय: मिट्टी की गुणवत्ता में प्राकृतिक व मानवीय क्रियाओं से होने वाली गिरावट को भूमि प्रदूषण या मृदा प्रदूषण कहा जाता है। मृदा प्रदूषण से भूमि की उपजाऊ शक्ति घट जाती है तथा भूपटेल के सभी जीवधारियों पर मृदा प्रदूषण का प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
भूमि प्रदूषण के कारण: भूमि प्रदूषण के लिए उत्तरदायी कारकों में प्रदूषित जल, रासायनिक उर्वरकों को अधिकाधिक प्रयोग, औद्योगिक अपशिष्ट तथा नगरों व महानगरों से निकलने वाले अपशिष्ट सर्वप्रमुख हैं। चीन में तीव्र औद्योगीकरण वाले क्षेत्रों में वहाँ के जलीय स्रोत तथा निकटवर्ती भूमि भी प्रदूषण से सर्वाधिक प्रभावित हुई है।
भूमि प्रदूषण की हानियाँ:
इससे कृषि योग्य भूमि के क्षेत्रफल में सतत् रूप से कमी आने लगती है।
भूमि प्रदूषण से होने वाली बीमारियों में पेचिश, डायरिया, हैजा, तपेदिक तथा आँखों के रोग सर्वप्रमुख हैं।
मृदा प्रदूषण को अन्य पर्यावरणीय प्रदूषणों का जनक माना जाता है।
मृदा प्रदूषण से प्रभावित क्षेत्रों में उपयोग की जाने वाली भूमि की उपलब्धता में कमी आने लगती है।
प्रश्न 4.
ओजोन परत क्षरण क्या है? ओजोन परत के क्षरण के कारणों तथा प्रभावों का विवरण दीजिए।
उत्तर:
ओजोन परत समतापमण्डल में 15-35 किमी की ऊँचाई पर स्थित है जिसमें ओजोन गैस मिलती है। ओजोन परत सूर्य के प्रकाश की उच्च ऊर्जा युक्त पराबैंगनी किरणों जो मानवीय व अन्य जीवधारियों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है को सोख लेती है। इस प्रकार ओजोन परत को पृथ्वी की सुरक्षा कवच भी कहा जाता है।
ओजोन परत को क्षरण:
पिछले कुछ दशकों में हुए शोधों द्वारा यह पाया गया है कि ओजोन परत में ओजोन गैस की कुल मात्रा में प्रति दशक लगभग 4 प्रतिशत की कमी आ रही है जिससे ओजोन परत में अंटार्कटिका महाद्वीप, आस्ट्रेलिया तथा न्यूजीलैण्ड आदि देशों के ऊपर छेद हो गये हैं। बढ़ते समय के साथ-साथ वर्तमान में उत्तरी ध्रुवे पर भी बसंत ऋतु में इसी प्रकार के छिद्र ओजोन परत में दिखाई देने लगे हैं।
ओजोन परत क्षरण के कारण:
पिछले 50 वर्षों में मानव ने प्रकृति के उत्कृष्ट संतुलन को वायुमण्डल में हानिकारक गैसें तथा रसायन उत्सर्जित कर अस्त-व्यस्त कर दिया है। जिससे जीवन रक्षक ओजोन परत को सतत् रूप से क्षरण होता जा रहा है। ओजोन परत में ओजोन गैस की अल्पता तथा विनाश के लिए प्रमुख रूप से हैलोजनिक गैसें उत्तरदायी हैं। इन गैसों में क्लोरो-फ्लोरो-कार्बन, क्लोरीन ब्रोमीन, मिथाइल क्लोरोफार्म तथा कार्बन टेट्राक्लोराइडे सर्वप्रमुख हैं। ओजोन परत में क्लोरीन के एक परमाणु के विसरण से एक लाख ओजोन अणु नष्ट हो जाते हैं। क्लोरीन के परमाणु क्लोरो-फ्लोरो-कार्बन के विघटन से निर्मित होते हैं।
क्लोरीन के साथ-साथ ब्रोमीन के परमाणु भी ओजोन के अनेक अणुओं को सफाया कर देते हैं। जिसके कारण ओजोन परत में ओजोन की मात्रा में क्रमश – कमी आती चली जाती है तथा ओजोन परत में क्षरण की प्रक्रिया को बल मिलता है। ओजोन परत क्षरण के प्रभाव –
ओजोन परत के क्षरण से विश्व में त्वचा कैंसर व मोतियाबिन्दै जैसे रोगों की संख्या में वृद्धि हो रही है।
पराबैंगनी किरणों के प्रभाव से मानव सहित अन्य जीवधारियों की रोग प्रतिरोधी क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
भूमध्यरेखीय क्षेत्रों में ओजोन क्षय के कारण औसत तापमान में वृद्धि होगी जिसके कारण वहाँ के निवासियों के शारीरिक – व मानसिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
पराबैंगनी किरणों के प्रभाव से सगिरीय जल के पादप प्लवक समाप्त होते जा रहे हैं जिसके कारण सागरीय भागों की खाद्य श्रृंखला पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
पराबैंगनी किरणों के प्रभाव से कृषि फसलों के उत्पादन तथा गुणवत्ता दोनों में गिरावट आ रही है।
प्रश्न 5.
विश्व के प्रमुख पर्यावरण सम्मेलनों के स्थान के नाम, वर्ष तथा सम्मेलन के प्रमुख विषयों को तालिकाबद्ध कीजिए।
उत्तर:
विश्व के प्रमुख पर्यावरण सम्मेलन –
स्थान का नामराष्ट्रवर्षसम्मलेन को प्रमुख विषय जिनसे वार्ता हुई1. स्टॉक होम सम्मेलनस्वीडन1972पर्यावरण बचाने हेतु 25 सूत्रीय घोषणा पत्र जारी कर दिया जाए।2. काकोयोग घोषणामैक्सिको1974विकास के उद्देश्यों को पुन: परिभाषित करने पर बल दिया।3. वियना सम्मेलनआस्ट्रिया1985ओजोन परत क्षरण पर चिन्ता।4. मांट्रियल समझौतामांट्रियल1997ओजोन परत क्षरण को रोकने हेतु गैसों के उत्सर्जन में कमी की जाए।5. टोरन्टो वल्र्ड कॉन्फ्रेंसकनाडा1988हरित गृह प्रभाव को कम कर जलवायु परिवर्तन से विश्व को बचाया जाए।6. हेग घोषणानीदरलैण्ड1989पर्यावरण की गुणवत्ता बनाये रखने पर चर्चा7. पृथ्वी शिखर सम्मेलन (रियो-डि-जेनेरो)ब्राजीलजून 1992178 देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। ग्रीन हाउस गैसों में कटौती तथा जैव सम्पदा संरक्षण के लिए समझौता किया गया।8. न्यूयार्क सम्मेलनयू.एस.ए.–द्वितीय पृथ्वी शिखर सम्मेलन।9. क्योटो सम्मेलनजापान1997159 देशों ने भाग लिया जिसे क्योटो प्रोटोकॉल भी कहते हैं।10. बॉन सम्मेलनजर्मन1998क्योटो सम्मेलन के क्रियान्वयन पर जोर, ग्लोबल वार्मिंग पर विशेष कार्य किया जाए।11. जोहान्सबर्गद. अफ्रीका2002+ 10 सम्मेलन भी कहते हैं। सतत् पोषणीय विकास पर विशेष बल दिया गया।12. डरबन पृथ्वी सम्मेलनद. अफ्रीका2003विश्व संरक्षित तथा जैव विविधता की रक्षा पर बल दिया जाए।13. स्टॉक होम सम्मेलन–2004औद्योगिक प्रदूषण को कम करने पर जोर दिया जाए।14. मांट्रियल सम्मेलन–2005विकसित देशों द्वारा 2012 तक ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को 1990 के स्तर तक लाना।15. नाशा दुओइण्डोनेशिया बाली द्वीप2007IPCC की IV रिपोर्ट पेश की गई इस सम्मेलन में 193 देशों में से 189 मत प्राप्त कर राजेन्द्र पचौरी IPCC के अध्यक्ष निर्वाचित हुए।16. कोपेन हेगन सम्मेलनडेनमार्क2009सम्मेलन की अध्यक्षता राजेन्द्र पचौरी ने की थी। सम्मेलन में 2009 को सबसे गर्म वर्ष तथा सबसे 2001-10 के दशक को सबसे गर्म दशक घोषित किया गया।17. कानकूनमैक्सिको201016 वां संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन हरित कोष हेतु 100 अरब डालर के निवेश पर सहमति।18. नागोया प्रोटोकॉलजापान2010भारत ने जैव विविधता एवं सतत् विकास हेतु प्रोटोकाल संधि पर हस्ताक्षर किये।19. डरबने सम्मेलनद. अफ्रीका201117 वां जलवायु सम्मेलन20. दोहा सम्मेलन–2012संयुक्त राष्ट्र हरित जलवायु कोष का सम्मेलन।21. मिनिमाटा सम्मेलन कुआमोटीशहरेजापान2012पारे पर प्रतिबंध को लेकर प्रथम सम्मेलन।22. वासा सम्मेलनपोलैण्ड2013हरित जलवायु कोष निर्माण एवं जलवायु परिर्वतन सम्बन्धी समझौते पर बल दिया गया।23. लीमा सम्मेलन (G-20 शिखर सम्मेलन)पेरू2015जलवायु परिवर्तन एवं आंतकवाद मुख्य मुद्दे।24. संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन पेरिसफ्रांस12 दिसम्बर 2015जलवायु परिवर्तन कृषि को सतत् विकास।25. विश्व पृथ्वी सम्मेलन’ न्यूयार्कयू.एस.ए.22 अप्रैल 2016जलवायु परिवर्तन पर दिसम्बर 2015 पेरिस सम्मेलन पर हस्ताक्षर किये।

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