चिरसम्मत भौतिकी (क्लासिकल फिजिक्स) भौतिक विज्ञान की वह शाखा है जिसमें द्रव्य और ऊर्जा दो अलग अवधारणाएं हैं। प्रारम्भिक रूप से यह न्यूटन के गति के नियम व मैक्सवेल के विद्युतचुम्बकीय विकिरण सिद्धान्त पर आधारित है। चिरसम्मत भौतिकी को सामान्यतः विभिन्न क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है। इनमें यांत्रिकी (इसमें पदार्थ की गति तथा उस पर आरोपित बलों का अध्ययन किया जाता है।), गतिकी, स्थैतिकी, प्रकाशिकी, उष्मागतिकी (ऊर्जा और उष्मा का अध्ययन) और ध्वनिकी शामिल हैं तथा इसी प्रकार विद्युत व चुम्बकत्व के परिसर में दृष्टिगोचर अध्ययन। द्रव्यमान संरक्षण का नियम, ऊर्जा संरक्षण का नियम और संवेग संरक्षण का नियम भी चिरसम्मत भौतिकी में महत्वपूर्ण हैं। इसके अनुसार द्रव्यमान और ऊर्जा को ना ही तो बनाया जा सकता है और ना ही नष्ट किया जा सकता और केवल बाह्य असन्तुलित बल आरोपित करके ही संवेग को परिवर्तित किया जा सकता है।[1]
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आधुनिक भौतिकी के चार प्रमुख क्षेत्र
इतिहास एवं विकास संपादित करें
भौतिक विज्ञान का आरम्भ चिरसम्मत भौतिकी के विकास से आरम्भ होता है-भौतिकी का विकास लगभग १८९० से पूर्व आरम्भ हो चुका था। चिरसम्मत भौतिकी में पदार्थ व ऊर्जा दो अलग राशियां हैं। जहाँ वह कोई भी वस्तु जिसमें भार है तथा स्थान घेरती है पदार्थ की श्रेणी में आती है। ऊर्जा को पदार्थ के वेग/चाल से देखा जाता है। जिसके अनुसार जिस वस्तु की ऊर्जा जितनी अधिक होगी वह उतनी ही तेज गति प्राप्त करेगी। चिरसम्मत भौतिकी, चिरसम्मत यांत्रिकी, उष्मागतिकी व विद्युतचुम्बकीकी के क्षेत्र में नामक तीन वृहत शाखाओं में सिद्धान्त, नियम व अवधारणाओं के साथ आवश्यक रूप में हल की जाती है।[2]
भौतिक विज्ञान की अवधारणा संपादित करें
महान कैलटेक भौतिकशास्त्री रिचर्ड फेनमैन (1918:1988) के अनुसार विज्ञान, ब्रह्मांड के नियमों का पता लगाने के प्रयास के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।[3]
निर्देश तन्त्र संपादित करें
भौतिकी का आरम्भ किसी सापेक्ष वस्तु से होता है। कोई भी भौतिक राशी अपने मात्रक अथवा किसी अन्य राशी का मापन किसी अन्य चर राशी के सापेक्ष किया जाता है। दिक् (समष्टि) में किसी भी वस्तु अथवा कण की स्थिति बताने के लिए एक निर्देश बिन्दु की आवश्यकता होती है।
विस्थापन, वेग व त्वरण संपादित करें
निर्देश तन्त्र का सिद्धान्त भौतिकी की अन्य अवधारणाओं से सीधे सम्बंध रखता है।
विवरण संपादित करें
चिरसम्मत सिद्धान्त के भौतिकी में कम से कम दो मतलब हैं:
प्रमात्रा भौतिकी के शब्दों में, भौतिकी के प्रामित्रिकरण रहित सिद्धान्त को "चिरसम्मत सिद्धान्त" कहा जाता है।
आपेक्षिकता के विशिष्ट और सामान्य सिद्धान्त के संदर्भ में, "चिरसम्मत सिद्धान्त", चिरसम्मत यांत्रिकी और गैलिलियो आपेक्षिकता जैसे अन्य सिद्धान्तो का अनुपालन करता है।
क्षेत्र संपादित करें
चिरसम्मत यांत्रिकी
{\displaystyle \mathbf {F} =m\mathbf {a} }{\displaystyle \mathbf {F} =m\mathbf {a} }
न्यूटन का गति का द्वितीय नियम
इतिहास · समयरेखा
शाखाएं
स्थैतिकी · गतिकी / गति विज्ञान · शुद्ध गति विज्ञान · अनुप्रयुक्त यांत्रिकी · खगोलीय यांत्रिकी · सांतत्यक यांत्रिकी · सांख्यिकीय यांत्रिकी
सूत्रिकरण
न्यूटनीय यांत्रिकी (सदिशीय यांत्रिकी)
विश्लेषणात्मक यांत्रिकी:
लाग्रांजीय यांत्रिकी
हेमिल्टोनीय यांत्रिकी
मूलभूत अवधारणा
दिक् · समय · वेग · चाल · द्रव्यमान · त्वरण · गुरुत्व · बल · आवेग · बलाघूर्ण / आघूर्ण / बलयुग्म · संवेग · कोणीय संवेग · जड़त्वाघूर्ण · निर्देश तंत्र · ऊर्जा · गतिज ऊर्जा · स्थितिज ऊर्जा · यांत्रिक कार्य · शक्ति · कल्पित कार्य · डी' अलम्बर्ट सिद्धान्त
मूल विषय
दृढ़ पिण्ड · दृढ़ पिण्ड गतिकी · आयलर समीकरण · गति · न्यूटन के गति नियम · न्यूटन का सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण का सिद्धान्त · गति के समीकरण · जड़त्वीय निर्देश तंत्र · अजड़त्वीय निर्देश तंत्र · घूर्णन निर्देश तंत्र · आभाषी बल · रेखिक गति · समतल कण गति यांत्रिकी · विस्थापन सदिश · सापेक्ष वेग · घर्षण · सरल आवर्त गति · सरल आवर्ती दोलक · कम्पन · अवमन्दन · अवमन्दन अनुपात
घुर्णन गति
वृतिय गति · समरूप वृतिय गति · असमरूप वृतिय गति · अपकेन्द्रिय बल · अभिकेन्द्रिय बल · अभिकेन्द्रिय बल (घुर्णी निर्देश तन्त्र) · प्रतिक्रियाशील अभिकेन्द्रिय बल · कोरॉलिस बल · लोलक · कोणीय चाल · कोणीय त्वरण · कोणीय वेग · कोणीय आवर्ती · कोणीय विस्थापन
वैज्ञानिक
गैलीलियो गैलिली · आइज़क न्यूटन · केप्लर · होरोकस · एडमंड हैली · आयलर · डी'अलम्बर्ट · अलेक्से क्लाड क्लेरो · जोसेफ लुई लाग्रांज · पियेर सिमों लाप्लास · विलयम रोवन हैमिल्टन · सायमन-डेनिस पॉइसन
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चिरसम्मत भौतिकी में शामिल भौतिकी के सिद्धान्त:
चिरसम्मत यांत्रिकी
न्यूटन के गति के नियम
चिरसम्मत लाग्रांजियन और हेमिल्टोनियन सूत्र[4]
चिरसम्मत विद्युत-चुम्बकीकी (मैक्सवेल के समीकरण)
चिरसम्मत उष्मागतिकी
विशिष्ट आपेक्षिकता और सामान्य आपेक्षिकता
चिरसम्मत चेओस सिद्धान्त और अरेखीय तंत्र