कक्षा 12वी जीवविज्ञान अध्याय 04 जनन स्वास्थ्य का संपूर्ण महत्वपूर्ण नोट्स CLASS 12TH Biology reproductive health All Notes in Hindi : ULTIMATE STUDY SUPPORT
2 गर्भ निरोधक
3 सवार्भता
4 प्रसव
5 बन्धयता
6 गर्भपात
7 यौन रोग
8 उल्बबेधन (एमीनोसेटेसिस):-
विकसित हो रहे भ्रूण के चारो और पाये जाने वाले मम्ल तरल में गुणसूत्रों के नमूने के आधार पर लिंग परीक्षण की क्रिया को उष्णबेधन कहते है।
बढती मादा भू्रण हत्या के कारण उष्णबेधन को प्रतिबन्धित कर दिया गया है।
जनसंख्या विस्फोट:-
विश्व में जनसंख्या
1900 – 2 अरब
2000 – 6 अरब
भारत में जनसंख्या
1947 – 35 करोड
2000 – 100 करोड 1 अरब
जनसंख्या मेें अत्यधिक वृद्धि होना जनसंख्या विस्फोट कहलाता है। उपरोक्त आकडों से स्पष्ट है कि विश्व में हर छंठा व्यक्ति भारतीय है। तथा वार्षिक दर 1.7 प्रतिशत है अर्थात् प्रति हजार पर जन्म लेने वालों की संख्या 17 होती है तथा इस दर से वृद्धि होती रहे तो लगभग 33वर्ष में जनसंख्या दुगुनी हो जाती है।
जनसंख्या वृद्धि के कारण
1 मृत्सु दर में गिरावट
2 मान्ती एवं शिशु मृत्यु दर में अत्याधिक गिरावट
3 जनन सक्षम आयु के लोगों की ंसख्या में बढोतरी
जनसंख्या नियंत्रण के उपाय:-
1 विवाह की वैधानिक आयु का निर्धारण।
2 छोटा परिवार सुखी परिवार का विज्ञापन करना।
3 लघु परिवार को प्रोत्साहन
4 गर्भ-निरोधक उपाय अपनाना
आदर्श गर्भ निरोधक:-
1 प्रयोगकर्ता के हितों की रक्षा करने वाली हो
2 गोपनीयता
3 दुष्प्रभाव कम से कम हो अथवा थोडा हो
4 आसानी से उपलब्ध हो।
5 उपयोगकर्ता की कामेच्छा व मैथुन क्रिया में बाधक न हो।
गर्भ निरोधक उपाय (विधियाँ):-
A – प्राकृतिक विधियाँ
1 आवधिक संयम:- निषेच्य अवधि के दौरान मैथून क्रिया न करना।
2 अंतरित मैथुन:-
मैथुन क्रिया के दौरान वीये संखलन से पहले पुरूष अपना लिंग मादा की योनि से बाहर निकाल लेता है। इस क्रिया को अंतरित मैथुन कहते है।
3 स्तनपान अनार्तव :-
शिशु को स्तनपान करवाने की अवधि 4-6 माह तक गर्भधारण की संभावना कम होती है।
महत्वः–
किसी भी औषधि /साधन का प्रयोग नहीं करना पडता अतः दुष्प्रभाव काफी होते है। ये प्रथम सन्तान या सन्तानों में अन्तर रखने के लिए उपयुक्त है।
कमी/दोष:- इनकी सफलता की दर कम होती है।
B कृत्रिम विधियाँ:-
1 रोध ठंततपमत विधियाँ:- क्रियाविधि (सिद्धान्त):-
इनमें शुक्राणु एवं अण्डाणु को आपस में मिलने नहीं दिया जाता है।
उदाहरण:- कण्डोम (निरोध), डायफ्राम, गर्भाशय ग्रीवाटोप, बोल्ट, शुक्राणुनाशक क्रीम, जैली या फोम
महत्व:-
1 गोपनीयता:- स्वयं प्रयोग कर सकता है।
2 योैन रोगों से बचाव:-
दुष्प्रभाव कम:-
अंतः गर्भाशय युक्तियाँ क्रियाविधि(Intrauterine device )(IUD ):-
1 शुक्राणु की गतिशीलता कम करना।
2 भ्रुण की रोपण के अयोग्य बनाना
3 ओषधि रहित:- लिप्टेस लूप उदाहरण:-
1 ताँबा मोचक Cu-T , Cu -7 , मल्टीलोड 375 – T
2 हार्मोन मोचक IUD – प्रोजेस्टॉर्ट LNG 20
महत्व:-
सन्तानों में अन्तराल रखने की सर्वातम विधि है। अतः महिलाओं द्वारा अधिक प्रयोग की जाती है।
कमी:- यह किसी विशेषज्ञ या प्रशिक्षित नर्स द्वारा लगवायी जानी चाहिए
3 खाने वाली औषधियाँ:-
क्रिया विधि:-
1. प्रतिदिन 1 से 21 (22 से 28):- आयरन
2. साप्ताहिक:-
गैर-स्टीरायॅड सहेली माला-प्ट लखनऊ
3. खोज:-
केन्द्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान ब्व्त्प् आपातकालीन:-unwanted .72
4. अन्तर्रौप टीके:-
ये प्रोजेस्टोरोन या एस्ट्रोजन या इनके संयोजन से बने होते है इन्हें टीके के रूप में बाँहांे में लगाया जाता है अथवा छोटा सा चीरा लगाकर बाँह की त्वचा के नीचे रखा जाता है ये लम्बे समय तक प्रभावी रहते है।
5. बन्धयकरण/शल्यक्रिया/नसबंदी:-
ऐसे दम्पती जिन्हें आगे और सन्तान नहीं चाहिए वे शल्य क्रिया को अपनाते है यह गर्भनिरोध का स्थाई समाधान है । यह क्रिया दो प्रकार की होती है।
1- शुक्रवाहक उच्छेपन (वासैक्टोनी):-
(पुरूष नसबंदी) इसमें शुक्रवाहक के छोटे भाग को चीरा लगाकर हटा देते है या बांध देते है
2- डिम्बवाहिनी उच्छेपन टुबेक्टोनी- महिला नसबंदी:-
इसमें महिला के उदर में छोटा सा चीरा लगाकर अथवा योनी मार्ग के द्वारा डिम्वाहिनी के छोटे से भाग को काँट या बाँध दिया जाता है।
सावधानियाँ:- किसी योग्य विशेषज्ञ अथवा चिकित्सक की सलाह से इनका प्रयोग करना चाहिए।
दुष्प्रभाव:- पेटदर्द, उल्टी, जी घबराना, रक्त स्त्राव, अभिव्यक्ति, मासिक धर्म, वजन बढना, स्तर कैंसर
प्रेरित गर्भपात (सगर्भता का चिकित्सकीय समापन) : —–विधि पूर्ण होने से पहले ही गर्भ के समापन की क्रिया को MTP कहते है। विश्व में प्रतिवर्ष 45.5 करोड MTP की जाती है जो कुल सगर्भता का 20 प्रतिशत है भारत सरकार ने 1977 में MTP को कानूनी मानरूता प्रदान की MTP के सुरक्षित अवधि 12 सप्ताह है।
कारण:-
अनचाहे गर्भ से मुक्ति हेतु:-
1 लापरवाही पूर्वक किये गये असुरक्षित यौन संबंधों द्वारा
2 मैथून क्रिया के दौरान गर्भनिरोधक उपायो के असफल रहने पर
3 बलात्कार
ठ. घातक:-गर्भावस्थ शिशु अथवा माता या दोनो की जान को खतरा हो।
लैंगिक रोग /यौन संचालित रोग (STD) / रतिज रोग (VD) / जनन मार्ग संक्रमण (RTI):- वे रोग जिनका संक्रमण मैथुन क्रिया के दौरान होता है उन्हें यौन संक्रमित रोग कहते है।
उदाहरण:-उपचार योग्य:-
1 गोनोरिया
2 सिफालिस
3 हार्पिस
4 ग्रइकोमोनसता
5 क्लेमिडियल
6 लैगिक मस्से।
उपचार योग्य नहीं:-
1 एडस
2 यकृत शोध-बी (Hapatatis -B )
4 जयनिक परिसर्प जेनेइयल हार्पिस:-
कारण:- 15-24 आयु के व्यक्ति यौन संक्रमित रोगों के द्वारा सबसे अधिक प्रभावित होते है जिसके मुख्य कारण निम्न है:-
1. अनजाने या अनेक व्यक्तियों से यौन सम्पर्क स्थापित करने पर
2. संक्रमित शखा क्रिया के उपकरणों द्वारा
3. संक्रमित सूई के प्रयोग द्वारा
4. संदुषित रक्ताधान द्वारा
5. संक्रमित माता से शिशु को
6. लक्षण:- महिलाएं अधिकतर आलाक्षणिक होती है।
प्रारंभिक स्थिति में शुरूआत में:-
1 गुप्ताँग में खुजली
2 सूजन
3 हल्का दर्द
4 तरल स्त्राव
गंभीर स्थिति में रोग के बढने पर:- गर्भपात।
1 मृत शिशु का जन्म
2 बन्धता
3 अस्थानिक भू्रणता
4 जनन मार्ग केंसर
5 श्रेणी शोधन रोग (PID)
रोकथाम बचाव:-
1 अनजानेया अनेक व्यक्तियों से यौन संबंधस्थापित नहीं करना चाहिए
2 मैथुन क्रिया के समय कण्डोम का प्रयोग करना चाहिए
3 संक्रमित सुई का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
4 शल्यक्रिया के औजार पूण्रतया निजिनीकरण होने चाहिए
5 रक्त आदान-प्रदान से पहले अच्छी तरह से जाँच की जानी चाहिए
6 रोग की आशँका होने पर विशेषज्ञ या चिकित्सक से मार्गदर्शन प्राप्त करना चाहिए।
बन्ध्यता व सहाय जनन प्रौद्योगिकी क्या है
बन्ध्यता(Obstinacy):-
दम्पतियों के लगातार 2 वर्ष तक असुरक्षित सहवास के बावजूद संतान उत्पन्न न होने की क्रिया बन्ध्यता कहलाती है इसमे किसी भी गर्भ निरोधक उपाय का प्रयोग नहीं किया जाता है यह शारीरिक, मनोवैज्ञानिक, प्रतिरक्षात्मक सहाय जनन प्रौद्योगिकी (ART)
ऐसी विधियाँ जिनमें दम्पत्ति के दोषो को दूर किये बिना उन्हें संतान सुख प्रदान किया जाता है उन्हें सहायक जनन प्रोद्योगिकी कहते है।
समस्याएं:-
1 अत्यधिक परिशुद्धताूर्ण संचालन की आवयक
2 उच्च प्रशिक्षित विशेषताओं की आवश्यकता
3 अत्यधिक महंगी
4 कुछ लोगों एवं बडे शहरो तक सिमित
5 सामाजिक/धार्मिक, भावनात्मक व कानूनी समस्या
समाधान:- अनाथ बच्चे को गोद लेना।