कक्षा 08वी सामाजिक विज्ञान अध्याय 25 आजादी के बाद का भारत संपूर्ण महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर हिंदी में || NCERT solutions in Hindi for Class 08TH - ULTIMATE STUDY SUPPORT

कक्षा 08वी सामाजिक विज्ञान अध्याय 25 आजादी के बाद का भारत संपूर्ण महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर हिंदी में || NCERT solutions in Hindi for Class 08TH - ULTIMATE STUDY SUPPORT


प्रश्न 1.
संविधान सभा में शामिल कुछ प्रमुख सदस्यों के बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर
संविधान सभा में शामिले प्रमुख सदस्य
संविधान सभा के लगभग 20 महत्त्वपूर्ण सदस्य थे। सभी सदस्य उच्च शिक्षित एवं विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधि थे। संविधान सभा के प्रमुख सदस्य निम्नलिखित थेपं. जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, मौलाना आजाद, गोविन्द वल्लभ पन्त, राजगोपालाचारी, अय्यर, कुंजरु, आयंगर, डॉ. बी.आर. अम्बेडकर, डॉ. सच्चिदानन्द सिन्हा, के.एम. मुंशी आदि।
पं. जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, मौलना आजाद आदि ने राष्ट्रीय आन्दोलन के साथ-साथ संविधान निर्माण में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। ये लोग कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर काम कर चुके थे एवं अन्तरिम सरकार के मंत्रिमंडल में थे।
अय्यर, कुंजरु, डॉ. अम्बेडकर, डॉ. सचिदानन्द सिन्हा, के.एम. मुन्शी आदि प्रशासन व कानून के क्षेत्र में सुविख्यात
पं. जवाहरलाल नेहरू ने संविधान का उद्देश्य प्रस्ताव प्रस्तुत किया. उन्होंने इसकी हर प्रक्रिया में हिस्सा लिया। सरदार पटेल ने रियासतों के प्रतिनिधियों को संविधान सभा में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मौलाना आजाद ने गम्भीर महत्व के कई मुद्दे हल करने में गहन ज्ञान और दार्शनिक मस्तिष्क का प्रयोग किया।
संविधान सभा के अस्थायी अध्यक्ष सच्चिदानन्द सिन्हा थे तथा संविधान सभा के स्थायी अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद थे । डा. भीमराव अम्बेडकर प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे ।
गतिविधि 
पृष्ठ संख्या 172
प्रश्न 2.
कुछ ऐसे लोगों के बारे में पता करने की कोशिश कीजिए जो पाकिस्तान से विस्थापित होकर आए और उनसे यह जानने की कोशिश कीजिए कि यहाँ आने में उन्हें किस तरह के अनुभव हुए ? किस तरह उन्होंने अपनी जिन्दगी की नई शुरुआत की ? उत्तर
पाकिस्तान से विस्थापित होकर आने वाले लोगों के अनुभव- पाकिस्तान से विस्थापित होकर आने वाले लगभग 70-80 लाख शरणार्थियों की दशा अत्यन्त शोचनीय थी। जयपुर में पाकिस्तान से आए कुछ सिन्धी विस्थापितों से बात करने पर ज्ञात हुआ कि ये लोग अपना सब-कुछ पाकिस्तान में छोड़कर आए थे।
उनकी समस्त चल-अचल सम्पत्ति पाकिस्तान में ही रह गई थी। इनके पास जीवन-निर्वाह के लिए पर्याप्त धन भी नहीं था। इनके सामने रोटी, कपड़े और मकान की समस्याएँ थीं। इनमें से कुछ लोगों ने तो अपने परिजनों को भी खो दिया था। विस्थापितों ने बताया कि उन्हें पहले-पहले स्कूल-कॉलेजों में रखा गया। फिर उन्हें बस स्टैण्ड के पास लगे कैम्प में रहना पड़ा। धीरे-धीरे उनके लिए भोजन, पानी, निवास, चिकित्सा आदि की व्यवस्था की गई। उनको क्षतिपूर्ति के रूप में पर्याप्त धन दिया गया। अपने उद्योग-धन्धे स्थापित
करने हेतु उन्हें आर्थिक सहायता दी गई। इस प्रकार उन्होंने छोटे-छोटे व्यापार-उद्योग शुरू किये। कुछ लोगों ने श्रमिकों के रूप में भी काम किया।
गतिविधि 
(पृष्ठ संख्या 178 )
राजस्थान के एकीकरण में योगदान देने वाले कुछ प्रमुख व्यक्तियों के नाम यहाँ दिये जा रहे हैं
सरदार वल्लभ भाई पटेल
श्री वी.पी. मेनन
श्री जयनारायण व्यास
पण्ति हीरालाल शास्त्री
श्री माणिक्यलाल वर्मा
श्री गोकुल भाई भट्ट। खोज करके बताएं कि
प्रश्न 1.
ऊपर जिन लोगों के नाम दिए गए हैं, उनका राजस्थान के इतिहास में और क्या योगदान रहा है?
उत्तर
(1) सरदार वल्लभ भाई पटेल- 5 जुलाई, 1947 को भारत की अन्तरिम संरकार के मन्त्रिमण्डल ने सरदार वल्लभ भाई पटेल के नेतृत्व में राज्य मन्त्रालय की स्थापना की। श्री वी.पी. मेनन को इसका सचिव बनाया गया। स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय राजस्थान में 22 छोटी-बड़ी रियासतें थीं। इसके अतिरिक्त अजमेर मेरवाड़ा का क्षेत्र ब्रिटिश शासन के अन्तर्गत था। इन सभी रियासतों तथा ब्रिटिश शासित क्षेत्रों को मिलाकर एक इकाई के रूप में संगठित करने की अत्यन्त ही विकट समस्या थी। परन्तु सरदार पटेल ने साहस, दृढ़ निश्चय, दूरदर्शिता एवं कूटनीतिक चातुर्य के बल पर राजस्थानी राज्यों का एकीकरण किया।
(2) श्री वी.पी. मेनन- वी.पी. मेनन रियासती सचिवालय के सचिव थे। वी.पी. मेनन एक चतुर राजनीतिज्ञ थे। उन्होंने सरदार पटेल का पूरी तरह से साथ दिया और राजस्थान की रियासतों को एकीकरण करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। सरदार पटेल तथा वी.पी. मेनन ने ‘वृहत राजस्थान के निर्माण के लिए मार्ग प्रशस्त किया और जयपुर, जोधपुर, जैसलमेर तथा बीकानेर को संयुका कर ‘वृहत राजस्थान’ का निर्माण किया। उन्होंने पाकिस्तान द्वारा जोधपुर राज्य को पाकिस्तान में मिलाने की महत्वाकांक्षा को मिट्टी में मिला दिया और सरदार पटेल तथा वी.पी. मेनन के प्रयासों से जोधपुर राज्य ने राजस्थान में मिलना स्वीकार कर लिया।
(3) श्री जयनारायण व्यास– जयनारायण व्यास राजस्थान के एकीकरण के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने मारवाड़ की जनता को प्रेरित किया कि जोधपुर रहून्य को वृहत् राजस्थान में सम्मिलित हो जाना चाहिए।
(4) पण्डित हीरालाल शास्त्री- हीरालाल शास्त्री ने राजस्थान के एकीकरण में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। वृहत राजस्थान का मुख्यमन्त्री बनने का श्रेय श्री शास्त्रीजी को ही प्राप्त हुआ।
(5) श्री माणिक्यलाल वर्मा- माणिक्यलाल वर्मा बिजौलिया किसान आन्दोलन के प्रमुख नेता थे। उन्होंने मेवाड़ राज्य प्रजामण्डल के गठन में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने मेवाड़ के महाराणा को ‘संयुक्त राजस्थान में सम्मिलित होने के लिए प्रेरित किया।
(6) श्री गोकुल भाई भट्ट- गोकुल भाई भट्ट ने सिरोही राज्य प्रजामण्डल के गठन में योगदान दिया। उन्होंने राजस्थान के एकीकरण में भी महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
प्रश्न 3.
ऊपर दिए गए नामों के अलावा और किन लोगों ने राजस्थान के एकीकरण में योगदान दिया हैं ? नाम ढूँढ़कर लाएँ और बताएँ। उत्तर
राजस्थान के एकीकरण में योगदान देने वाले अन्य लोग
श्री मोहनलाल सुखाड़िया
श्री भौगीलाल पंड्या
श्री शोभाराम कुमावत
श्री गोकुललाल असावा
श्री भूरेलाल यया
महाराणा भूपाल सिंह
सवाई मानसिंह
पं. अभिन्न हरि
श्री टीकाराम पालीवाल
श्री बलवंत सिंह मेहता
श्री हरिभाई उपाध्याय
मास्टर आदित्येन्द्र
श्री बृजसुन्दर शर्मा।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
प्रश्न एक व दो के सही उत्तर कोष्ठक में लिखें
प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से भारत का पड़ोसी देश नहीं
(अ) पाकिस्तान
(ब) इंग्लैण्ड
(स) चीन
(६) नेपाल
उत्तर
(ब) इंग्लैण्ड
प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से भारत के प्रधम राष्ट्रपति थे
(अ) डॉ. राधाकृष्णन
(ब) भीमराव अम्बेडकर
(स) डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
(द) वल्लभ भाई पटेल
उत्तर
(स) डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
प्रश्न 3.
राज्यों की सीमाएँ तय करने के लिए कौनसा आयोग बनाया गया?
उत्तर
राज्यों की सीमाएँ तय करने के लिए एक ‘राज्य  पुनर्गठन आयोग का गठन किया गया।
प्रश्न 4.
वर्तमान में भारत के ‘नीति आयोग के अध्यक्ष कौन हैं?
उत्तर
वर्तमान में भारत के ‘नीति आयोग के अध्यक्ष प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी हैं।
प्रश्न 5.
संयुक्त राजस्थान में कौन-कौनसी रियासतें शामिल ध?
उत्तर
संयुक्त राजस्थान में बाँसवाड़ा, कोटा, बूंदी, टोंक, झारनावाड़, प्रतापगढ़, शाहपुरा, किशनगढ़, डूंगरपुर तथा उदयपुर नामक रियासतें शामिल थीं।
प्रश्न 6.
सिन्धी विस्थापितों ने समाज के लिए क्या योगदान किया है?
उत्तर
सिन्धी विस्थापितों का समाज के लिए योगदान
सिन्धी विस्थापितों ने नए माहौल में रहने के लिए नये हुनर सीखे।
कुछ ही समय में उन्होंने नये शहर आबाद कर लिए।
उन्होंने उल्हासनगर (महाराष्ट्र), गाँधीधाम (गुजरात), आदिपुर (गुजरात) जैसे शहरों में अपने व्यापार और उद्योग चलाए।
सिन्धी विस्थापितों में से अनेक महान् राजनीतिक नेता बने, अनेक ने व्यापार और उद्योगों में नाम कमाया। उन्होंने अनुसन्धान, पत्रकारिता, फिल्मों, गायन आदि क्षेत्रों में अपनी अद्भुत प्रतिभा का परिचय दिया।
प्रश्न 7.
भारत के अपने पड़ोसी राष्ट्रों से सम्बन्धों पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर
भारत के अपने पड़ोसी राष्ट्रों से सम्बन्ध
(1) भारत और पकिस्तान– स्वतन्त्रता प्राप्ति से ही भारतपाक सम्बन्ध अच्छे नहीं रहे हैं। कश्मीर के शासक महाराजा इरिसिंह द्वारा भारत में विलय को सहमति देने पर पाकिस्तान ने सैन्य शक्ति के बल पर कश्मीर पर अधिकार करने का प्रयास किया। उसने कबालियों की आड़ में कश्मीर पर आक्रमण किया। यद्यपि भारतीय सेना ने पाक सेना व कायलियों को कश्मीर से खदेड़ दिया, परन्तु आज भी कश्मीर के बड़े क्षेत्र पर पाकिस्तान ने अनधिकृत अधिकार कर रखा है। 1948 ई. के बाद भी 1965 ई., 1971 ई. तथा 1999 ई. में भारत तथा पाकिस्तान के मध्य युद्ध हो चुके हैं तथा सभी में पाकिस्तान पराजित हुआ है, परन्तु आज भी इस क्षेत्र में तनाव बना रहता है।
(2) भारत और चीन- उत्तर दिशा में चीन से हमारा कुछ सीमावर्ती क्षेत्रों को लेकर विवाद चल रहा है। चीन ने भी भारत के बड़े भाग पर अनधिकृत कब्जा किया हुआ है। इस सम्बन्ध में दोनों देशों के बीच अनेक कुटनीतिक वार्ताएँ हो चुकी हैं।
(3) अन्य पड़ोसी देशों से सौहार्दपूर्ण सम्बन्ध- अन्य पड़ोसी देशों, जैसे नेपाल, म्यांमार, भूटान, श्रीलंका, मालदीव से हमारे सम्बन्ध सौहार्दपूर्ण रहे हैं। भारत इन राष्ट्रों के साथ बड़े भाई की भूमिका निभाता है। नेपाल व भूटान के साथ हमारी सीमाएँ खुली हुई हैं तथा इन राष्ट्रों के निवासियों को भारत में कई स्थानों पर कार्य करते हुए देखा जा सकता है। पिछले कुछ वर्षों से भारत ने दक्षिण-पूर्व एशिया के राज्यों से अपने सम्बन्ध मधुर बनाए हैं।
प्रश्न 8.
भारत के एकीकरण में सरदार पटेल का योगदान बताइये।
उत्तर
भारत के एकीकरण में सरदार पटेल का योगदान अंग्रेजों ने भारत को स्वतन्त्र करते समय विभाजित कर दिया और समस्त प्रान्तों को भारत तथा पाकिस्तान नामक दो अधिराज्यों में बाँट दिया। अंग्रेजों ने देशी रियासतों के साथ की गई सन्धिया रद्द कर दें तथा उन पर से अपनी सर्वोच्चता त्याग दी तथा उन्हें यह अधिकार दे दिया कि वे भारत अथवा पाकिस्तान में से किसी भी देश में सम्मिलित हों या चाहे स्वतन्त्र रहें। इससे जटिल समस्या उत्पन्न हो गई क्योंकि कुछ रियासतों के शासक स्वतन्त्र राहना चाह रहे थे तो कुछ पाकिस्तान के नेताओं के बहकावे में आकर पाकिस्तान में मिलने की सोच रहे थे। जबकि ये रियासतें भारतीय भूभाग के बीच में स्थित थीं तथा यहाँ की प्रजा भी भारत में मिलना चाहती थी। इन शासकों के ऐसे प्रयासों से भारत की एकता को खतरा उत्पन्न हो सकता था।
सरदार पटेल के नेतृत्व में रियासती विभाग की स्थापनाइस- समस्या के निराकरण के लिए सरदार वल्लभ भाई पटेल की अध्यक्षता में ‘रियासती विभाग’ को स्थापना की गई । वी.पी. मेनन को इसका सचिव नियुक्त किया गया। सरदार पटेल ने देशी रियासतों के शासकों को भारत में विनय के लिए प्रेरित किया और उन्हें भौगोलिक, आर्थिक तथा जनता की इच्छाओं को ध्यान में रखते हुए कार्य करने का सुझाव दिया। इस अवसर पर बड़ौदा व बीकानेर के शासकों ने भारतीय संघ में सम्मिलित होने की सर्वप्रथम सहमति प्रदान की। भोपाल के नवाब ने जिन्ना के प्रोत्साहन पर राजस्थान के कुछ राजाओं को अपनी ओर मिलाकर पाकिस्न में मिलने की योजना बनाई परन्तु उनके राज्य एवं पाकिस्तान के मध्य मेवाड़ की रियासत स्थित थी ।
इस अवसर पर मेवाड़ के महाराणा भूपालसिंह ने देश-भक्ति का परिचय देते हुए भारत में विलय होने का निश्चय किया एवं देशी रियासतों को पाकिस्तान में मिलाने की जिन्ना की योजना को असफल कर दिया। 15 अगस्त, 1947 से पूर्व केवल जुनागढ़, हैदराबाद तथा कश्मीर को छोड़कर लगभग सभी देशी रियासतों ने भारतीय संघ में सम्मिलित होने पर सहमति प्रदान कर दी।
(1) जूनागढ़ का विलय- जूनागढ़ की प्रजा ने अपने नवाब के विरुद्ध विद्रोह कर अपना विलय भारत में कर लिया।
(2) हैदराबाद का विलय- हैदराबाद का निज़ाम जनभावनाओं की अवहेलना करते हुए भारत से अलग रहना चाहता था परन्तु सरदार पटेल ने सेना भेजकर हैदराबाद को भारत में मिला लिया।
(3) कश्मीर- पाकिस्तान ने कश्मीर पर अधिकार करने के लिए उस पर आक्रमण कर दिया परन्तु कश्मीर के शासक महाराजा हरिसिंह तथा राजनीतिक दलों ने कश्मीर के भारत में विलय पर सहमति दे दी। अत: कश्मीर का भी भारत में विलय हो गया। इस प्रकार सरदार पटेल के अथक प्रयासों से देशी रियासत का भारतीय संघ में विलय हुआ तथा शेष भारत विखण्डन से बच गया। सरदार पटेल ने जिस प्रकार का अदम्य साहस तथा दृढ़ निश्चय इस सम्पूर्ण घटनाक्रम के दौरान दिखाया, उसके कारण उन्हें ‘लौहपुरुष’ कहा गया।
प्रश्न 9.
स्वतन्त्रता के बाद भारत के सम्मुख प्रमुख चुनौतियाँ क्या थी ?
उत्तर
स्वतन्त्रता के बाद भारत के सम्मुख प्रमुख चुनौतियाँ
स्वतन्त्रता के बाद भारत के सम्मुख निम्नलिखित प्रमुख चुनौतियाँ –
विस्थापितों की समस्या- देश के विभाजन के कारण लगभग 70 80 लाख लोग पाकिस्तान से विस्थापित होकर भारत आए थे। उनके निवास, भोजन, रोजी-रोटी आदि की व्यवस्था भी भारत सरकार को करनी थी।
देशी रियासतों का विलय– स्वतन्त्रता से पूर्व भारत में 562 देशी रियासतें थीं। इनके शासकों को भारत में विलय के लिए तैयार करके भारत का एकीकरण पूरा करना एक गम्भीर चुनौती थी।
पड़ोसी देशों से सम्बन्ध– भारत को अपने पड़ोसी देशों के साथ सीमाओं का निर्धारण कर उनसे अच्छे सम्बन्ध भी बनाने थे।
भारत को सुदृढ़ देश बनाना- अंग्रेजों ने भारत को आर्थिक दृष्टि से बहुत कमजोर कर दिया था। अत: भारत को पुनः मजबूत देश बनाना था।
भाषागत, जातिगत एवं क्षेत्रीय विविधताएँ- भारत में भाषागत, जातिगत एवं क्षेत्रीय विविधताएँ रही हैं। इनमें उपस्थित राष्ट्रीय एकता के तत्वों को पहचान कर सभी के मन में अपने राष्ट्र के प्रति गौरव की भावनाएँ उत्पन्न करनी थीं।
प्रश्न 10.
स्वतन्त्रता के बाद राज्यों के पुनर्गठन की घटनाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर
स्वतन्त्रता के बाद राज्यों के पुनर्गठन की घटनाएँ स्वतन्त्र भारत में यह मांग उठी कि राज्यों की सीमाएँ भी फिर से निर्धारित की जाएँ, ताकि लोगों को राज्य प्रशासन के साथ व्यवहार करने में आसानी हो। स्वतन्त्रता के पहले कई राज्यों का आकार भी बहुत बड़ा था। ‘बम्बई राज्य में महाराष्ट्र एवं गुजरारी शामिल थे। ‘मद्रास राज्य में वर्तमान तमिलनाडु आन्ध्रप्रदेश और कर्नाटक के कुछ भाग आते थे। अतः राज्यों को सीमाएँ तय करने के लिए एक राज्य पुनर्गठन आयोग’ का गठन किया गया । इसने यह लाह दी कि राज्यों को भाषा के आधार पर बनाना चाहिए।
अत: मद्रास को मैसूर, आन्ध्रप्रदेश तथा मद्रास राज्यों में विभाजित किया गया। बाद में मद्रास को तमिलनाडु नाम दिया गया।
मैसूर का नाम बदलकर ‘कर्नाटक’ रखा गया।
बम्बई राज्य को गुजरात और महाराष्ट्र में बाँटा गया।
मध्यवर्ती भारत में मध्य प्रदेश बनाया गया।
राजस्थान का एकीकरण कर उसे एक स्थायी रूप दिया गया।
लोगों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए 1965 में पंजाब और हरियाणा राज्य बनाये गए।
नवम्बर, 2002 में उत्तर प्रदेश से अलग करके उत्तरांचल बना। उत्तरांचल को बाद में उत्तराखण्ड का नाम दिया गया।
मध्य प्रदेश को विभाजित करके छत्तीसगढ़ बना तथा बिहार से झारखण्ड़ को अलग किया गया।
वर्तमान में आन्ध्रप्रदेश को विभाजित कर ‘तेलंगाना नामक नया राज्य बनाया गया। आज भी नये राज्यों के बनाये जाने की माँग उठ रही है।
प्रश्न 11.
राजस्थान के एकीकरण के विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिए।
अथवा
विभिन्न चरणों में एकीकरण द्वारा वर्तमान राजस्थान अस्तित्व में आया। एकीकरण के विभिन्न चरणों को ध्यान में रखते हुए बतलाइये कि राजस्थान का निर्माण किस प्रकार हुआ?
उत्तर
राजस्थान के एकीकरण के विभिन्न चरण
प्रथम चरण : मत्स्य संघ– सर्वप्रथम मेवात के इलाके से अलवर, भरतपुर, धौलपुर तथा करौली ने मार्च, 1948 में इकट्ठा रहने का फैसला किया। इस संगठन को ‘मरस्य संघ का नाम दिया गया। अलबर को ‘मत्स्य संप’ की राजधानी बनाया गया।
द्वितीय चरण : संयुक्त राजस्थान- मार्च, 1948 में दक्षिण-पूर्वी तथा दक्षिण राजस्थान की 9 रियासतों ने मिलकर ‘संयुक्त राजस्थान’ नामक संघ का गठन किया। इसमें बांसवाड़ा, कोय, बूंदी, टोंक, झालावाड़, प्रतापगढ़, शाहपुरा, किशनगढ़ तथा डूंगरपुर नामक रियासतें शामिल थीं । कोटा को संयुक्त राजस्थान की राजधानी बनाया गया।
तृतीय चरण : संयुक्त राजस्थान- तीन सप्ताह बाद मेवाड़ अर्थात् उदयपुर रियासत भी ‘संयुक्त राजस्थान में सम्मिलित हो गयी। संयुक्त राजस्थान की राजधानी उदयपुर को बनाया गया। राजप्रमुख मेवाड़ के महाराणा भूपालसिंह बने तथा माणिक्यलाल वर्मा को प्रधानमन्त्री बनाया गया।
चतुर्थ चरण : वृहत् राजस्थान- 3 मार्च, 1949 को बची हुई चार रियासतें भी इस संघ में सम्मिलित हो गई। अत: अब ‘संयुक्त राजस्थान संघ में जयपुर, जोधपुर, जैसलमेर तथा बीकानेर भी शामिल हो गए। संघ का नाम बदलकर ‘वृहत् राजस्थान’ रख दिया गया।’ वृत् राजस्थान की राजधानी जयपुर को बनाया गया। मेवाड़ के महाराणा भूपारनसिंह को महाराजप्रमुख, जयपुर के महाराजा मानसिंह को राजप्रमुख बनाया गया। पण्डित हीरालाल शास्त्री को वृहत् राजस्थान का प्रधानमन्त्री बनाया गया।
पंचम चरण : वृहत् राजस्थान-15 मई, 1949 को ‘मत्स्य संघ’ ‘वृहत् राजस्थान में शामिल हो गया।
षष्ठम चरण : वृहत् राजस्थान- 26 जनवरी, 1950को देलवाड़ा एवं आबु क्षेत्र के अलावा बाकी सिरोही रियासत भी राजस्थान का हिस्सा बन गई।
सप्तम चरण: राजस्थान- भारत सरकार द्वारा गठित राज्य पुनर्गठन कमीशन के कहने पर 1955 ई. में अजमेर| मेरवाड़ा के इलाके को भी राजस्थान में मिला दिया गया। साथ ही साथ मध्य प्रदेश के सुनेल टप्पा और सिरोही की देलवाड़ा एवं आबू तहसील को भी राजस्थान में मिला दिया गया तथा राजस्थान का सिरोंज मध्यप्रदेश में मिला दिया गया।  इस प्रकार वर्तमान राजस्थान का 1 नवम्बर, 1956 को एकीकरण हुआ परन्तु राजस्थान दिवस ‘वृहत् राजस्थान के आधार पर 30 मार्च को ही मनाया जाता है।
प्रश्न 12.
देशी रियासतों के भारत विलय में क्या कठिनाइयाँ थीं ? बताइये।
उत्तर
देशी रियासतों के भारत विलय में कठिनाइयाँ
अंग्रेजों ने देशी रियासतों के साथ की गई सन्धियाँ रद्द कर दी तथा उन पर से अपनी सर्वोच्चता त्याग दी तथा उन्हें यह अधिकार दे दिया कि वे भारत अथवा पाकिस्तान में से किसी भी देश में शामिल हो जाएँ । चाहे स्वतन्त्र रहे। इससे यह समस्या उत्पन्न हुई कि कुछ रियासतों के शासक स्वतन्त्र रहना चाहते थे तथा कुछ पाकिस्तान के बहकावे में आकर पाकिस्तान में मिलना चाहते थे। जबकि ये रियासतें भारतीय भूभाग के मध्य में स्थित थीं तथा यहाँ की प्रजा भी भारत में मिलना चाहती थी।
इन शासकों के ऐसे कदमों से भारत की एकता को खतरा उत्पन्न हो सकता था।
भोपाल के नवाब ने जिन्ना के प्रोत्साहन पर राजस्थान के कुछ राजाओं को अपनी ओर मिलाकर पाकिस्तान में मिलने की योजना बनाई परन्तु उनके राज्य एवं पाकिस्तान के बीच मेवाड़ रियासत स्थित थी। मेवाड़ के महाराणा ने पाकिस्तान में मिलने से इन्कार कर दिया और भारत में विलय होने का निश्चय किया।
जूनागढ़ के नवाब ने भी पाकिस्तान में मिलने का प्रयास किया, परन्तु वहाँ की प्रजा ने अपने नवाब के विरुद्ध विद्रोह कर अपना विलय भारत में कर दिया।
हैदराबाद के निजाम ने भारत से अलग रहने का प्रयास किया, परन्तु सरदार पटेल ने सेना भेजकर उसे भारत में मिला दिया।
पाकिस्तान ने सैन्य शकित के बल पर कश्मीर पर अधिकार करने का प्रयास किया परन्तु वहाँ के महाराजा हरिसिंह तथा राजनीतिक दलों ने भारत में विलय पर सहमति दे दी।
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न 
बहुविकल्पात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भारतीय संविधान सभा का गठन किया गया–
(अ) 1950
(ब) 1946
(स) 1948
(द) 1947
उत्तर
(ब) 1946
प्रश्न 2.
प्रारम्भ में भारतीय संविधान सभा में कुल सदस्य रखें गये थे
(अ) 290
(ब) 292
(स) 289
(द) 389
उत्तर
(द) 389
प्रश्न 3.
भारतीय संविधान लागू किया गया
(अ) 26 नवम्बर, 1948
(4) 26 जनवरी, 1949
(स) 26 जनवरी, 1950
(द) 3 जून, 1950
उत्तर
(स) 26 जनवरी, 1950
प्रश्न 4.
भारतीय संविधान सभा में राजस्थान से आने वाले सदस्य
(अ) मोहनलाल सुखाड़िया
(ब) हरिदेव जोशी
(स) मानसिंह
(द) जयनारायण व्यास
उत्तर
(द) जयनारायण व्यास
प्रश्न 5.
किसे लौह पुरुष कहा जाता है
(अ) सरदार पटेल
(ब) वी.पी, मेनन
(स) सुभाषचन्द्र बोस
(द) हीरालाल शास्त्री
उत्तर
(अ) सरदार पटेल
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. देश के विभाजन के कारण लगभग………..शरणार्थी भारत आए थे।  (70-80 लाख/2 करोड़)
2. भारतीय संविधान सभा के अध्यक्ष…………थे। (डॉ. राजेन्द्र प्रसाद/जवाहरलाल नेहरू)
3. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद भारत के प्रथम बने (राष्ट्रपतिप्रधानमन्त्री)
4. संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष—-में । (वल्लभ भाई पटेल डॉ. भीमराव अम्डेकर)
5. भारत की अन्तरिम सरकार ने——-की अध्यक्षता में रियासती विभाग की स्थापना की थी। (सरदार वल्लभ भाई पटेल/डॉ. राजेन्द्र प्रसाद)
उत्तर
1. 70-80 लाख
2. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
3. राष्ट्रपति
4. डॉ. भीमराव अम्डेबकर
5. सरदार वल्लभ  भाई पटेल।
निम्नलिखित प्रश्नों में सत्य/असत्य कथन बताइये
1. भारतीय संविधान सभा में मोहनलाल सुखाड़िया राजस्थान से आने वाले सदस्य थे।
2. गोविन्द वल्लभ पंत को भारत का लौह पुरुष कहा जाता है।
3. कश्मीर के शासक महाराजा हरिसिंह ने भी भारत में विनय पर सहमति प्रदान कर दी।
4. 1948 के बाद भी 1965 ई., 1971 ई. तथा 1999 ई. में भारत के पाक के साथ युद्ध हो चुके हैं।
5. 1950 में भारत में नीति आयोग नामक संस्था का गठन किया गया।
उत्तर
1. असत्य
2. असत्य
3. सत्य
4. सत्य
5. असत्य
स्तम्भ ‘अ’ को स्तम्भ ‘ब’ से सुमेलित कीजिए
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भारतीय संविधान सभा का गठन कब किया गया?
उत्तर
1945 ई. में भारतीय संविधान सभा का गठन किया गया।
प्रश्न 2.
भारतीय संविधान सभा में कुल कितने सदस्य रखे गए।
उत्तर
भारतीय संविधान सभा में कुल 389 सदस्य रखे
प्रश्न 3.
3 जून, 1947 के बाद संविधान सभा में कुल कितने सदस्य रहे थे?
उत्तर
799 सदस्य।
प्रश्न 4.
संविधान सभा के अध्यक्ष कौन थे?
उत्तर
संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद थे।
प्रश्न 5.
भारतीय संविधान कब लागू किया गया?
उत्तर
26 जनवरी, 1950 को भारतीय संविधान लागू  किया गया।
प्रश्न 6.
संविधान की प्रारूप समिति के अध्यक्ष कौन थे?
उत्तर
संविधान की प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अम्बेडकर थे।
प्रश्न 7.
भारत की अन्तरिम सरकार ने किसकी अध्यक्षता में  रियासती विभाग की स्थापना की?
उत्तर
भारत की अन्तरिम सरकार ने सरदार वल्लभभाई पटेल की अध्यक्षता में रियासती विभाग की स्थापना
प्रश्न 8.
सर्वप्रथम किन रियासतों के शासकों ने भारतीय संघ में सम्मिलित होने की सहमति प्रदान की?
उत्तर
सर्वप्रथम बौदा तथा बीकानेर के शासकों ने भारतीय संघ में सम्मिलित होने की सहमति प्रदान की।
प्रश्न 9.
राजस्थान के किस शासक ने देशी रियासतों को पाकिस्तान में मिलाने की जिन्ना की योजना को असफल कर दिया ।
उत्तर
मेवाड़ के महाराणा भूपालसिंह ने।
प्रश्न 10.
15 अगस्त, 1947 से पूर्व किन रियासतों को छोड़कर बाकी रियासतों ने भारतीय संघ में शामिल होने पर सहमति दे दी थी? उत्तर
जूनागढ़, हैदराबाद तथा कश्मीर।
प्रश्न 11.
सरदार पटेल को ‘लौहपुरुष’ क्यों कहा जाता | है?
उत्तर
सरदार पटेल ने जिस प्रकार का दृढ़ निश्चय एवं  साहस देशी रियासतों के विलीनीकरण के दौरान दिखाया, उसके कारण उन्हें ‘लौहपुरुष’ कहा जाता है।
प्रश्न 12.
‘रेडक्लिफ रेखा’ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर
भारत और पाकिस्तान के अलग होने पर रेडलिफ आयोग ने इन दोनों देशों के बीच सीमा का निर्धारण किया। इस सीमा रेखा को ‘रेडक्लिफ रेया’ के नाम से जाना जाता
प्रश्न 13.
1971 के युद्ध में पाकिस्तानी सेना के किस प्रमुख सेनापति ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था?
उत्तर
जनरल नियाजी ने।
प्रश्न 14.
1971 के युद्ध के बाद किस नये देश का निर्माण हुआ?
उत्तर
1971 के युद्ध के बाद बांग्लादेश का निर्माण हुआ ।
प्रश्न 15.
भारत में योजना आयोग का गठन कब किया गया ।
उत्तर
1950 में।
प्रश्न 16.
योजना आयोग के स्थान पर किस आयोग का गठन किया गया और कब?
उत्तर
2015 में योजना आयोग के स्थान पर ‘नीति आयोग’ का गठन किया गया है।
प्रश्न 17.
नीति आयोग के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष कौन हैं?
उत्तर
नीति आयोग के पदेन अध्यक्ष प्रधानमन्त्री हैं तथा प्रसिद्ध अर्थशास्त्री अरविन्द पनगड़िया इसके उपाध्यक्ष हैं।
प्रश्न 18.
बृहत् राजस्थान का निर्माण कब हुआ?
उत्तर
वृहत् राजस्थान का निर्माण 30 मार्च, 1949 को हुआ।
प्रश्न 19.
वर्तमान राजस्थान का एकीकरण कब हुआ?
उत्तर
वर्तमान राजस्थान का एकीकरण 1 नवम्बर, 1956 को हुआ।
प्रश्न 20.
राजस्थान दिवस कब मनाया जाता है?
उत्तर
राजस्थान दिवस 30 मार्च को मनाया जाता है।
प्रश्न 21.
क्षेत्रफल की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा राज्य कौनसा है?
उत्तर
राजस्थान
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भारत के नवीन संविधान की रचना किस प्रकार की गई?
उत्तर
1946 में मत्रमंडलीय समिति की सिफारिशों के आधार पर भारतीय संविधान सभा का गठन किया गया। इस संविधान सभा में ब्रिटिश गवर्नर द्वारा शासित प्रान्तों एवं देशी रियासतों के प्रतिनिधि सम्मिलित किए गए। इस संविधान सभा में कुल 389 सदस्य थे। पाकिस्तान की संविधान सभा के अलग होने एवं हैदराबाद के प्रतिनिधियों के शामिल नहीं होने से भारतीय संविधान सभा में 299 सदस्य ही रह गए। संविधान सभा के सदस्य उच्च शिक्षित तथा विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधि थे।
उन्होंने लगभग तीन वर्ष तक काफी चर्चा की तथा विभिन्न विकल्पों पर विचार किया और इस प्रकार, एक संविधान का निर्माण किया जिसमें भारतीय समाज के सभी वर्गों के हितों का ध्यान रखा गया। शासन प्रणाली में लोकतन्त्रात्मक संसदीय प्रणाली को अपनाया गया। इस संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद थे तथा प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अम्बेडकर थे। 26 नवम्बर, 1949 ई. को संविधान को अधिनियमित, आत्मार्पित एवं अंगीकृत किया गया एवं 26 जनवरी, 1950 ई. को इसे देश में लागू किया गया।
प्रश्न 2.
भारतीय संविधान सभा के बारे में प्रमुख तथ्यों की जानकारी दीजिए।
उत्तर
भारतीय संविधान सभा के बारे में प्रमुख तथ्यों की जानकारी
पहली बार संविधान सभा 9 दिसम्बर, 1946 ई. को बैठी, जिस सभागार में पहली बैठक हुई, उसे वर्तमान में लोकसभा का सेन्ट्रल हॉल कहते हैं।
संविधान सभा में कुल 389 सदस्य थे।
3 जून, 1947 की योजना के अनुसार पाकिस्तान जाने वाले सदस्यों ने स्वयं को भारत की संविधान सभा से अलग कर लिया। इसके पश्चात् संविधान सभा में कुल 79 लोग रह गए।
संविधान सभा ने अपना काम 17 समितियों में बाँट लिया था।
26 नवम्बर, 1949 को संविधान को अधिनियमित, आत्मार्पित तथा अंगीकृत किया गया।
26 जनवरी, 1950 को भारतीय संविधान को लागू किया गया।
प्रश्न 3.
संविधान सभा में राजस्थान से आने वाले सदस्यों के नामों की सूची बनाइए।
उत्तर
संविधान सभा में राजस्थान से आने वाले सदस्यों के नामों की सूची-
पण्डित मुकुट बिहारीलाल
माणिक्यलाल वर्मा
जयनारायण व्यास
बलवंतसिंह मेहता
रामचन्द्र उपाध्याय
लेफ्टिनेंट कर्नल दलेलसिंह
गोकुलनलाल असावा
कुँवर जसवंतसिंह
राजबहादुर
सर यी. टो, कृष्णामाचारी
हीरालाल शास्त्री
सी.एस. वेंकटाचारी
सरदार के.एम, पनिर
सर टी. विजय राघवाचार्य
प्रश्न 4.
स्वतंत्र भारत में विस्थापितों को किस प्रकार बसाया गया?
उत्तर
स्वतंत्रता के समय भारत-पाक विभाजन के परिणामस्वरूप व्यवस्था 70-80 लाख लोग पाकिस्तान से विस्थापित होकर भारत आए थे। इन लोगों को भारत में निम्न प्रकार से बसाया गया
प्रारम्भ में विस्थापितों को स्कूल-कॉलेजों में रखा गया, फिर अजमेर, कच्छ, गांधीधाम, दिल्ली, करनाल आदि स्थानों पर विस्थापितों के लिए कैम्प लगाए गए।
इनके लिए शाम के समय स्कूल एवं कॉलेज खोले
इनके लिए नए तकनीकी संस्थान खोले गए ताकि विस्थापित लोग ऐसे हुनर सीख सकें जिनकी उनके नये निवास स्थान पर जरूरत थी।
उन्हें खेती करने के लिए खाली पड़ी हुई जमीनें भी दी गई।
प्रश्न 5.
भारत-पाक विभाजन से विस्थापितों की क्या समस्यायें रहीं तथा उनका किस प्रकार समाधान किया गया?
उत्तर
विस्थापितों की समस्यायें- स्वतन्त्रता के समय |भारत-पाक विभाजन के परिणामस्वरूप लगभग 70-80 लाख लोग पाकिस्तान से विस्थापित होकर भारत आए थे। ये विस्थापित अपना घर-बार, सम्पत्ति आदि सब कुछ पाकिस्तान में छोड़ कर अनेक कष्ट एवं यातनाएँ सहते हुए भारत पहुंचे। इनमें से कई लोगों ने तो अपने परिजनों को भी खो दिया था। इनका पुनर्वास आवश्यक था ताकि ये फिर से अपना घर बार बसा सकें ।
काम-धन्धे में लग जावें तथा अपने बच्चों को पढ़ाई करा सके और देश को आगे बढ़ाने में योगदान दे सकें। स्वतन्त्र भारत की पहली सबसे बड़ी चुनौती इन लोगों को फिर से बसाने की थी। प्रारम्भ में विस्थापितों को स्कूल कालेजों में रखा गया फिर अजमेर, कच्छ, गाँधीधाम, दिल्ली, करनाल आदि स्थानों पर विस्थापितों के लिए कैम्प लगाये गए। शाम के समय स्कूल एवं कॉलेज खोले गए। नये तकनीकी शिक्षा संस्थान खोले गए ताकि विस्थापित लोग ऐसे हुनर सीख सकें जिनकी उनके नये निवास स्थान पर जरूरत थी।
निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
देश और समाज को आगे बढ़ाने में विस्थापितों के योगदान का वर्णन कीजिए।
अथवा
भारत-पाक विभाजन के पश्चात् विस्थापितों द्वारा देश और समाज को आगे बढ़ाने में दिये गये योगदान का संक्षेप में वर्णन करो। उत्तर
विस्थापितों ने देश और समाज को आगे बढ़ाने में बहुत योगदान दिया। यधा
लोगों ने नए माहौल में रहने के लिए नए हुनर सीखे।
कुछ ही समय में उन्होंने नए शहर आयाद कर लिए।
उल्हासनगर (महाराष्ट्र), गाँधीधाम (गुजरात), आदिपुर (गुजरात) जैसे शहरों में सिन्धी विस्थापितों ने अपने व्यापार  और उद्योग चलाने शुरू कर दिए।
पीलीभीत (उत्तरप्रदेश उत्तराखण्ड), शिवपुरी (मध्यप्रदेश), श्रीगंगानगर (राजस्थान) जैसे इलाकों में पंजाबी विस्थापितों ने खाली पड़ी हुई जमीन को खेती योग्य बनाया। थोड़े ही समय में ये इलाके फसलों से लहलहा उठे।
दिल्ली, करनाल एवं पानीपत (हरियाणा), कानपुर  (उत्तर प्रदेश) जैसे शहरों में बड़े-छोटे उद्योगों की स्थापना | भी विस्थापितों ने ही की। घरों की कमी को दूर करने के लिए कई शहरों के साथ नये ‘मॉडल टाउन’ बनाए गए।
विस्थापितों में से अनेक महान राजनीतिक नेता बने, अनेक ने व्यापार और उद्योगों तथा शोध, पत्रकारिता, फिल्में लेखन तथा गायन के क्षेत्र में नाम कमाया। 1947 में आए विस्थापितों ने यह न प्रमाणित कर दिया कि कितनी भी विपरीत परिस्थितियाँ क्यों न हों, स्वतन्त्र भारत में लोग काफी-कुछ करने की क्षमता रखते थे और उन्होंने ऐसा क्रिया भी।
प्रश्न 2.
स्वतन्त्रता के बाद भारत सरकार द्वारा भारत के आर्थिक पुनर्निर्माण हेतु किये गए प्रयासों का वर्णन कीजिए।
उत्तर
स्वतन्त्रता के पश्चात् भारत सरकार ने भारत के आर्थिक पुनर्निर्माण हेतु अनेक कदम उठाये। 1950 में भारत सरकार ने योजना आयोग नामक संस्था का गठन किया और उसी के अन्तर्गत पाँच-पाँच वर्ष के कार्यों के लक्ष्य निर्धारित कर योजनाएँ बनाई गई जिन्हें पंचवर्षीय  योजना कहा गया।
द्वितीय पंचवर्षीय योजना में भारी उद्योगों पर बल दिया गया। भारी उद्योगों तथा विशाल बाँधों के निर्माण पर कार्य किया गया।
बाद की पंचवर्षीय योजनाओं में कृषि य सामुदायिक विकास जैसे लक्ष्यों को महत्व दिया गया।
अभी वर्तमान में 12वीं पंचवर्षीय योजना 2012 से प्रारम्भ हुई है।
सभी राज्यों को प्रतिनिधित्व देने एवं उन्हें आर्थिक विकास की गति में भागीदार बनाने की दृष्टि से 2015 में योजना आयोग के स्थान पर एक नवीन संस्था नीति आयोग’ का गढ़न किया गया हैं। इसके पदेन अध्यक्ष प्रधानमन्त्री होते हैं तथा सभी राज्यों के मुख्यमन्त्री वे केन्द्रशासित प्रदेशों के उप-राज्यपाल इसके सदस्य होते हैं। प्रसिद्ध अर्थशास्त्री अरविन्द पनगड़िया इसके प्रथम उपाध्यक्ष बनाए गए हैं।
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