कक्षा 09वी सूचना प्रौद्योगिकी अध्याय 02 इनपुट या आउटपुट और संग्रहण युक्तियां का संपूर्ण महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर CLASS 09Th Input or output and storage devices All Questions and Answer in Hindi - ULTIMATE STUDY SUPPORT
न्यूमेरिक की-पैड का मुख्यतः उपयोग किया जाता है –
(अ) टैक्स्ट प्रोसेसिंग में
(ब) ग्राफिक्स कार्यों में
(स) बैंकिंग कार्यों में
(द) उक्त सभी में।
उत्तर:
(द) उक्त सभी में।
प्रश्न 2.
माउंस है एक –
(अ) इनपुट उपकरण
(ब) आउटपुट उपकरण
(स) संग्रहण उपकरण
(द) उक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) इनपुट उपकरण
प्रश्न 3.
टाइपमैटिक की दर होती है –
(अ) 20 बार प्रति सैकण्ड
(ब) 10 बार प्रति सैकण्डे
(स) 5 बार प्रति सैकण्ड
(द) 1 बार प्रति सैकण्ड
उत्तर:
(ब) 10 बार प्रति सैकण्डे
प्रश्न 4.
किसी कागज पर प्रिन्टर द्वारा छपा हुआ आउटपुट कहलाता है –
(अ) हार्ड कॉपी
(ब) सॉफ्ट कॉपी
(स) माइक्रोफिल्टर
(द) फ्लॉपी
उत्तर:
(अ) हार्ड कॉपी
प्रश्न 5.
सी.आर.टी. की आन्तरिक सतह पर लेपित रहता है –
(अ) कैल्शियम पदार्थ
(ब) फोस्फर ब्रॉन्ज पदार्थ
(स) क्रिस्टल पदार्थ
(द) आयरन ऑक्साइड
उत्तर:
(ब) फोस्फर ब्रॉन्ज पदार्थ
प्रश्न 6.
प्रिंटिंग की वह तकनीक जो टाइप राइटर की तकनीक के समान होती है –
(अ) टाइपमैटिक प्रिंटिंग
(ब) इम्पैक्ट प्रिंटिंग
(स) नॉन इम्पैक्ट प्रिंटिंग
(द) लेजर प्रिंटिंग।
उत्तर:
(ब) इम्पैक्ट प्रिंटिंग
प्रश्न 7.
ड्रम प्रिंटर है –
(अ) करेक्टर प्रिन्टर
(ब) लाइन प्रिन्टर
(स) पेज प्रिन्टर
(द) ग्राफिक्स प्रिन्टर
उत्तर:
(अ) करेक्टर प्रिन्टर
प्रश्न 8.
प्राथमिक संग्रहण माध्यम है –
(अ) हार्ड डिस्क
(ब) मैमोरी
(स) सी.डी. रोम
(द) चुम्बकीय टेप।
उत्तर:
(ब) मैमोरी
प्रश्न 9.
प्रकाशीय तकनीक का प्रयोग होता है –
(अ) हार्ड डिस्क में
(ब) सी.डी.रोम में
(स) फ्लॉपी डिस्क में
(द) इंक जैट प्रिन्टर में
उत्तर:
(ब) सी.डी.रोम में
प्रश्न 10.
माइक्रो फ्लॉपी की सामान्यतः संग्रहण क्षमता होती है
(अ) 1.2 MB
(ब) 650 MB
(स) 1.44 MB
(द) 2.8 MB
उत्तर:
(स) 1.44 MB
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
डाटा को डिस्क पर पढ़ने व लिखने का कार्य किसके द्वारा होता है ?
उत्तर:
डाटा को डिस्क पर पढ़ने व लिखने का कार्य प्राथमिक मैमोरी (RAM) द्वारा किया जाता है।
प्रश्न 2.
मॉनीटर के स्क्रीन के छोटे-छोटे बिन्दुओं को क्या कहते हैं ?
उत्तर:
मॉनीटर के स्क्रीन के छोटे-छोटे बिन्दुओं को पिक्सेल (Pixels) कहते हैं।
प्रश्न 3.
डॉट मैट्रिक्स प्रिन्टर किस प्रकार के प्रिन्टर का उदाहरण हैं ?
उत्तर:
डॉट मैट्रिक्स प्रिन्टर इंकजेट प्रिन्टर्स का उदाहरण है।
प्रश्न 4.
फ्लॉपी डिस्क और उसके आवरण में स्थित छिद्र को क्या कहते हैं ?
उत्तर:
फ्लॉपी डिस्क और उसके आवरण में स्थित छिद्र को इन्डेक्स होल (Index Hole) कहते हैं।
प्रश्न 5.
माइक्रो फ्लॉपी का व्यास कितना होता है ?
उत्तर:
माइक्रो फ्लॉपी का व्यास 34 इंच होता है।
प्रश्न 6.
मैमोरी कितने प्रकार की होती है ?
उत्तर:
कम्प्यूटर में मैमोरी दो प्रकार की होती है
प्राथमिक मैमोरी (Primary Memory)
उदाहरण – RAM, ROM
द्वितीयक मैमोरी (Secondary Memory)
उदाहरण – हार्ड डिस्क, फ्लॉपी डिस्क आदि
प्रश्न 7.
मॉनीटर क्या कार्य करता है ?
उत्तर:
मॉनीटर यूजर द्वारा दिये गये डाटा या निर्देशों के परिणामों को स्क्रीन पर प्रदर्शित करता है तथा यूजर की कम्प्यूटर से अन्तक्रिया (Interact) करता है।
प्रश्न 8.
दो इनपुट और दो आउटपुट युक्तियों के नाम बताइये।
उत्तर:
की-बोर्ड व माउस, इनपुट युक्तियाँ हैं तथा मॉनीटर व प्रिन्टर आउटपुट युक्तियाँ हैं।
प्रश्न 9.
लेजर प्रिंटर किस प्रणाली पर कार्य करता है ?
उत्तर:
लेजर प्रिन्टर लेजर किरणों पर कार्य करता है।
प्रश्न 10.
प्रोजेक्टर किस काम आता है ?
उत्तर:
प्रोजेक्टर प्रस्तुतीकरण (Presentation) में काम आता है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
सॉफ्ट कॉपी और हार्ड कॉपी में अन्तर कीजिए।
उत्तर:
सॉफ्ट कॉपी और हार्ड कॉपी में मुख्य अन्तर निम्नलिखित हैं –

प्रश्न 2.
लेजर प्रिंटर किस तकनीक पर कार्य करता है ? (Laser Beem) किरणों द्वारा टोनर ड्रम (Toner Drum)
उत्तर:
लेजर प्रिन्टर एक बहुचर्चित व्यक्तिगत कम्प्यूटर प्रिन्टर के साथ पेपर पर घूमता है और दिये गये इमेज, टैक्स्ट की में से एक है जो फोटोकॉपी तकनीकों का इस्तेमाल करता है। प्रति (Copy) उस पेज पर छापता है। इस कार्य में टोनर में लेजर प्रिन्टर में जब कागज डाला जाता है तब लेजर बीम सूखी स्याही का प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 3.
इम्पैक्ट प्रिन्टर व नॉन-इम्पैक्ट प्रिन्टर में अन्तर बताओ।
उत्तर:
इम्पैक्ट प्रिन्टर और नॉन-इन्पैक्ट प्रिन्टर में मुख्य अन्तर निम्नलिखित हैं –

प्रश्न 4.
माउस का प्रयोग किन किन कार्यों में होता है?
उत्तर:
माउस एक बहुउपयोगी इनपुट उपकरण है। जिसके बिना कार्य करना अब असम्भव-सा हो गया है। माउस का प्रयोग कम्प्यूटर में किसी चित्र, टैक्स्ट डाक्यूमेण्ट को उससे हटाकर कहीं और स्थान पर ले जाने में, गेम खेलने में, किसी चित्र या टैक्स्ट को सलेक्ट करने में, कर्सर मूवमेण्ट आदि कार्यों में किया जाता है। मांउस के प्रयोग द्वारा ही विण्डोज ऑपरेटिंग सिस्टम पर कार्य करना सरल हो गया है।
प्रश्न 5.
जॉयस्टिक और लाइट पैन के कार्य लिखिए।
उत्तर:
जॉयस्टिक (Joystick) – वर्तमान युगे अति तीव्र एवं वास्तविक दिखाई देने वाले 3D गेमों का युग है। प्रारम्भ में केवल की-बोर्ड तथा माउस द्वारा ही कम्प्यूटर पर गेम खेले जा सकते थे, परन्तु अब इस कार्य को करने के जॉयस्टिक उपकरण उपलब्ध हैं। जॉयस्टिक में चारों दिशाओं में घूमने वाला हैंडल होता है जिसका कार्य कम्प्यूटर स्क्रीन पर चले रहे चित्रों को हिलाने, चलाने इत्यादि कार्यों में किया जाता है। इस हैंडल में एक बटन भी होता है जिसका कार्य गेम्स में चल रहे करेक्टर (Character) द्वारा फायर (Fire) या गोली चलाने आदि के कार्य करने में काम आता है।
लाइट पैन (Light Pan) – यह पैन की आकृति का एक प्रकाश संवेदी इनपुट उपकरण है, जो एक तार की सहायता से कम्प्यूटर से जुड़ा होता है। इसका कार्य कम्प्यूटर स्क्रीन पर सीधे निर्देश (लिखने) देने के लिए होता है। इसके प्रयोग से उपयोगकर्ता (user) कम्प्यूटर स्क्रीन पर सीधे लिख सकता है। लाइट पैन का उपयोग अधिकतर ग्राफिक्स बनाने के कार्यों में किया जाता है।
प्रश्न 6.
प्लॉटर कितने प्रकार के होते हैं ? नाम बताइए।
उत्तर:
प्लॉटर एक विशिष्ट आउटपुट डिवाइस है जिसका प्रयोग पेपर पर ग्राफ और डिजाइन तैयार करने में किया जाता है। इसके प्रयोग से ही इन्जीनियरिंग ड्राइंग, मैप और बड़े-बड़े पोस्टर तैयार किये जाते हैं। प्लॉटर दो प्रकार के होते हैं –
1. डुम प्लॉटर (Drum Plotter)
2. फ्लेट बैड प्लॉटर (Flat Bed Plotter)
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
डॉट मैट्रिक्स प्रिन्टर की कार्य विधि का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
डॉट मैट्रिक्स प्रिन्टर-इसके प्रिन्ट हैड में अनेक पिनों (Pins) का एक मैट्रिक्स (Matrix) होता है। प्रत्येक पिन के रिबन व कागज पर प्रहार से एक बिन्दु (Dot) बनता है। अनेक डॉट्स मिलकर करेक्टर बनाते हैं। प्रिन्ट हैड में 7, 9, 12, 18 या 24 पिनों का ऊर्ध्वाधर समूह होता है। पिनों की संख्या जितनी अधिक होती है, प्रिन्टिंग उतनी ही आकर्षक होती है। करेक्टर क्रमबद्धता के साथ एक के बाद एक छपते जाते हैं। डॉट मैट्रिक्स प्रिन्टर की गति 30 से 600 करेक्टर प्रति सेकण्ड (Character per second) होती है। इनमें ठोस मुद्रा अक्षर (Solid Fonts) नहीं होने के कारण ये विभिन्न आकार, प्रकार एवं भाषा के करेक्टर छाप सकते हैं। इनसे ग्राफ, चार्ट्स आदि भी बनाए जा सकते हैं। किन्तु इनकी छपाई की स्पष्टता ठोस मुद्रा अक्षर प्रिन्टर्स की तुलना में कम होती है। ये प्रिन्टर्स दायें से बायें एवं बायें से दायें अर्थात् दोनों ओर से प्रिन्टिंग कर सकते हैं। प्रिंटिंग लागत कम आने से इनका उपयोग प्रिन्टिंग हेतु सर्वाधिक होता है।

प्रश्न 2.
मॉनीटर कितने प्रकार के होते हैं ? प्रत्येक का चित्र सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मॉनीटर आउटपुट युक्तियों (Output Devices) में सर्वाधिक उपयोग होने वाला उपकरण है। इसके द्वारा ही उपयोगकर्ता (User) का कम्प्यूटर से अन्त:क्रिया (Interact) कर पाना संभव हो पाया है। मॉनीटर एक टी.वी. (T.V.) की आकृति जैसा होता है। इसे विजुअल डिस्प्ले यूनिट (Visual Display Unit-V.D.U.) भी कहते हैं। मॉनीटर मुख्यतः दो प्रकार के होते है –
1. सी.आर.टी. मॉनीटर
2. एफ पी.डी. मॉनीटर
1. सी आर. टी. मॉनीटर (C.R.T.-Cathode Ray Tube Monitor) – CRT मॉनीटर घर में काम आने वाले टेलीविजन के समान होता है। इस प्रकार के मॉनीटर में कैथोड रे पिक्चर ट्यूब (Cathode Ray picture Tube) होती है। तथा इसकी स्क्रीन फॉस्फर ब्रॉन्ज लेप युक्त होती है। कैथोड ट्यूब से इलेक्ट्रॉन निकलकर जब स्क्रीन पर गिरते हैं। तो स्क्रीन उस स्थान पर चमकने लगता है।

2. एफ. पी. डी. मॉनीटर (F.P.D.- Flat Panel Display Monitar) – ये नई तकनीक पर आधारित मॉनीटर हैं। इसमें आवेशित आयनों और गैसों को काँच की प्लेटों के मध्य संयोजित किया जाता है। ये पतली डिस्प्ले डिवाइसेस फ्लैट पेनल डिस्प्ले कहलाती है। FPD मॉनीटर अत्यधिक चपटे, वजन में हल्के और कम विद्युत खपत करने वाले होते हैं। किन्तु ये महँगे होते हैं तथा इनका रेजोल्यूशन भी कम होता है।

FPD मॉनीटर तीन प्रकार के होते हैं –
द्रवीय क्रिस्टल डिस्प्ले मॉनीटर (LCD – Liquid Crystal Display Monitor)
गैस प्लाज्मा डिस्प्ले मॉनीटर (GPD – Gas Plasma Display Monitar)
इलैक्ट्रोल्यूमिने सेट डिस्प्ले मॉनीटर (ELDElectroluminescent Display Monitor)
प्रश्न 3.
हार्ड डिस्क की संरचना एवं कार्य-प्रणाली सचित्र समझाइए।
उत्तर:
यह एक मल्टी डिस्क मैमोरी डिवाइस है। इसमें अनेक डिस्क एक के ऊपर एक समानान्तर लगी होती हैं। चूंकि हार्ड डिस्क एवं इसे चलाने के लिये ड्राइव एक साथ लगी होती है अतः इसे हार्ड डिस्क ड्राइव भी कहा जाता है। हार्ड डिस्क कम्प्यूटर में एक निश्चित स्थान पर लगी रहती है। इस डिस्क की संग्रहण क्षमता फ्लॉपी डिस्क की तुलना में बहुत अधिक होती है। वर्तमान में प्रचलित 160 GB, 320 GB, 500 GB, 1 TB तथा 2 TB संग्रह क्षमता वाली हार्ड डिस्क हैं। हार्डडिस्क की आन्तरिक संरचना में धातु से निर्मित डिस्क प्लेटर या चकतियों का समूह होता है। जिसमें प्रत्येक प्लेटर की दोनों सतहों पर चुम्बकीय पदार्थ का लेपन होता है। इस वजह से प्लेटर की दोनों सतहों पर डाटा को रीड अथवा राइट किया जा सकता है। प्रत्येक प्लेटर की सतहों पर ट्रेक्स एवं सेक्टर होते हैं। डाटा इन्हीं ट्रेक एवं सेक्टर पर संग्रहित किया जाता है। सभी डिस्क प्लेटर एक स्पिण्डल (Spindle) में समान्तर दूरी पर सैट होती है। प्रत्येक प्लेटर का अलग-अलग रीड/राइट हैड होता है। सभी रीड/राइट हैड एक एक्सेस आर्म (Access Arm) से जुड़ी होती है।

हार्ड डिस्क एक पूर्णत: वायुरोधी बन्द डिब्बे में रखा जाता है। जिससे इसमें धूल आदि आने की सम्भावना नहीं रहती है। डिस्क की सतह पर चिकनाईयुक्त पदार्थों की कोटिंग भी होती है; इससे डिस्क व रीड/राइट हैड के मध्य घर्षण नहीं होता एवं डिस्क एवं हैड दोनों ही लम्बे समय तक कार्योपयोगी बने रहते हैं।
प्रश्न 4.
सी.डी. रोम क्या है ? इसकी कार्यप्रणाली तथा इसके उपयोग लिखिए।
उत्तर:
सी.डी. रोम एक ऑप्टिकल मैमोरी होती है जिस पर इन्फॉर्मेशन को विशाल मात्रा में संग्रहीत किया जा सकता है। डिस्क पर संग्रहीत इन्फॉर्मेशन को रीड करने के लिये ऑप्टिकल मैमोरी लेजर किरणों का प्रयोग करती है। सी. डी. पोर्टेबल होती है अर्थात् इसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से ले जाया सकता है। सी.डी. रेजिन (Resin) जैसे पॉलीकार्बोनेट से निर्मित होती है। इस पर एल्यूमीनियम जैसे परावर्ती पदार्थ की एक पतली परत चढ़ी होती है। वहीं इसकी ऊपरी सतह पर लेकर (Lacquer) नामक पदार्थ की एक परत होती है जो धूल एवं स्क्रैच से इसकी सुरक्षा करती है।
डाटा संग्रहण की प्रक्रिया में सी.डी. रोम पर अच्छी तीव्रता (25 मेगावॉट) वाली लेजर किरणें डाली जाती हैं जिससे वहां एक अति सूक्ष्म गड्ढा बन जाता है जिसे पिट (Pit) कहते हैं। सी.डी. रोम में डाटा को डिस्क से पढ़ने के लिए कम तीव्रता (6 मेगावॉट) वाली लेजर किरणें डाली जाती हैं। यहाँ से परावर्तित लेजर किरणों को फोटो डिटेक्टर के द्वारा जाँचा जाता है तथा डाटा को पढ़ने के लिए पिट की उपस्थिति को जाँचता है। सी.डी. रोम में भी डाटा संग्रहण टैक्स के रूप में किया जाता है तथा ये टैक्स सेक्टर में बंटे रहते हैं। एक सी.डी. रोम की संग्रहण क्षमता फ्लॉपी डिस्क से कहीं ज्यादा होती है। इसमें 650 MB तक डाटा संग्रहण किया जा सकता है।
प्रश्न 5.
प्रिन्टर के प्रकार तथा उनकी कार्य-प्रणाली बताइये।
उत्तर:
प्रिन्टर्स (Printers) – प्रयोगकर्ता कम्प्यूटर से प्राप्त परिणामों को मॉनीटर स्क्रीन पर देख सकता है, परन्तु अनेक कार्य ऐसे होते हैं, जहाँ पर केवल मॉनीटर स्क्रीन पर प्रदर्शन पर्याप्त नहीं है। उसे कागज पर छापकर प्रस्तुत करने की आवश्यकता होती है और इस कार्य के लिये प्रिन्टर का प्रयोग किया जाता है। कागज पर मुद्रित आउटपुट को हार्ड कापी कहा जाता है। प्रिन्टर का मुख्य कार्य कम्प्यूटर से प्राप्त डिजिटल संकेतों को मानव के समझने योग्य भाषा संकेतों अथवा चित्रों में परिवर्तित करके हार्ड कापी के रूप में कागज पर मद्रित करना होता है। प्रिन्टर्स को सामान्यतः दो प्रकार में बाँटा जाता है।
(1) इम्पैक्ट प्रिंटर (Impact Printer)
(2) नॉन इम्पैक्ट प्रिंटर (Non-Impact Printer)
(1) इम्पैक्ट प्रिंटर (Impact Printer) – प्रिंटिंग की इस। विधि में धातु का एक हथौड़ा या प्रिन्ट हैड होता है जो स्याही के रिबन पर प्रहार करता है। कागज ठीक रिबन के नीचे रखा होता है। दाब प्रिंट हैड रिबन पर प्रहार करता है तो उस समय उपस्थित करेक्टर कागज पर प्रिंट हो जाता है। इस विधि का प्रयोग करने वाले प्रिंटर का विवरण निम्न प्रकार है डाट मैट्रिक्स प्रिंटर (Dot Matrix Printer) – डाटे मैट्रिक्स प्रिंटर एक प्रकार का इम्पैक्ट प्रिंटर है, वे प्रिंटर जिसमें अक्षर डाट द्वारा प्रिंट किए जाते हैं, डाट मैट्रिक प्रिंटर कहलाते हैं। इस प्रिंटर के प्रिंट हैड में अनेक पिनों का एक समूह होता है। जिसे मैटिक कहते हैं। प्रत्येक पिन के रिबन व कागज पर प्रहार से एक बिन्दु (Dot) बनता है, अनेक डाट मिलकर एके करेक्टर बनाते हैं। प्रिन्ट हैड में 7, 9, 14, 18 या 24 पिनों का ऊर्ध्वाधर समूह या मैट्रिक होता है। इसमें प्रिंटिंग हैड दोनों दिशाओं में चलकर प्रिंटिंग का कार्य सम्पन्न करता
डेजी व्हील प्रिन्टर (Daisy Wheel Printer) – डेजी व्हील प्रिन्टर एक इम्पैक्ट प्रिंटर है, जिसमें एक गोलाकार चक्र (Wheel) के समन प्रिंट हैड होता है। इसमें पुष्प की पंखुड़ियों के समान अनेक तानें (Spokes) होती हैं तथा प्रत्येक तान पर एक करेक्टर का ठोस फोन्ट उभरा रहता है। यह दिखने में डेजी (गुलबहार) के पुष्प जैसा प्रतीत होता है। इसी कारण इसे डेजी व्हील का नाम दिया गया है। यह प्रिंटर डाट मैट्रिक की तुलना में आउटपुट उच्चकोटि का तथा स्पष्ट प्रदान करता है लेकिन यह धीमी गति का प्रिन्टर है। इसकी गति 90 CRS होती है और इससे सिर्फ करेक्टर टाइप किया जा सकता है। ग्राफिक्स या चित्र इत्यादि की छपाई नहीं की जा सकती है।
लाइन प्रिन्टर (Line Printer) – यह इम्पैक्ट प्रिन्टर है। इसे डार्ट मैट्रिक्स प्रिन्टर का सुधरा हुआ रूप भी कह सकते हैं। लाइन प्रिंटर में भी फ्रेब्रिक रिबन का प्रयोग होता है। यह कम्प्यूटर द्वारा भेजे गए टैक्स्ट की लाइनों को एक-एक करके एक बार में ही प्रिन्ट कर देता है। इसकी गति अपेक्षाकृत अधिक होती है।
इम प्रिन्टर (Drum Printer) – यह प्रिन्टर एक सरल तकनीक पर कार्य करता है, इसमें एक बेलनाकार आकृति का तेज घूमने वाला ड्रम लगा होता है। डुम की बाहरी सतह पर करेक्टर लगे होते हैं। जब ड्रम घूमता है तो तीव्र गति से हथौड़े द्वारा छापे जाने वाले करेक्टर पर प्रहार किया जाता है। जिससे वह करेक्टर कागज पर छप जाता है। इसमें जब बेलनाकार ड्रम एक चक्कर पूरा करता है तो वह एक लाइन प्रिंट करता है। यह एक उच्च गति का प्रिन्टर है।
(2) नॉन-इम्पैक्ट प्रिंटर (Non Impact Printer) – नॉन-इम्पैक्ट प्रिंटर उच्च कोटि के प्रिंटर होते हैं जिसमें रासायनिक, तापीय अथवा इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से कागज पर छपाई की जाती है। इन प्रिंटर तथा कागज के मध्य कोई सम्पर्क नहीं होता है तथा प्रिंटिंग के दौरान होने वाली आवाज नगण्य होती है। नॉन इम्पैक्ट प्रिंटर के प्रमुख उदाहरण इंकजैट, लेजर प्रिंटर हैं। इनका विवरण निम्न प्रकार है
इंकजेट प्रिंटर (Inkjet Printer) – इसकी मुद्रण प्रणाली भी डाट मैट्रिक्स प्रिन्टर्स के समान होती है, अन्तर केवल इतना है कि इसमें कागज पर छपने वाले बिन्दु स्याही की बहुत छोटी-छोटी बूंदों से मिलकर बने होते हैं। ये बिन्दु अनेक बारीक छिद्रों वाले नोजल के द्वारा बनाये जाते हैं। प्रिंटर के प्रिंट हैड में बारीक छिद्रों वाले नोजल में से स्याही पम्प करके बाहर फेंकी जाती है। जैसे प्रिंट हैड चलता है। उसमें से स्याही पम्प होकर कागज पर प्रिंटिंग का कार्य पूर्ण कर देती है। इंकजेट प्रिंटर से प्राप्त आउटपुट बहुत स्पष्ट होता है लेकिन यह एक बार में एक हार्ड कापी ही बना पाता है। ये प्रिन्टर प्रारम्भ में काफी महँगे होते थे लेकिन अब इनकी कीमत .. बहुत कम हो गयी है। इस प्रिंटर की मुख्य समस्या प्रिंट हैड के नोजल के सिरों पर स्याही जम जाने से छिद्रों का बन्द हो जाना है।
लेजर प्रिन्टर (Laser Printer) – ये प्रिन्टर भी बिन्दुओं द्वारा ही प्रिंटिंग का कार्य करते हैं ये सबसे अधिक विकसित प्रिन्टर होते हैं। इन प्रिंटर में लेजर किरणों का प्रयोग किया जाता है। लेजर किरण एक दर्पण की सहायता से मॉडुलेटर से होती हुई बहु-दर्पणी डुम पर डाली जाती है। इस प्रकाश-पुंज के कारण प्रिन्ट होने वाले चिने या आकार के गुप्त प्रतिबिम्ब की प्रकाश चालक सतह आवेशित हो जाती है। इस आवेशित सतह पर एक खास स्याही का प्रयोग किया जाता है।
जिसे टोनर (Toner) कहते हैं। इससे कागज की सतह पर अक्षर उभर जाते हैं। लेजर प्रिन्टर द्वारा प्रिन्ट किये गये पृष्ठों की गुणवत्ता एवं स्पष्टता अन्य प्रिन्टर्स में सर्वोत्तम होती है। लेजर प्रिंटर काफी महँगे होते हैं तथा उच्च क्वालिटी की छपाई तथा तीव्र गति से कार्य करने में सक्षम होते हैं। लेजर प्रिंटर की सहायता से रंगीन तथा उच्च क्वालिटी में छपाई भी कर सकते हैं। लेजर प्रिंटर से प्लास्टिक शीट या अन्य शीट पर भी छपाई की जा सकती है।
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
बहुचयनात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
फ्लॉपी डिस्क बनाई जाती है –
(अ) मायलर प्लास्टिक से
(ब) सिल्वर फॉयल से।
(स) चुम्बकीय पदार्थ से
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) मायलर प्लास्टिक से
प्रश्न 2.
संग्रहण युक्तियों पर लेपन के लिए प्रयुक्त पदार्थ है
(अ) अमोनियम नाइट्रेट है –
(ब) सिल्वर क्लोराइड
(स) आयरन आक्साइड
(द) फैरस क्लोराइड
उत्तर:
(स) आयरन आक्साइड
प्रश्न 3.
सी.डी. रोम में डाटा संग्रहीत किया जा सकता है –
(अ) 650 MB
(ब) 1 GB
(स) 2 GM
(द) 4:26 GB
उत्तर:
(अ) 650 MB
प्रश्न 4.
की-बोर्ड में सामान्यतः कुंजियों की संख्या होती है –
(अ) 101 से 108 के मध्य
(ब) 85 से 92 के मध्य
(स) 102 से 112 के मध्य
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) 101 से 108 के मध्य
प्रश्न 5.
डिस्क व टेप हैं –
(अ) इनपुट यूनिट
(ब) आउटपुट यूनिट
(स) स्टोरेज
(द) सी.पी.यू. के भाग
उत्तर:
(स) स्टोरेज
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
सी.डी. रोम में डाटा को डिस्क से पढ़ने के लिए कौन-सी व सामान्यतः कितनी तीव्रता की किरणें प्रयोग की जाती हैं ?
उत्तर:
लेजर किरणे, तीव्रता 50 मेगावॉट।
प्रश्न 2.
साधारण डीवीडी का व्यास तथा संग्रहण क्षमता कितनी होती है ?
उत्तर:
व्यास 4.7 इंच, संग्रहण क्षमता 4.7 GB तथा बाजार में 17 GB की भी डीवीडी उपलब्ध है।
प्रश्न 3.
ब्लू-रे डिस्क की संग्रहण क्षमता कितनी है तथा इसको किस युक्ति से पढ़ा जाता है ?
उत्तर:
इसकी संग्रहण क्षमता 25 GB प्रति सिंगल लेयर तथा 50 GB ड्यूल लेयर होती है तथा इसको पढ़ने के लिए ब्ल्यू वायोलेट लेजर का उपयोग किया जाता है।
प्रश्न 4.
की-बोर्ड एनकोडर एक कुंजी को दबाने पर डाटा को कितने बिट के कोड में बदलती है ?
उत्तर:
8 बिट के कोड में।
प्रश्न 5.
कम्प्यूटर भाषा में कौन-कौन से अंक होते हैं ?
उत्तर:
दो अंक होते हैं – 0 व 1.
लघूत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
टाइपमैटिक किसे कहते हैं ? समझाओ।
उत्तर:
यदि किसी की-बोर्ड की कुंजी या ‘की’ को आधे सेकण्ड से ज्यादा दबाए रखा जाये तो वह स्वयं को दोहराने लगती है। यह क्रिया टाइपमैटिक कहलाती है। टाइपमैटिक की दर 10 बार प्रति सेकण्ड होती है।
प्रश्न 2.
निम्न के पूरे नाम लिखिए –
CRT
FPD
LCD
GPD
ELD
CD ROM
DMP
DWP
LASER
DVD
VDU
CRPT
उत्तर:
CRT – Cathode Ray Tube
FPD – Flat Panel Display
LCD – Liquid Crystal Display
GPD – Gas Plasma Display
ELD – Electro Luminescent Display
CDROM – Compact Disk Read Only Memory
DMP – Dot Matrix Printer
DWP – Daisy Wheel Printer
LASER – Light Amplification by Stimulated Emission of Radiation.
DVD – Digital Video Disk
VDU – Visual Display Unit
CRPT – Cathode Ray Picture Tube
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
स्कैनर, वेब कैमरा व माइक्रोफोन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखो।
उत्तर:
स्कैनर (Scanner) – यह एक ऐसा इनपुट डिवाइस है जिसकी सहायता से कागज पर बने हुए या छपे हुए चित्र को अंकीय डाटा में बदलकर कम्प्यूटर को भेज देता है। स्कैनर से हमें छपे हुए पाठ्य को भी पढ़ सकते हैं। इसमें हम हार्ड कॉपी (कागज या चित्र के रूप में) को सॉफ्ट कॉपी (कम्प्यूटर में अंकीय रूप में) परिवर्तित कर सकते हैं।
वेब कैमरा (Web Camera) – यह एक डिजिटल कैमरे के समान कैमरा होता है जिसे हम कम्प्यूटर से जोड़कर साधारण कैमरे की तरह चित्र खींच सकते हैं। जो कम्प्यूटर मैमोरी में डिजिटल चित्र के रूप में स्टोर हो जाते हैं। वेब कैमरे का उपयोग प्राय: ऑनलाइन विडियो कॉन्फ्रेंसिंग अथवा वीडियो चैटिंग में किया जाता है।
माइक्रोफोन (MicroPhone) – इसे संक्षेप में माइक (mic) भी कहा जाता है। यह एक वाइस रिकाग्नॉइजर इनपुट डिवाइस होता है जिसकी सहायता से ध्वनि को डिजिटल रूप में परिवर्तित कर कम्प्यूटर द्वारा सुरक्षित किया जाता है।
प्रश्न 2.
की-बोर्ड का वर्णन कीजिए तथा इसकी विभिन्न कुंजियों के बारे में संक्षिप्त वर्णन करो।
उत्तर:
की-बोर्ड (Key Board)-की-बोर्ड की कुंजी (key) को मुख्यतः छः भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है जिनका विवरण निम्न प्रकार है –
वर्णमाला कुंजियाँ (Alphabet Keys) – टाइपराइटर की तरह की-बोर्ड में अंग्रेजी वर्णमाला के सभी 26 अक्षरों के लिए अलग-अलग कुंजिंयाँ होती हैं। इन सभी के ऊपर A से Z तक के अक्षर ‘की’ के ऊपर छपे होते हैं।
आंकिक-कुंजियाँ (Numerical Keys) – वे कुंजियाँ जिन पर 0 से 9 तक के अंक होते हैं वे कुंजियाँ आंकिक कुंजियाँ कहलाती हैं। इनका स्थान की-बोर्ड के ऊपरी भाग पर होता है।
फंक्शन कुंजियाँ (Function Keys) – ये वे कुंजियाँ होती हैं जिन पर F, से F, वाली समस्त कीज (कुंजियाँ) होती हैं इनका स्थान कम्प्यूटर के कीबोर्ड का सबसे ऊपरी भाग होता है तथा इन फंक्शन कुंजियाँ का इस्तेमाल कुछ विशेष कार्यों या शार्टकट कुंजियों के रूप में किया जाता है।
विशेषाक्षर कुंजियाँ (Character Keys) – वे समस्त कुंजियाँ जिन पर विशेष अक्षरों तथा चिह्नों अर्थात ! @ $ / | ~ ?, < > आदि प्रदर्शित होते हैं, विशेषाक्षर कुंजियाँ कहलाती हैं।
अंकगणितीय चिह्न कुंजियाँ (Arithmetical Sign Keys) – वे समस्त कीज जिन पर अंकगणित गणनाओं में प्रयोग किये जाने वाले चिह्न अर्थात =, +, -, #, * आदि होते हैं। अंकगणितीय चिह्न कुंजियाँ कहलाती हैं।
विशेष कुंजियाँ अथवा निर्देश कुंजियाँ-वे समस्त कुंजियाँ जिनका प्रयोग किसी विशेष प्रयोजनों के लिए किया जाता है, विशेष अथवा निर्देश कुंजियाँ कहलाती हैं, इन कुंजियों का विवरण निम्न प्रकार हैं।
कर्सर-कन्ट्रोल कुंजियाँ – ये की-बोर्ड के दायें भाग पर स्थित होती हैं जिनका कार्य कर्सर की स्क्रीन पर बायें, दायें और नीचे लाने-ले जाने के लिए किया जाता है। इन पर →, –, 1, 4 आदि चिह्न बने होते हैं।
एन्टर कुंजी (Enter Key) – यह किसी की-बोर्ड में सर्वाधिक प्रयोग की जाने वाली कुंजी है। कोई शब्द वाक्य या निर्देश लिखने के पश्चात इस कुंजी को दबाया जाता है। तो वह कम्प्यूटर की मैमोरी में चला जाता है।
होम एवं एण्ड कीज (Home and End Keys) होम कुंजी का प्रयोग कर्सर को स्क्रीन पर बनाए गए किसी डाक्यूमेंट के प्रारम्भ में ले जाने के लिए जाता है और एण्ड कुंजी का प्रयोग डाक्यूमेंट के अन्त में ले जाने के लिए किया जाता है।
बैक स्पेस कुंजी (Back Space Key) – बैक स्पेस कुंजी का प्रयोग कर्सर को बायीं ओर अथवा अक्षर को मिटाने के लिए किया जाता है।
स्पेस बार कुंजी (Space Bar Key) -यह की-बोर्ड की सबसे बड़ी कुंजी होती है तथा इसका उपयोग दो अक्षरों, चिह्नों या वर्गों को अलग-अलग लिखने के लिए किया जाता है।
ऑल्ट एवं कन्ट्रोल कुंजी (Alt and Ctrl Keys) – इन कुंजियों को एक्शन कुंजियाँ भी कहा जाता है। इनका प्रयोग किसी अक्षर अथवा चिह्न वाली ‘की’ के साथ कुछ विशेष कार्यों के लिए किया जाता है।
डिलीट कुंजी (Delete Key) यह कुंजी कर्सर के दायीं ओर वाले अक्षर को हटाने के लिए प्रयोग की जाती है।
इन्सर्ट कुंजी (Insert Key) – यह कुंजी किन्हीं दो अक्षरों या वर्षों के मध्य अन्य कोई अक्षर या वर्ण डालने के लिए किया जाता है।
एस्केप कुंजी (Escape Or Esc Key) – इस कुंजी का प्रयोग किसी निर्देश या एन्ट्री को रद्द करने अथवा पूर्ववर्ती कमाण्ड या निर्देश पर जाने के लिए किया जाता है।
पॉज कुंजी (Pause Key) – इस कुंजी के के माध्यम से कम्प्यूटर पर चल रही प्रक्रिया को अस्थायी रूप से रोका जा सकता है।
कैप्स लॉक कुंजी (Caps Lock Key) – इस कुंजी का प्रयोग करके हम सभी अक्षरों को कैपिटल में टाइप कर सकते हैं तथा सामान्य अक्षर टाइप करने के लिए इसे एक |बार पुनः दबाकर प्रयोग कर सकते हैं।
शिफ्ट कुंजी (Shift Key) – की-बोर्ड पर कुछ कुंजियों पर दो अक्षर छपे होते हैं, सामान्यतः कुंजी को दबाने पर नीचे वाला अक्षर टाइप होता है, ऊपर वाले अक्षर को टाइप करने के लिए इस बटन को शिफ्ट के साथ दबाया जाता है।