10वी सामाजिक विज्ञान जल संसाधन का संपूर्ण महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर CLASS 10Th Social Science water resources All Questions and Answer in Hindi - ULTIMATE STUDY SUPPORT
प्रश्न 1.
पृथ्वी के धरातल पर जल का कितने प्रतिशत में खारेपन के रूप में पाया जाता है?
(अ) 90 प्रतिशत
(ब) 60 प्रतिशत
(स) 70 प्रतिशत
(द) 97 प्रतिशत
प्रश्न 2.
जयपुर शहर को किस परियोजना से पेयजल की आपूर्ति होती है?
(अ) बीसलपुर परियोजना
(ब) जाखम परियोजना
(स) माही परियोजना
(द) चंबल परियोजना
प्रश्न 3.
राजस्थान में राणा प्रताप सागर बाँध किस जिले में है?
(अ) जयपुर में
(ब) कोटा में
(स) बूंदी में
(द) चित्तौड़गढ़ में
प्रश्न 4.
राजस्थान में परंपरागत जल संरक्षण के रूप में बेरियाँ या छोटी कुईं किन जिले में हैं?
(अ) जयपुर व अजमेर
(ब) कोटा व बूंदी
(स) बाड़मेर व जैसलमेर
(द) चित्तौड़गढ़ व भीलवाड़ा
प्रश्न 5.
जैसलमेर जिले में मध्यकाल में पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा अपनाई गई जलसंरक्षण तथा जल प्रबंधन ऐसी तकनीक है
(अ) खड़ीन
(ब) तालाब
(स) नहर
(द) झील
उत्तर:
1. (द)
2. (अ)
3. (द)
4. (स)
5. (अ)
जल संसाधन अति लघूत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
जल प्रबंधन से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
जल प्रबंधन से तात्पर्य है-किसी विशेष उपयोग के लिए उचित मात्रा में, उचित समय पर उचित गुणवत्ता वाले जल की उपलब्धि जिससे अलवणीय जल की उपलब्धता में सुधार हो।
प्रश्न 2.
भारत की सबसे लंबी मानव निर्मित नहर कौन-सी है?
उत्तर:
भारत ही नहीं एशिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित नहर इंदिरा गांधी नहर जो 649 किमी० लंबी है।
प्रश्न 3.
भारत का सबसे लंबा बाँध कौन-सा है?
उत्तर:
हीराकुंडे बाँध विश्व का सबसे लंबा बाँध है, जिसकी लंबाई 4801 मीटर है।
प्रश्न 4.
बैराज से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
नदी के प्रवाह मार्ग में दिशा परिवर्तन करते हुए नहर प्रणाली को विकसित करने के लिए बनाया गया तटबंध बाँध बैराज है; जैसे-हरिके बैराज, कोटा बैराज।
प्रश्न 5.
राजस्थान में जल संग्रहण हेतु टांके का निर्माण किन क्षेत्रों में किया जाता है?
उत्तर:
जल संग्रहण हेतु टांके का निर्माण पश्चिमी राजस्थान में परंपरागत जलसंग्रहण तथा जलसंरक्षण स्रोत के रूप में किया जाता है।
प्रश्न 6.
गड़ीसर व गजरूपसागर किस जिले में प्रसिद्ध रहे हैं? ।
उत्तर:
गड़ीसर व गजरूपसागर जैसलमेर जिले में प्रसिद्ध रहे हैं।
प्रश्न 7.
राजस्थान में आदिवासी क्षेत्रों के विकास के लिए कौन-सी बहुउद्देशीय परियोजना है?
उत्तर:
चित्तौड़गढ़ तथा उदयपुर व प्रतापगढ़ के आदिवासी क्षेत्रों में विकास हेतु सिंचाई के लिए, जाखम नदी पर, जाखम परियोजना है।
प्रश्न 8.
मिट्टी से निर्मित बाँध कौन-सा है?
उत्तर:
पाँच नदियों के संगम पर मिट्टी से निर्मित पांचना बाँध है।
जल संसाधन लघूत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
भारत में कौन-सी परियोजनाओं का संचालन राज्यों तथा केंद्र सरकार के माध्यम से किया जाता है?
उत्तर:
भारत में बहुउद्देशीय परियोजनाओं का संचालन राज्यों तथा केंद्र सरकार के माध्यम से किया जाता है। केंद्र द्वारा संचालित-भाखड़ा नांगल, रिहंद, दामोदर, हीराकुंड, कोसी, टिहरी, आदि परियोजनाएँ हैं।।
राज्यों द्वारा संचालित-चंबल, नागार्जुन, तुंगभद्रा, सरदार सरोवर म्यूराक्षी, फरक्का, माही, गंडक, आदि परियोजनाएँ हैं।
प्रश्न 2.
जल स्वावलंबन की आवश्यकता क्यों है?
उत्तर:
वर्तमान में भूमिगत जल के गिरते जलस्तर तथा स्थानीय स्तर पर प्रचलित जल स्रोतों की दुर्दशा, बाँधों में मिट्टी कीगाद, वर्षा की कमी तथा बढ़ती जनसंख्या के कारण गंभीर जल संकट पैदा हो गया है। स्थानीय स्तर पर जल के समुचित प्रबंधन तथा सरंक्षण हेतु जल स्वावलंबन की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
प्रश्न 3.
बावड़ी क्या है? प्रकाश डालिए।
उत्तर:
बावडियाँ, जल संग्रहण तथा जल सरंक्षण हेतु निर्मित की जाती हैं। ये चतुष्कोणीय, गोल व वर्तुल आकार में बनायी जाती हैं। इनमें प्रवेश मार्ग से मध्य तक ईटों तथा कलात्मक पत्थरों का प्रयोग किया गया है। इनके आगे आँगननुमा भाग होते हैं। इन भागों तक पहुँचने के लिए सीढ़ियाँ बनी रहती हैं। जिन पर कलात्मक मेहराब व स्तंभ व झरोखे होते : हैं। इन झरोखों में स्थानीय जल देवता की मूर्तियाँ होती हैं।
प्रश्न 4.
खड़ीन क्या है?, प्रकाश डालिए?
उत्तर:
खड़ीन जैसलमेर जिले में मध्यकाल में पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा जल संरक्षण तथा जल प्रबंधन हेतु अपनायी गयी तकनीक है। इसे कृषि तथा पेयजल के लिए सर्वाधिक उपयुक्त माना गया है। पहाड़ी भागों में वर्षा काल में बहते हुए जल को ढालू भागों पर कच्ची अथवा पक्की दीवार बनाकर रोका जाता है। अतिरिक्त जल को दीवार के एक भाग से निकाल दिया जाता है ताकि दूसरे खड़ीन भूमि को मिल सके। इससे भूमिगत जल में वृद्धि, मिट्टी संरक्षण तथा मिट्टी में नमी बनी रहती है। फलतः रबी तथा खरीफ फसलें आसानी से पैदा होती हैं।
प्रश्न 5.
भाखड़ा नाँगल परियोजना का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भाखड़ा नाँगल परियोजना देश की सबसे बड़ी तथा महत्वपूर्ण परियोजना है, जो सतलुज नदी पर हिमाचल प्रदेश में बिलासपुर के निकट स्थापित हैं। यह पंजाब, हरियाणा तथा राजस्थान की एक संयुक्त परियोजना है। इस परियोजना का उद्देश्य सतलुज तथा यमुना के मध्य भागों में सिंचाई, विद्युत व पेयजल की आपूर्ति व आर्थिक विकास करना है। इसमें दो बाँध-भाखड़ा बाँध तथा नांगल बाँध जो कि भाखड़ा बाँध के अतिरिक्त जल को संचित करने के उद्देश्य के लिए बनाया गया है।
प्रश्न 6.
राजस्थान में जल संरक्षण तकनीक को क्यों अपनाया गया था?
उत्तर:
राजस्थान में हमेशा से वर्षा की कमी तथा सूखे की आशंका बनी रही है। इसी कारण यहाँ जल संरक्षण के प्रति
संवेदनशीलता रही है। प्राचीन समय से ही भारत में जल संरक्षण को एक सद्भावना के रूप में पोषित किया गया है। स्थानीय राजाओं तथा साहूकारों द्वारा बावड़ी, झालरा, कुएँ तथा जोहड़ों का निर्माण करवाया गया जो जनता के पेयजल स्रोत रहे हैं। छोटे-बड़े बाँध, खड़ीन आदि पेयजल आपूर्ति के साथ-साथ सिंचाई के लिए लाभकारी रहे हैं।
प्रश्न 7.
बीसलपुर परियोजना पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
बीसलपुर परियोजना, टोंक जिले के टोडाराय सिंह कस्बे के निकट बीसलपुर स्थान पर बनास नदी पर 574 मीटर लंबा तथा 39.5 मीटर ऊँचा बाँध बनाया गया है। यहाँ बाँध के क्रमशः बाएँ तथा दाएँ किनारे से दो नहरें निकाली गई हैं। इससे सवाई माधोपुर जिले को सिंचाई, जयपुर शहर तथा अजमेर केकड़ी, सखाड़, ब्यावर एवं रास्ते में आने वाले गाँवों को पेयजल आपूर्ति, टोंक जिले के 256 गाँवों में सिंचाई की जा रही है।
जल संसाधन निबंधात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
राजस्थान में जल संरक्षण के विविध रूपों के बारे में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारतीय संस्कृति में जल को अमृत के समान माना गया है। राजस्थान में पानी संकट हमेशा ही एक सोचनीय विषय जल संसाधन रहा है। साथ ही यहाँ जल संरक्षण के प्रति चेतना जाग्रत रही है जिसके लिए अनेक रूपों को अपनाया गया-जिनमें निम्नलिखित मुख्य हैं
(1) बावड़ी
(2) तालाब
(3) झीलें
(4) नाड़ी
(5) टाँका
(6) जोहड़
(7) बेरी या छोटी कुईं
(8) खड़ीन
(1) बावड़ी- यह चतुष्कोणीय, गोल व वर्तुल आकार में निर्मित जल स्रोत है। राजस्थान में बावड़ियों का निर्माण व उपयोग व्यक्तिगत या सामाजिक होता है। ये राज्य के सभी जिलों में मिलती हैं। बूंदी शहर को बावड़ियों की अधिकता के कारण ‘स्टैप वेल्स आफ सिटी’ कहा जाता है।
(2) तालाब- तालाब में वर्षा जल को एकत्र किया जाता है, जो पशुधन तथा मानव के लिए पेयजल का स्रोत रहा है। इनका विकास ढालू भाग के समीप किया गया है। इनके निर्माण में धार्मिक तथा सामाजिक भावना जुड़ी रहती, है। जो इनके संरक्षण तथा सुरक्षा में सहायक है।
(3) झीलें- झीलें राजस्थान में बहते हुए जल का सरंक्षण करने हेतु, सर्वाधिक प्रचलित स्रोत रही हैं। पेयजल व सिंचाई के साधन के रूप में प्रचलित रही हैं। यहाँ झीलों से नहरें निकालकर निकट क्षेत्रों में सिंचाई कार्य किया जाता है। ये सामाजिक, आर्थिक विकास में सहायक रही हैं तथा अकाल व सूखे में वरदान स्वरूप साबित हुई हैं।
(4) नाड़ी- यह तालाब का छोटा रूप होता है। इसमें रेतीले मैदानी भाग में वर्षा जल को एकत्र किया जाता है। इसमें तुलनात्मक रूप से वर्षा जल अल्पकाल के लिए इकट्ठा होता है। लोगों, पशुओं तथा वन्य जीवों के लिए पेयजल का मुख्य स्रोत रही है।
(5) टाँका- जल संग्रहण तथा जल संरक्षण का मुख्य स्रोत जो प्रत्येक घर तथा खेत में भूमि में 5 से 6 मीटर गहरा गढ्डा खोदकर बनाया जाता है। इसमें घर की छत तथा आगोर से आने वाले वर्षा जल का संग्रहण किया जाता है।
(6) जोहड़- जोहड़ में बहते हुए वर्षा जल को इसके आगोर के माध्यम से इकट्ठा किया जाता है। यह पशुओं तथा मानव के लिए पेयजल का उत्तम स्रोत है।
(7) बेरी या छोटी कुई-यह विशेषतः पश्चिमी राजस्थान में तालाब तथा खडीन में अगोर भूमि में 5 से 6 मीटर गहरा गड्डा खोदकर बनाई जाती है। इसका व्यास 2-3 फुट होता है। इसका प्रयोग ग्रीष्म ऋतु में वर्षा जले के सूखने के बाद किया जाता है।
(8) खड़ीन- यह जल संरक्षण तथा जल प्रबंधन की ऐसी तकनीक है जो कृषि तथा पेयजल के लिए सर्वाधिक उपयुक्त मानी गई है। इससे भूमिगत जल में वृद्धि, मिट्टी संरक्षण, मिट्टी में नमी बनी रहती है तथा ग्रीष्म काल में पेयजल मिलता रहता है।
प्रश्न 2.
राजस्थान में इंदिरा गांधी नहर परियोजना के बारे में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
राजस्थान में थार मरुस्थल में पेयजल आपूर्ति व्यर्थ भूमि को उपयोगी बनाने तथा अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर आबादी बसाने के उद्देश्य से इस नहर को निकाला गया है। इस नहर के द्वारा राजस्थान के 9 जिलों 29 कस्बों तथा 3461 गाँवों को पेयजल की आपूर्ति की जाती है। इस नहर को दो चरणों-राजस्थान फीडरे तथा मुख्य नहर के रूप में पूरा किया गया। राजस्थान फीटर आरंभ से मसीतावली तक तथा मुख्य नहर मसीतावली से मोहनगढ़ के अंतिम बिंदु तक का भाग है जिनकी लंबाई क्रमशः 204 किमी० तथा 445 किमी है।
थार मरुस्थल में सिंचित क्षेत्र का विकास करने के उद्देश्य से विभिन्न शाखाएँ तथा लिफ्ट नहरें निकाली गई हैं, जो कि संख्या में सात हैं। लिफ्ट नहरों के माध्यम से विभिन्न कस्बों तथा शहरों को पेयजल उपलब्ध कराया जाता है। इस नहर के माध्यम से 17.41 करोड़ हेक्टेयर भूमि को सिंचित किया जाएगा। इसका विस्तार बाड़मेर के गड़रा रोड तक बढ़ा दिया गया है।
प्रश्न 3.
मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना के बारे में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
राजस्थान सरकार द्वारा मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना शुरू की गई है। इसका उद्देश्य ग्रामीण स्तर पर जलग्रहण क्षेत्र को प्राकृतिक संसाधन के रूप में स्थानीय स्तर पर राज्य सरकार तथा भामाशाहों के सहयोग से जल प्रबंधन कर आत्मनिर्भर करना है। इसके द्वारा भू-जल स्तर में वृद्धि, गुणवत्ता में सुधार हेतु कार्य करने के साथ-साथ, प्राचीन स्रोतों-कुएँ, तालाब, नाड़ी तथा लुप्त हो रहे जल संसाधनों को पुनर्जीवित करने का कार्य होगा।
पंचायत स्तर पर नाड़ियों, तालाबों व कुओं की खुदाई तथा इनकी दीवारों को ठीक करने का कार्य करना तथा इन जल स्रोतों के जल प्राप्ति क्षेत्रों में आने वाले अवरोधों को हटाकर जल प्राप्ति के मार्ग को ठीक करने का कार्य किया जाना है। समयावधि 4 वर्ष है। तथा 21000 गाँवों को लाभ पहुँचाया जाएगा। इसमें गैर सरकारी संगठनों, धार्मिक ट्रस्टों, अप्रवासी, ग्रामीण भारतीयों तथा अन्य स्थानीय ग्रामीणों की भागीदारी से जल संग्रहण क्षेत्रों का उपचार कार्य करना है। इसमें डीप कन्टीन्यूअस कंटूर ट्रेन्चेज, स्ट्रगर्ड, फार्म पोण्ड, संकन गली पिट, खड़ीन, जोहड़, टाँका का निर्माण करना है।
प्रश्न 4.
भारत सरकार की किन्हीं दो प्रमुख परियोजनाओं का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत सरकार द्वारा अनेक बहुउद्देशीय परियोजनाओं का संचालन किया जा रहा है, जिनमें दामोदर घाटी परियोजना तथा हीराकुंड परियोजना महत्वपूर्ण हैं।
(अ) दामोदर घाटी परियोजना- यह पश्चिमी बंगाल व झारखंड की संयुक्त परियोजना है, जो प. बंगाल का शोक कही जाने वाली दामोदर नदी पर स्थित है। बाराकर, बोकारो व कोनार, सहायक नदियाँ है। इन नदियों पर भी अनेक बाँध; जैसे-मेथान, बाल पहाड़ी, तिलैया बाँध, बोकारो बाँध, कोनार, अघर बाँध, बर्मो बाँध बाल पहाड़ी आठ बाँध आदि बनाए गए हैं। इसका उद्देश्य प. बंगाल में झारखंड नदी घाटी का आर्थिक विकास कर स्थानीय निवासियों के जीवन स्तर में सुधार करना है।
(ब) हीराकुड परियोजना- यह परियोजना उड़ीसा का शोक कही जाने वाली प्रसिद्ध महानदी पर स्थित है तथा बाढ़ तथा सूखे, अकाल की स्थिति जैसी आपदाओं से छुटकारा दिलाने के लिए लाभकारी सिद्ध हुई है। यह विश्व का सबसे लंबा बाँध है। इसकी लंबाई 4801 मीटर है। नहरों से सिंचाई तथा विद्युत गृहों के निर्माण से क्षेत्र के विद्युत आपूर्ति कृषि व औद्योगिक क्षेत्र में आशातीत सफलता प्राप्त हुई है।
अतिरिक्त प्रश्नोत्तर (MORE QUESTIONS SOLVED)
जल संसाधन बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन-सा अलवणीय जल संसाधन नहीं हैं?
(अ) भौमजल
(ब) बहता हुआ जल और नदी
(स) वर्षा
(द) महासागर
प्रश्न 2.
वर्षा जल संग्रहण तकनीक टाँका का संबंध किस राज्य से है?
(अ) तमिलनाडु
(ब) मेघालय (स) कर्नाटक
(द) राजस्थान
प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से कौन जल-संग्रहण पद्धति का प्रयोग राजस्थान में नहीं किया जाता?
(अ) जोहड़
(ब) गुल
(स) खादीन
(द) टाँका
प्रश्न 4.
जल दुर्लभता क्या है?
(अ) वर्षा में कमी
(ब) जल की कमी।
(स) नदी बहाव में कमी
(द) जल की सीमित मात्रा
प्रश्न 5.
बहुउद्देशीय परियोजना का क्या तात्पर्य है?
(अ) एक योजना जो सभी वर्गों के लिए लाभकारी होती है।
(ब) पंचवर्षीय योजनाएँ ही बहुउद्देशीय योजनाएँ हैं।
(स) एक नदी पर बाँध बनाकर कई उद्देश्यों की पूर्ति करना।
(द) कई योजनाओं को एक साथ बनाना बहुउद्देशीय योजनाएँ हैं।
उत्तर:
1. (अ)
2. (द)
3. (ग)
4. (ब)
5. (स)
जल संसाधन अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
अलवणीय जल किस प्रकार से प्राप्त होता है?
उत्तर:
अलवणीय जल सतही अपवाह और भौमजल स्रोत से प्राप्त होता है।
प्रश्न 2.
भाखड़ा बाँध की मुख्य विशेषता लिखिए।
उत्तर:
सीमेंट तथा कंकरीट से निर्मित विश्व के सीधे बाँधों में सबसे बड़ा बाँध है।
प्रश्न 3.
भारत में दामोदर घाटी निगम की स्थापना किस प्रारूप के अनुसार की गई?
उत्तर:
भारत सरकार ने अमेरिका की टेनेसी घाटी परियोजना के प्रारूप के अनुसार दामोदर घाटी निगम की स्थापना की गई।
प्रश्न 4.
दामोदर नदी किस लिए कुख्यात थी?
उत्तर:
दामोदर नदी मार्ग परिवर्तन, अपरदन तथा बाढ़ के लिए कुख्यात थी।
प्रश्न 5.
उड़ीसा के शोक के नाम से किस नदी को जाना जाता है?
उत्तर:
महानदी को उड़ीसा के शोक के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 6.
महानदी का उद्गम स्थान कहाँ पर है? ।
उत्तर:
इसका उद्गम स्थान छत्तीसगढ़ में बस्तर की पहाड़ियों में है।
प्रश्न 7.
हरिके बैराज किन दो नदियों के संगम पर स्थित है?
उत्तर:
सतलुज व रावी के संगम पर हरिके बैराज स्थित है।
प्रश्न 8.
बीसलपुर परियोजना किस नदी पर स्थित है?
उत्तर:
यह परियोजना बनास नदी पर स्थित है।
प्रश्न 9.
नर्मदा परियोजना से राजस्थान के किन शहरों को पेयजल की आपूर्ति होती है?
उत्तर:
नर्मदा परियोजना से बाड़मेर तथा जालौर को पेयजल की आपूर्ति होती है।
प्रश्न 10.
पिछौला झील किस शहर में है?
उत्तर:
पिछौला झील उदयपुर में स्थित है।
जल संसाधन लघुत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
चंबल घाटी परियोजना किन आपदाओं से बचाव के लिए आरंभ की गई थी?
उत्तर:
यह घाटी परियोजना राजस्थान व मध्य प्रदेश की संयुक्त परियोजना चंबल नदी पर 1953 में आरंभ हुई। नदी के प्रवाह से भूमि अपरदन, बाढ़ तथा अन्य आपदाओं से होने वाली हानि तथा दूरगामी परिणामों से बचाव के लिए इसकी स्थापना की गई थी।
प्रश्न 2.
सिद्धमुख परियोजना राजस्थान के किन क्षेत्रों में सिंचाई सुविधा प्रदान कर रही है?
उत्तर:
रावी तथा व्यास के अतिरिक्त जल का उपयोग गंगानगर तथा हनुमानगढ़ की नोहर-भादरा तथा चुरू जिले की तारानगर व राजगढ़ तहसीलों में 33 हजार हेक्टेयर भूमि को सिंचित करने में किया जाता है।
प्रश्न 3.
राजस्थान में झीलों के महत्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
राजस्थान में, झीलें बहते हुए जल का संरक्षण करने में सर्वाधिक प्रचलित स्रोत रही हैं। ये पेयजल के साथ-साथ सिंचाई के साधन के रूप में प्रचलित रही हैं। इन झीलों से नहरें निकालकर निकट के भागों में सिंचाई की जाती है। ये झीलें स्थानीय आर्थिक तथा सामाजिक विकास में लाभकारी तथा अकाल, सूखों में जीवन देने वाली रही हैं।
प्रश्न 4.
मेजा बाँध के विषय में जानकारी दीजिए।
उत्तर:
यह बाँध कोठारी नदी पर भीलवाड़ा जिले के मंडलगढ़ तहसील के मेजागाँव में बनाया गया है। बाँध से मत्स्य पालन व नहर प्रणाली का विकास किया गया है।
प्रश्न 5.
जल संसाधनों के संरक्षण की आवश्यकता क्यों है?
उत्तर:
जल संसाधनों का संरक्षण और प्रबंधन आवश्यक है क्योंकि इससे खाद्यान सुरक्षा, उत्पादन क्रियाओं की निरंतरता, प्राकृतिक परितंत्र को निम्नीकरण से बचाया जाता है। जल संसाधनों के कुप्रबंधन से संसाधनों का ह्रास और पारिस्थिति की समस्या को काफी हद तक दूर किया जा सकता है।
प्रश्न 6.
जल प्रबंधन से आप क्या समझते हैं? इसके संबंध में कम से कम शब्दों में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जल प्रबंधनः भारत में वर्षा में अत्याधिक स्थानिक विभिन्नता पाई जाती है और वर्षा मुख्य रूप से मानसूनी मौसम संकेंद्रित है। उचित जल प्रबंधन के अभाव में
(1) वर्षा जल का अधिकांश भाग नदियों के माध्यम से समुद्र में व्यर्थ ही चला जाता है। इस व्यर्थ होने वाले जल का सदुपयोग बढ़ती जनसंख्या की माँग की पूर्ति हेतु एवं मानसून की अनियमितता व अनियमितता के कारण सूखे व अकाल से निपटने के लिए उचित प्रबंधन आवश्यक होता है।
(2) पारंपरिक रूप से भारत की अर्थव्यवस्था एक कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था है और इसकी जनसंख्या का लगभग दो-तिहाई भाग कृषि पर निर्भर है। इसके लिए कृषि उत्पादन को बढ़ाने हेतु सिंचाई व अन्य कृषि संबंधी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति को प्राथमिकता प्रदान की गई।
(3) जल संसाधनों के संतुलित विकास तथा विवेकपूर्ण उपयोग के लिए जल सरंक्षण की आवश्यकता है। जल के संरक्षण तथा प्रबंधन से तात्पर्य है-किसी विशेष उपयोग के लिए उचित भाग में उचित समय पर और उचित गुणवत्ता वाले जल की उपलब्धि। देश में आजादी के बाद विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से बहुउद्देशीय जल परियोजनाएँ आरंभ की गई, जिनसे बाढ़ व सूखे की समस्या से बचाव होने लगा, वहीं बिजली तथा पेयजल आपूर्ति व सिंचाई, मछली पालन और पर्यावरण के संरक्षण में सहयोग मिला। इन बहुउद्देशीय जल परियोजनाओं को देश के प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू जी ने आधुनिक भारत का मंदिर कहा था।
प्रश्न 7.
जल संरक्षण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
जल-संरक्षणः किसी स्थान में वर्षा जल का उचित जल-प्रबंध कर संग्रहण करना ही उस स्थान का जल-संरक्षण है। ताकि मानसून काल के जल को बाँधों, तालाबों तथा झीलों अथवा छोटे जलस्रोतों में इकट्ठा करके शेष अवधि में प्रयोग लिया जा सके।
(1) वर्षा जल का संग्रहण करने की भारत में बहुत पुरानी परंपरा है। उत्तर से लेकर दक्षिण तक तथा पूर्व से लेकर पश्चिम तक भारत के लोग स्थानीय आवश्यकताओं और स्थानीय साधनों के द्वारा वर्जित विधियों से जल का संग्रह करते आ रहे हैं।
(2) अलवणीय जल की घटती हुई उपलब्धता और बढ़ती माँग से, सतत पोषणीय विकास के लिए इस महत्वपूर्ण संसाधन के संरक्षण और प्रबंधन की आवश्यकता और बढ़ गई है।
(3) राजस् थान में जल संरक्षण के प्रति संवेदनशीलता परंपरागत रही है क्योंकि वर्षा की कमी तथा सूखे की आशंका यहाँ हमेशा से बनी रही है। इसी कारण स्थानीय राजाओं तथा साहूकारों द्वारा बावड़ी, झालरा, नाड़ी, कुएँ, कुई तथा जोहड़ों का निर्माण करवाया गया जो कि स्थानीय जनता के पेयजल स्रोत रहे हैं। साथ ही छोटे व बड़े बाँध, खड़ीन तथा एनीकट पेयजल के साथ-साथ सिंचाई के लिए भी उपयोगी रहे।
जल संसाधन निबंधात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
भारत में जल की स्थिति का अवलोकन कीजिए।
उत्तर:
भारत में विश्व के जल संसाधनों का लगभग 4% भाग पाया जाता है। भारत में कुल उपयोग योग्य जल 1869 घन कि.मी. उपलब्ध है। इसमें से कुल उपयोगी जलसंसाधन 1123 घन किमी. है। जिसमें से धरातलीय जल का 690 घन कि.मी. (32%) भाग तथा भौमजल संसाधन लगभग 433 घन कि.मी. जल मानव उपयोगी है। भारत में तीव्र जनसंख्या वृद्धि के कारण जल की माँग में भी तीव्र वृद्धि अपेक्षित है।
प्रश्न 2.
बहुउद्देशीय परियोजना से होने वाले प्रमुख लाभों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
इन परियोजनाओं से जल संग्रहण तथा भंडारण में सहायता मिलती है, जिससे सिंचाई, पेयजल आदि के कार्य के लिए प्रयोग किया जा सकता है।
इन परियोजनाओं से बाढ़ रोकने में सहायता मिलती है। दामोदर नदी परियोजना इसका उदाहरण है।
इनसे जल विद्युत उत्पादन किया जाता है, जो अनेक प्रकार के विकास से सहायक होती है।
इन परियोजनाओं से जल विद्युत उत्पादन में किसी भी प्रकार का प्रदूषण नहीं होता।
इन परियोजनाओं के माध्यम से पर्यटन उद्योग का विकास नौका परिवहन, मत्स्य पालन आदि को सिद्ध किया जाता है।
प्रश्न 3.
वर्षा जल संग्रहण किस प्रकार उपयोगी है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इस जल को साफ करके स्थानीय लोगों की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता है। वर्षा कम या न होने की स्थिति में इसे सिंचाई के लिए प्रयुक्त किया जा सकता है।
भौमजल स्तर में वृद्धि से नलकूपों, कुओं के जल को उपयोग करने में सुविधा होती है।
वर्षा जल संग्रहण से अधिक वर्षा के समय बाढ़ की स्थिति से बचाया जा सकता है।
वर्षा जल संग्रहण से जल के महत्व की जानकारी में वृद्धि, संरक्षण के विषय में जागरूकता बढ़ाने में सहायता मिलेगी।
पारिस्थतिकी संतुलन बनाए रखने में सहायक है।
प्रश्न 4.
प्राचीन काल के जल संरक्षण/जल संग्रहण के साक्ष्यों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
पुरातत्व व एतिहासिक अभिलेख बताते हैं कि सिंधु सभ्यता की खुदाई से कुंड, कूप तथा नहरों के साक्ष्य मिलें
चाणक्य के अर्थशास्त्र के अनुसार चंद्रगुप्त मौर्य ने सुदर्शन झील का निर्माण कराया था।
चंद्रगुप्त मौर्य के समय में बड़े पैमाने पर बाँध, झील व सिंचाई यंत्रों का निर्माण करवाया गया था।
दक्षिण भारत के चालुक्य शासकों द्वारा अनेक एनिकटों तथा बाँधों का निर्माण कराया गया था।
राजस्थान में स्थानीय राजाओं ने बावड़ी, झालरा, नाडी, कुएँ, कुई आदि का निर्माण कराया था।
प्रश्न 5.
रास्थान नहर या गांधी नहर परियोजना के बारे में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
(1) 1948 में, कंवरसेन द्वारा संकल्पित यह नहर परियोजना 31 मार्च, 1958 को प्रारंभ हुई। राजस्थान में थार मरुस्थल में पेयजल आपूर्ति, व्यर्थ भूमि के उपयोग तथा अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर आबादी बसाने के उद्देश्य से सतलज व रावी के संगम पर स्थित हरिके बैराज से इस नहर को निकाला गया है। यह नहर भारत ही नहीं बल्कि एशिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित नहर है जिसकी कुल लंबाई 649 किमी० है जिसमें से 169 किमी० पंजाब तथा 14 किमी. हरियाणा में तथा शेष राजस्थान में है। इस नहर के द्वारा राजस्थान के 9 जिलों 29 कस्बों तथा 3461 गाँवों को पेयजल की आपूर्ति की जाती है। इस नहर को दो चरणों में पूर्ण किया गया जो क्रमश: राजस्थान फीडर तथा मुख्य नहर है।
राजस्थान फीडर जो आरंभिक स्थल से मसीतावली तक तथा मुख्य नहर मसीतावली से मोहनगढ़ के अंतिम बिंदु तक का भाग है, जो क्रमशः 204 किमी० तथा 445 किमी० है। इस नहर द्वारा थार के मरुस्थल में सिंचित क्षेत्र का विकास करने के उद्देश्य से विभिन्न शाखाएँ तथा लिफ्ट नहरें निकाली गई हैं।
(2) लिफ्ट नहर में ढाल के विपरीत प्रवाह के लिए जल को मशीनों से बार-बार उठाया जाता है। इंदिरा गांधी नहर तंत्र में सभी लिफ्ट नहरें मुख्य नहर के बाँए किनारे से निकलती हैं जबकि मुख्य नहर के दाएँ किनारे पर सभी नहरें प्रवाह प्रजाल हैं। अन्तर्राष्ट्रीय सीमा की ओर अर्थात् पश्चिमी सीमा पर 09 शाखाएँ ढाल के अनुरूप तथा पूर्व की ओर ऊँचाई अधिक होने के कारण जल को ऊपर उठा कर छोटी नहरों में डाला जाता है जिसे लिफ्ट नहर कहा जाता है।
इन लिफ्ट नहरों के माध्यम से विभिन्न कस्बों तथा शहरों को पेयजल उपलब्ध कराया जाता है। लिफ्ट नहरों की कुल संख्या 07 है। इन नहरों के माध्यम से 17.41 करोड़ हैक्टेयर भूमि को सिंचित किया जाएगा। अब इस परियोजना को बाड़मेर के गडरा रोड तक बढ़ा दिया गया है।
(3) नहर सिंचाई के प्रसार ने इस शुष्क क्षेत्र की पारिस्थितिकी, अर्थव्यवस्था और समाज को रूपांतरित कर दिया है। इस क्षेत्र की पर्यावरणीय परिस्थितियों पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार के प्रभाव पड़े हैं। क्षेत्र की कृषि अर्थव्यवस्था प्रत्यक्ष रूप से बदल गई है।
(4) वनीकरण और चरागाह विकास योजनाओं से भूमि हरी-भरी हुई, वायु अपरदन तथा नहरी तंत्र ने बालू निक्षेप की प्रक्रियाएँ धीमी लेकिन सघन सिंचाई और जल के अधिक प्रयोग से जल भराव, मृदालवणता आदि समस्याएँ उत्पन्न हो गई हैं।