दो या दो से अधिक पदार्थों का स्वतः एक दूसरे से मिलकर समांग मिश्रण बनाने की क्रिया को विसरण (डिफ्यूजन) कहते हैं। सजीव कोशिकाओं में अमीनो अम्ल के संवहन में विसरण की मुख्य भूमिका है।[1]
तीन अलग-अलग समयों पर किसी गैस का विसरण :
(१) विसरण के ठीक पहले
(२) विसरण के थोडी देर बाद
(३) विसरण आरम्भ होने के बहुत देर बाद
विसरण के पहले और बाद में
परिचय
सभी वस्तुएँ, ठोस, द्रव और गैसें, बड़े सूक्ष्म कणों से बनी हुई हैं। सबसे छोटे कणों को अणु (molecules) कहते हैं। अणु पदार्थों में सतत गतिशील रहते हैं। इनकी गतियाँ बहुत कुछ ताप पर भी निर्भर करती हैं। भिन्न भिन्न वस्तुओं को यदि एक साथ रखा जाए, तो इन गतियों के कारण वे परस्पर मिल जाती हैं। ठोसों के अणु एक दूसरे से बहुत निकटता से सटे हुए रहते हैं। द्रवों के अणु ठोसों के अणुओं की अपेक्षा कम सटे हुए रहते हैं। गैसों के अणु तो एक दूसरे से पर्याप्त दूरी पर रहते हैं, यही कारण है कि गैसें बड़ी शीघ्रता से एक दूसरे में मिल जाती हैं। द्रवों के अणु उतनी शीघ्रता से नहीं मिलते और ठोसों के अणु तो और देर से परस्पर मिलते हैं। इस प्रकार पदार्थों के अणुओं के परस्पर मिल जाने को विसरण (Diffusion) कहते हैं।
विसरण एक अपरिवर्तनीय क्रिया है, जिसमें पदार्थों के स्वाभाविक बहाव से सांद्रण का अंतर कम होता रहता है। यह क्रिया सभी पदार्थों में होती है। क्लोरीन गैस के जार पर यदि एक हवा भरा जार रख दिया जाए, तो क्लोरीन गैस के भारी होने पर भी उसके अणु विसरण द्वारा ऊपर उठकर दोनों जारों में मिल जाते हैं और कुछ समय में वे एक से संगठन के हो जाते हैं। यदि किसी जल के पात्र में तूतिया का एक क्रिस्टल रख दिया जाए, तो पहले क्रिस्टल के निकट का जल तूतिए के विलयन सा हो जाएगा और कुछ समय के बाद सारा जल तूतिए के रंग का हो जाएगा और कुछ समय के बाद सारा जल तूतिए के रंग का हो जाएगा। ऐसा विसरण के कारण होता है। यदि सोने के एक टुकड़े को सीस के टुकड़े के संपर्क में रखा जाए, तो कुछ दिनों के बाद सीस में सोना और सोने में सीस की उपस्थिति मालूम की जा सकती है। गुरुत्वाकर्षण से विसरण में कोई रुकावट नहीं पड़ती और न उत्प्लवकता का ही उसपर कोई प्रभाव पड़ता है।
गैसों का विसरण
गैसें शीघ्रता से विसरण करती हैं। हलकी गैसें, कम घनत्व के कारण, अधिक शीघ्रता से और भारी गैसें, अधिक घनत्व के कारण, कम शीघ्रता से विसरण करती हैं। इस संबंध में ग्राहम ने एक नियम जो 'ग्राहम के गैस विसरण के नियम' के नाम से विख्यात है, प्रतिपादित किया है। इस नियम के अनुसार समान दाव और ताप पर विसरण की गति गैसों के आपेक्षिक घनत्व के वर्गमूल का व्यूत्क्रमानुपाती होती है।
गैसों के विसरण से हमें अनेक बड़े उपयोगी परिणाम प्राप्त होते हैं। इसकी सहायता से हम कुछ गैसों का आपेक्षिक घनत्व और इससे अणुभार निकाल सकते हैं तथा कुछ गैसों के मिश्रण से उनके संघटकों को अलग अलग कर सकते हैं। विसरण से कुछ गैसों के समस्थानिकों के पृथक्करण में हमें सफलता मिली है। कुछ जहरीली गैसें विसरण के कारण वायु में इतनी फैल जाती है कि उनसे हानि होने की संभावना बहुत कम हो जाती है। कार्बन डाइऑक्साइड गैस का वायु में एक निश्चित मात्रा से अधिक रहना स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है। पृथ्वीतल पर ईधंन आदि से बना और साँस द्वारा निकला कार्बन डाइऑक्साइड भारी होने पर भी विसरण द्वारा समस्त वायु में ऐसा मिल जाता है कि उसके अनुपात में विशेष अंतर नहीं पाया जाता। कोयले की खानों में पाई जानेवाली दाह्य गैस, मार्श गैस, विसरण द्वारा ही समस्त खानों में फैल जाती है और उसके किसी एक स्थान की वायु के परीक्षण से इसका पता लग जाता है।
द्रवों का विसरण
द्रवों का विसरण गैसों के विसरण की अपेक्षा अधिक पेंचीदा है। इनका विसरण बहुत कुछ पदार्थों की प्रकृति पर निर्भर करता है। सांद्रण और ताप की वृद्धि से विसरण अपेक्षया सरल होता है।