इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से जुड़े तथ्य
1. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन इंसान द्वारा बनाई गई अब तक की सबसे महंगी चीज़ है, जिस पर कुल 160 अरब डॉलर का खर्चा आया है। इतनी रकम 11 लाख करोड़ रूपए से ज्यादा है जिससे 150 से ज्यादा ताजमहल बनाए जा सकते हैं।
2. स्पेस स्टेशन 24 घंटे 27,600 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से पृथ्वी के ईर्द-गिर्द चक्कर लगाता रहता है। इस तरह से यह हर 92 मिनट में पृथ्वी का एक चक्कर पूरा कर लेता है और एक दिन में पृथ्वी के साढ़े 15 चक्कर लगा लेता है।
3. स्पेस स्टेशन पृथ्वी की कक्षा में 330 से 435 किलोमीटर की ऊँचाई पर रहता है। इतनी कम ऊँचाई की वजह से यह कई बार नंगी आंखों से भी दिख जाता है।
4. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को 20 नवंबर 1998 को लांच किया गया था, यहां पर ध्यान देने वाली बात यह है कि इसके हिस्सों को 136 उड़ानों के जरिए भेजा गया था, इसके हिस्सों को वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में ही जोड़ा।
5. इंटरनेशन स्पेस स्टेशन को पहले साल 2011 तक अंतरिक्ष में रखने की बात कही गई थी पर एक करार के बाद यह तय किया गया कि इसका इस्तेमाल साल 2020 तक किया जाएगा।
6. स्पेस स्टेशन का वज़न 4,19,455 किलोग्राम है। इस तरह से यह मानव द्वारा अंतरिक्ष में भेजी गई सबसे भारी वस्तु है।
7. स्पेस स्टेशन की लंबाई 72.8 मीटर, चौड़ाई 108.5 मीटर और ऊँचाई 20 मीटर है। इसमें 6 बेडरूम से ज्यादा जगह रहने लायक है।
8. स्पेस स्टेशन में 2 बाथरूम और एक जिम भी है। जिम में कसरत करते वैज्ञानिक अपने शरीर को फिट रखते है क्योंकि अंतरिक्ष में काफ़ी समय रहने के कारण उनके शरीर पर बूरा प्रभाव पड़ता है।
9. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर अबतक 15 देशों के 200 से ज्यादा वैज्ञानिक जा चुके है। भारत की कल्पना चावला और सुनीता विलियमस भी इस पर खोज कार्य कर चुकी हैं।
10. आपको शायद ही यह पता हो कि कल्पना चावला और उनके साथी यात्रियों की मौत जिस अंतरिक्ष यान के धरती पर उतरने समय विस्फोट के कारण हो गई थी वो इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से ही वापिस लौट रहा था।
11. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर सफलतापूर्वक पत्तेदार सलाद भी उगाया जा चुका है। स्टेशन पर मौजूद वैज्ञानिकों ने इसे आधा खा लिया था और आधा सुरक्षित रख लिया था ताकि पृथ्वी पर लिजा के इसका वैज्ञानिक विश्लेषण किया जा सके।
आसमानी बिज़ली के बारे में अद्भुत जानकारी
1. हर साल 20 से 25 हज़ार लोग आसमानी बिजली गिरने से मारे जाते है।
2. हर सैकेंड 100 बार आसमानी बिजली धरती पर गिरती है।
3. एक वैज्ञानिक शोध के अनुसार अगर गलोबल वार्मिग इसी तरह से बढ़ती रही तो 21वीं सदी के अंत तक आसमानी बिजली गिरने में 50 प्रतीशत की बढ़ोतरी हो जाएगी।
4. भले ही आसमानी बिजली और उससे पैदा होने वाली गड़गड़ाहट एक ही समय पर पैदा होते है पर धरती पर बिजली की आवाज़ से पहले बिजली चमकती हुई दिखाई देती है क्योंकि प्रकाश की रफ्तार आवाज़ से कई गुणा ज्यादा होती है। इसके सिवाए बिजली की आवाज़ को तेज़ हवा की कई परतो से गुजर कर भी आना पड़ता है।
5. बिजली गिरने के सबसे ज्यादा चांस दोपहर के समय होते है।
6. आसमानी बिजली X-ray किरणों से लैश होती है।
7. बिजली गिरने से जुड़ा एक मिथक यह है कि यह जिस स्थान पर एक बार गिर जाए तो वो दुबारा वहां पर नही गिरती। पर असल में ऐसा नही है, किसी ऊँची जगह पर दुबारा बिज़ली गिरने के चांस उतने ही रहते है जितने पहली बार गिरने पर थे। उदाहरण के तौर पर अमेरिका की स्टैचु ऑफ़ लिबर्टी पर हर साल कई बार बिजली गिरती है।
8. साल 1939 में अमेरिका के ऊटा राज्य में बिज़ली गिरने से 835 भेड़ों की मौत हो गई थी।
9. बिजली गिरने से जो लोग मारे जाते है उनमें से 80 प्रतीशत पुरूष होते है।
10. अगर आसमानी बिज़ली गिरने से कोई इंसान घायल हो जाता है तो उसे ठीक करना बहुत मुश्किल हो जाता है। बिज़ली से टिशूज डैमेज हो जाते है, नर्वस सिस्टम में खराबी आ जाती है, हार्ट अटैक भी आ सकता है और शरीर जा कोई अंग पैरालाइज़ भी हो सकता है।
आसमानी बिज़ली क्यों गिरती है?
आसमानी बिज़ली से जुड़े मज़ेदार तथ्य जानने के बाद आप यह जरूर जानना चाहेंगे कि आसमानी बिज़ली क्यों गिरती है। असल में होता यह है कि जब ओपोजिट एनर्जी (+,-) के बादल एक दूसरे से टकराते है तो उसने पैदा होने वाली रगड़ से आसमानी बिज़ली पैदा होती है।
आसमान में किसी तरह का कंडक्टर ना होने की वजह से बिज़ली धरती की ओर बढ़ती है। धरती पर लोहे जा तांबे जैसे किसी कंडक्टर से गुजरने पर यह नुकसान कर सकती है। बिजली के उपकरणों को खराब कर सकती है और अगर कोई इंसान इसकी चपेट में आ जाए तो उसकी जान भी जा सकती है।